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Teesra Saptak

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
अज्ञेय
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
अज्ञेय
Language:
Hindi
Format:
Paperback

207

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SKU 9788119014064 Category
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240

तीसरा सप्तक –
तीसरा सप्तक अज्ञेय द्वारा सम्पादित नयी कविता के सात कवियों की कविताओं का संग्रह है। इसमें कुँवर नारायण, कीर्ति चौधरी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मदन वात्स्यायन, प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह और विजयदेवनरायण साही की रचनाएँ संकलित हैं। इसका प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन से 1959 ई. में हुआ।
जैसा कि एक विकासमान काव्य-परम्परा में उचित ही था, कविता-सप्तकों के अनुक्रम में यह तीसरा सप्तक पहले दोनों से आगे बढ़ा हुआ है या पिछले दोनों सप्तक अपने युग के सर्वोत्तम सात कवियों का संकलन हैं, ऐसा कोई दावा नहीं है। पर उत्सुक पाठक वर्ग के सामने एक साथ इतने विशिष्ट कवियों का
कृतित्व प्रस्तुत करने का काम केवल सप्तक ही करते रहे हैं। ये संकलन न केवल उनका प्रतिनिधित्व करते हैं वरन् अपने युग का भी। और यह भी सत्य है कि तार सप्तक, दूसरा सप्तक और तीसरा सप्तक नयी हिन्दी कविता के इतिहास का अनिवार्य अंग बन चुके हैं। आधुनिक काल में किसी भी कला की साधना साहस कर्म है। काव्य रचना में तो यह साहस निहित है ही, क्योंकि आज वह एक वैचारिक साहसिकता भी माँगती हैं। इस एडवेंचर ऑफ़ आइडियाज़ में कवि और पाठक-वर्ग सहभागी होता रहे यही सप्तकों का उद्देश्य है, और इसी दृष्टि से उनका सम्पादन हुआ है।

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Description

तीसरा सप्तक –
तीसरा सप्तक अज्ञेय द्वारा सम्पादित नयी कविता के सात कवियों की कविताओं का संग्रह है। इसमें कुँवर नारायण, कीर्ति चौधरी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मदन वात्स्यायन, प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह और विजयदेवनरायण साही की रचनाएँ संकलित हैं। इसका प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन से 1959 ई. में हुआ।
जैसा कि एक विकासमान काव्य-परम्परा में उचित ही था, कविता-सप्तकों के अनुक्रम में यह तीसरा सप्तक पहले दोनों से आगे बढ़ा हुआ है या पिछले दोनों सप्तक अपने युग के सर्वोत्तम सात कवियों का संकलन हैं, ऐसा कोई दावा नहीं है। पर उत्सुक पाठक वर्ग के सामने एक साथ इतने विशिष्ट कवियों का
कृतित्व प्रस्तुत करने का काम केवल सप्तक ही करते रहे हैं। ये संकलन न केवल उनका प्रतिनिधित्व करते हैं वरन् अपने युग का भी। और यह भी सत्य है कि तार सप्तक, दूसरा सप्तक और तीसरा सप्तक नयी हिन्दी कविता के इतिहास का अनिवार्य अंग बन चुके हैं। आधुनिक काल में किसी भी कला की साधना साहस कर्म है। काव्य रचना में तो यह साहस निहित है ही, क्योंकि आज वह एक वैचारिक साहसिकता भी माँगती हैं। इस एडवेंचर ऑफ़ आइडियाज़ में कवि और पाठक-वर्ग सहभागी होता रहे यही सप्तकों का उद्देश्य है, और इसी दृष्टि से उनका सम्पादन हुआ है।

About Author

सच्चिदानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय'- जन्म 7 मार्च, 1911 को देवरिया ज़िले के कसिया इलाक़े में। प्रारम्भिक शिक्षा जम्मू एवं कश्मीर में। 1929 में फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर से बी.एससी.। लाहौर में ही क्रान्तिकारी जीवन की शुरुआत। 1950-55 में ऑल इंडिया रेडियो से सम्बद्ध। 1965-68 में 'दिनमान' का और 1977-79 में 'नवभारत टाइम्स' का सम्पादन। साहित्य और संस्कृति की सेवा के लिए वत्सलनिधि संस्था की स्थापना। साहित्य अकादेमी पुरस्कार, गोल्डन रीथ अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। 4 अप्रैल, 1987 को नयी दिल्ली में निधन।

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