SaleHardback
Shuddhi
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
वन्दना यादव
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
वन्दना यादव
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹425 ₹298
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ISBN:
SKU
9789355182807
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
200
शुद्धि –
उपन्यास की शुरुआत परिवार के मुखिया शेर सिंह की मृत्यु से होती है। पंडित जी के कहे अनुसार मृत व्यक्ति की आत्मा, शुद्धि तक घर में रहने वाली है। बस यहीं से शुरू होता है उपन्यास का ताना-बाना… जहाँ मृतक की पत्नी अपने पति की आत्मा के ज़रिये घर-परिवार के लोगों के बदलते व्यवहार और यहाँ तक कि अपनी औलाद के असली चेहरों को भी देख पाती है।
पहली मौत के कुछ दिनों के भीतर ही बुजुर्ग के भाई की मौत से हालात इस तरह बदलते हैं कि दोनों भाईयों के बेटों और शादीशुदा पोतों के परिवार भी एक छत के नीचे, एकसाथ रहने को मजबूर हो जाते हैं। दोनों बुजुर्ग भाईयों की विवाहित बेटियाँ और नातिन भी दुःख जताने पहुँचती हैं। इसी बीच हालात तब और पेचीदा हो जाते हैं जब घर के सबसे महत्वपूर्ण बेटे की पत्नी और उसकी लिव-इन-पार्टनर भी एकसाथ गाँव में पहुँच जाती हैं।
वे सभी रिश्तेदार जो कभी एकसाथ रहने को तरसते थे इस समय साथ रहते हुए उनका रिश्तों से मोहभंग, घर के बड़े बेटे-बहू का बदलता व्यवहार, ज़मीन-जायदाद और पैसे के लालच के बीच युवाओं की सोच के साथ करवट लेते रिश्तों के कारण घर में स्थितियाँ लगातार बदल रही हैं।
राजस्थान के सीमावर्ती शहर बीकानेर से सटे गाँव उदयरामसर में वर्षों के बिछोह के बाद मिल रही नयी पुरानी पीढ़ियाँ, दुःख के समय को भी हँसते-रोते हुए एकसाथ बिताने का सुख उठाती हैं। कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा साथ रहने की इच्छा सबके भीतर होती है कि उसी समय स्थिति अचानक पलट जाती है। नये हालात में तेरह के बजाय साथ रहने वाले दिनों की संख्या लगातार बारी-बारी से बढ़ती रहती है।
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Description
शुद्धि –
उपन्यास की शुरुआत परिवार के मुखिया शेर सिंह की मृत्यु से होती है। पंडित जी के कहे अनुसार मृत व्यक्ति की आत्मा, शुद्धि तक घर में रहने वाली है। बस यहीं से शुरू होता है उपन्यास का ताना-बाना… जहाँ मृतक की पत्नी अपने पति की आत्मा के ज़रिये घर-परिवार के लोगों के बदलते व्यवहार और यहाँ तक कि अपनी औलाद के असली चेहरों को भी देख पाती है।
पहली मौत के कुछ दिनों के भीतर ही बुजुर्ग के भाई की मौत से हालात इस तरह बदलते हैं कि दोनों भाईयों के बेटों और शादीशुदा पोतों के परिवार भी एक छत के नीचे, एकसाथ रहने को मजबूर हो जाते हैं। दोनों बुजुर्ग भाईयों की विवाहित बेटियाँ और नातिन भी दुःख जताने पहुँचती हैं। इसी बीच हालात तब और पेचीदा हो जाते हैं जब घर के सबसे महत्वपूर्ण बेटे की पत्नी और उसकी लिव-इन-पार्टनर भी एकसाथ गाँव में पहुँच जाती हैं।
वे सभी रिश्तेदार जो कभी एकसाथ रहने को तरसते थे इस समय साथ रहते हुए उनका रिश्तों से मोहभंग, घर के बड़े बेटे-बहू का बदलता व्यवहार, ज़मीन-जायदाद और पैसे के लालच के बीच युवाओं की सोच के साथ करवट लेते रिश्तों के कारण घर में स्थितियाँ लगातार बदल रही हैं।
राजस्थान के सीमावर्ती शहर बीकानेर से सटे गाँव उदयरामसर में वर्षों के बिछोह के बाद मिल रही नयी पुरानी पीढ़ियाँ, दुःख के समय को भी हँसते-रोते हुए एकसाथ बिताने का सुख उठाती हैं। कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा साथ रहने की इच्छा सबके भीतर होती है कि उसी समय स्थिति अचानक पलट जाती है। नये हालात में तेरह के बजाय साथ रहने वाले दिनों की संख्या लगातार बारी-बारी से बढ़ती रहती है।
About Author
वन्दना -
साहित्यकार, मोटिवेशनल स्पीकर, एंकर और समाज सेविका वन्दना यादव का जन्म 9 सितम्बर को बीकानेर, राजस्थान में हुआ। आपका वर्तमान निवास स्थान दिल्ली है। अनेक वर्षों तक शिक्षण से जुड़ी रहने के बाद अब वन्दना जी पूर्णतः लेखन और सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित हैं।
आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं: 'शुद्धि', 'कितने मोर्चे' (उपन्यास), 'ये इश्क़ है', 'तुम कुछ कह दो', 'कुछ कह देते' (कविता संग्रह), 'कौन आएगा' (हिन्दी से उर्दू में अनुदित कविता संग्रह), 'अब मंजिल मेरी है!' (मोटीवेशनल पुस्तक), 'सब्जियों वाले गमले' (बाल साहित्य), 'नतमस्तक' (नवसाक्षरों के लिए कहानी की किताब)।
सम्पादन: 'ज़िन्दगी और मौत के बीच' कहानी संग्रह सहित छः किताबों का आपने सम्पादन किया है।
दूरदर्शन एवं अन्य चैनल पर साक्षात्कार तथा आकाशवाणी से निरन्तरता से रचना पाठ। वन्दना जी के लिखे लेख, कहानियाँ और कविताएँ आदि समाचार-पत्र, पत्रिकाओं में निरन्तरता से प्रकाशित होते रहते हैं।
साहित्य और समाज सेवा के लिए काका साहब कालेलकर समाज सेवा सम्मान, सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान सहित अनेक सम्मानों से सम्मानित।
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