Beti Shally Se Vartalap

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
नरेश अग्रवाल
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
नरेश अग्रवाल
Language:
Hindi
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Hardback

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SKU 9788119014804 Category
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160

बेटी शैली से वार्तालाप –
नरेश अग्रवाल कविता की दुनिया में एक मुकाम बना चुके हैं और इन दिनों अपनी सहजता, जीवन बोध के उछाल और बिम्बधर्मिता के कारण चाव और उत्कंठा से पढ़े जा रहे हैं। इस बार वे ‘ बेटी शैली से वार्तालाप’ नामक कृति लेकर आये हैं।
बेटियाँ, जो पृथ्वी का सौन्दर्य हैं, मन के भटकावों और तूफ़ानों के बीच हमें एक ऐसे रिश्ते से नवाजने वाली हैं जो हमारे सीने में कुछ विलक्षण स्पन्दन तो उत्पन्न करता ही है, हमारी भावना को एक सुकुमार स्थायित्व एवं एक दायित्व बोध भी देता है। आपसी नातों में हम जिस गर्माहट, जिस अन्तरंगता, जिस गहरी समझ की चाहना ताउम्र करते हैं, नरेश जी उसे इस कृति में एक तल्लीनता और प्रवणता के साथ लाते हैं।
पुस्तक के हर पृष्ठ पर हम बेटी से उनके एक स्नेहिल, चिन्तनशील एवं जीवनोन्मुख पिता की तरह बतियाने का सुखद अनुभव करते हैं। यह अनुभव हमारी घनिष्ठतम अनुभूतियों का हिस्सा होने के कारण हमें अपनी एक चिरपरिचित और किंचित विस्मयकारी पूँजी जैसा लगता है।
भाषा पूरी बातचीत में धूप की तरह फैली हुई है। यह कृति पाठकों को बाँधकर रखेगी और वे इसमें अपनी दुनिया के कुछ अन्तरंग और पारदर्शी अहसास पायेंगे।
—सत्येन्द्र कुमार रघुवंशी (आई.ए.एस.), (सेवानिवृत्त) वरिष्ठ साहित्यकार

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Description

बेटी शैली से वार्तालाप –
नरेश अग्रवाल कविता की दुनिया में एक मुकाम बना चुके हैं और इन दिनों अपनी सहजता, जीवन बोध के उछाल और बिम्बधर्मिता के कारण चाव और उत्कंठा से पढ़े जा रहे हैं। इस बार वे ‘ बेटी शैली से वार्तालाप’ नामक कृति लेकर आये हैं।
बेटियाँ, जो पृथ्वी का सौन्दर्य हैं, मन के भटकावों और तूफ़ानों के बीच हमें एक ऐसे रिश्ते से नवाजने वाली हैं जो हमारे सीने में कुछ विलक्षण स्पन्दन तो उत्पन्न करता ही है, हमारी भावना को एक सुकुमार स्थायित्व एवं एक दायित्व बोध भी देता है। आपसी नातों में हम जिस गर्माहट, जिस अन्तरंगता, जिस गहरी समझ की चाहना ताउम्र करते हैं, नरेश जी उसे इस कृति में एक तल्लीनता और प्रवणता के साथ लाते हैं।
पुस्तक के हर पृष्ठ पर हम बेटी से उनके एक स्नेहिल, चिन्तनशील एवं जीवनोन्मुख पिता की तरह बतियाने का सुखद अनुभव करते हैं। यह अनुभव हमारी घनिष्ठतम अनुभूतियों का हिस्सा होने के कारण हमें अपनी एक चिरपरिचित और किंचित विस्मयकारी पूँजी जैसा लगता है।
भाषा पूरी बातचीत में धूप की तरह फैली हुई है। यह कृति पाठकों को बाँधकर रखेगी और वे इसमें अपनी दुनिया के कुछ अन्तरंग और पारदर्शी अहसास पायेंगे।
—सत्येन्द्र कुमार रघुवंशी (आई.ए.एस.), (सेवानिवृत्त) वरिष्ठ साहित्यकार

About Author

नरेश अग्रवाल - 1 सितम्बर, 1960 को जमशेदपुर में जन्म। अब तक स्तरीय साहित्यिक कविताओं की 11 पुस्तकों का प्रकाशन, स्वरचित सूक्तियों पर 3 पुस्तकों, शिक्षा सम्बन्धित 4 पुस्तकों का प्रकाशन। 'इंडिया टुडे' एवं 'आउटलुक' जैसी पत्रिकाओं में भी इनकी समीक्षाएँ एवं कविताएँ छपी हैं। देश की लगभग सारी स्तरीय साहित्यिक पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित जैसे हंस, वागर्थ, आलोचना, परिकथा, जनसत्ता, कथन, कविकुम्भ, किस्सा कोताह, आधारशिला, मन्तव्य, समय सुरभि अनन्त, वर्तमान साहित्य, दोआबा, दस्तावेज़, नवनिकष, दैनिक जागरण, प्रभात ख़बर, बहुमत, ककसाड़, दैनिक भास्कर आदि। पिछले 9 वर्षों से लगातार 'मरुधर के स्वर' रंगीन पत्रिका का सम्पादन कर रहे हैं, जो आर्ट पेपर पर छपती है। 'हिन्दी सेवी सम्मान', 'समाज रत्न', 'सुरभि सम्मान', 'अक्षर कुम्भ सम्मान्', 'संकल्प साहित्य शिरोमणि सम्मान', 'जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान', 'झारखंड बिहार प्रदेश माहेश्वरी सभा सम्मान', 'हिन्दी सेवी शताब्दी सम्मान' देश की ख्याति प्राप्त संस्था बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना द्वारा महामहिम राज्यपाल के कर-कमलों द्वारा दिया गया। यात्रा के बेहद शौकीन तथा अब तक 14 देशों की यात्रा कर चुके हैं। निजी पुस्तकालय में साहित्य एवं अन्य विषयों पर क़रीब 5000 पुस्तकें संग्रहीत।

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