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Rau Swami
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
नागनाथ इनामदार अनुवाद ओम शिवराज
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
नागनाथ इनामदार अनुवाद ओम शिवराज
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹599 ₹419
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In stock
ISBN:
SKU
9788196102746
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
423
राऊ स्वामी –
मराठी कथाकार नागनाथ इनामदार के लोकप्रिय ऐतिहासिक उपन्यास का अनुवाद है——’राऊ स्वामी’। यह मदन कुँवरि मस्तानी और श्रीमन्त बाजीराव पेशवा की रोचक प्रेम कहानी है। श्रीमन्त बाजीराव छत्रपति शिवाजी के पौत्र एवं सातारा (महाराष्ट्र) के अधिपति शाहू महाराज के शासन काल में 1720 ई. में पुणे के पेशवा पद पर नियुक्त हुए थे।
बाजीराव का सम्पूर्ण जीवन ही लोमहर्षक घटनाओं से भरा पड़ा है। अपने उद्यम से उन्होंने पुर्तगीज़ों, हशियों, मुग़लों और अंग्रेज़ों का न केवल जमकर विरोध किया, उनके साथ हुई लड़ाइयों में जीत हासिल कर मराठा शासन को बुलन्दगी पर पहुँचाया। इसी दौरान अपनी चरम युवावस्था में, इस वीर पुरुष के जीवन में एक ऐसी स्त्री ने प्रवेश किया जो एक भिन्न वातावरण में पली-बढ़ी थी। मदन कुँवरि मस्तानी एक अल्हड़ और परम रूपवती थी। बाजीराव और मस्तानी के प्रणय सम्बन्धों को लेकर राजपरिवार में बढ़ती हुई कलह और राजपुरोधाओं के असहिष्णु व्यवहार के कारण ऐसा दावानल भड़का, जिसने दोनों प्रेमियों को अपनी लपटों में घेर लिया और देखते ही देखते उनकी बलि ले ली।
बाजीराव की इस प्रेम-कथा को रोचक एवं सन्तुलित बनाने के लिए कथाकार ने कुछेक घटनाओं में अपेक्षित परिवर्तन भी किया है।
डॉ. ओम शिवराज ने जिस संलग्नता से इस कृति का अनुवाद किया है, उससे इसकी पठनीयता और बढ़ गयी है। उन्होंने कई प्रसिद्ध मराठी कृतियों के अनुवाद किये हैं। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित इनामदार के दो अन्य विख्यात उपन्यासों– ‘शाहंशाह’ और ‘प्रतिघात’ का अनुवाद भी उन्हीं की क़लम से हुआ है।
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Description
राऊ स्वामी –
मराठी कथाकार नागनाथ इनामदार के लोकप्रिय ऐतिहासिक उपन्यास का अनुवाद है——’राऊ स्वामी’। यह मदन कुँवरि मस्तानी और श्रीमन्त बाजीराव पेशवा की रोचक प्रेम कहानी है। श्रीमन्त बाजीराव छत्रपति शिवाजी के पौत्र एवं सातारा (महाराष्ट्र) के अधिपति शाहू महाराज के शासन काल में 1720 ई. में पुणे के पेशवा पद पर नियुक्त हुए थे।
बाजीराव का सम्पूर्ण जीवन ही लोमहर्षक घटनाओं से भरा पड़ा है। अपने उद्यम से उन्होंने पुर्तगीज़ों, हशियों, मुग़लों और अंग्रेज़ों का न केवल जमकर विरोध किया, उनके साथ हुई लड़ाइयों में जीत हासिल कर मराठा शासन को बुलन्दगी पर पहुँचाया। इसी दौरान अपनी चरम युवावस्था में, इस वीर पुरुष के जीवन में एक ऐसी स्त्री ने प्रवेश किया जो एक भिन्न वातावरण में पली-बढ़ी थी। मदन कुँवरि मस्तानी एक अल्हड़ और परम रूपवती थी। बाजीराव और मस्तानी के प्रणय सम्बन्धों को लेकर राजपरिवार में बढ़ती हुई कलह और राजपुरोधाओं के असहिष्णु व्यवहार के कारण ऐसा दावानल भड़का, जिसने दोनों प्रेमियों को अपनी लपटों में घेर लिया और देखते ही देखते उनकी बलि ले ली।
बाजीराव की इस प्रेम-कथा को रोचक एवं सन्तुलित बनाने के लिए कथाकार ने कुछेक घटनाओं में अपेक्षित परिवर्तन भी किया है।
डॉ. ओम शिवराज ने जिस संलग्नता से इस कृति का अनुवाद किया है, उससे इसकी पठनीयता और बढ़ गयी है। उन्होंने कई प्रसिद्ध मराठी कृतियों के अनुवाद किये हैं। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित इनामदार के दो अन्य विख्यात उपन्यासों– ‘शाहंशाह’ और ‘प्रतिघात’ का अनुवाद भी उन्हीं की क़लम से हुआ है।
About Author
नागनाथ इनामदार -
इतिहासपरक कथालेखन के माध्यम से आधुनिक मराठी में अपना एक विशिष्ट स्थान रखनेवाले श्री नागनाथ इनामदार (जन्म 1923, ज़िला सांगली, महाराष्ट्र) ने नागपुर विद्यापीठ से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की। साहित्यिक क्षेत्र में दस वर्ष तक अनवरत लेखन-कार्य के बाद 1962 में मराठी में उनका पहला ऐतिहासिक उपन्यास 'झेप' प्रकाशित हुआ। अनन्तर 'झुंज' (1966), 'मन्त्रावेगळा' (1969), 'राऊ' (1972), 'शहेनशहा' (1976), 'शिक़स्त' (1983), और 'राजेश्री' (1986) उपन्यास प्रकाशित हुए। ये सभी उपन्यास आकाशवाणी और दूरदर्शन से समय-समय पर प्रसारित भी हो चुके हैं। 1992 में उनकी आत्मकथा तीन खण्डों में प्रकाशित हुई।
'शहेनशहा' के लिए अखिल भारतीय निर्मिति के 1976 के प्रथम पुरस्कार के साथ अनेक शासकीय, साहित्यिक तथा सांस्कृतिक संस्थाओं से पुरस्कृत एवं सम्मानित।
16 अक्टूबर 2002 को पुणे में देहावसान।
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