Atmajayee

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
कुँवर नारायण
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
कुँवर नारायण
Language:
Hindi
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Paperback

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आत्मजयी – आत्मजयी ने हिन्दी साहित्य के मानक खंड-काव्य के रूप में अपनी एक ख़ास जगह बनायी है और यह अखिल भारतीय स्तर पर प्रशंसित एक असाधारण कृति है। आत्मजयी का मूल कथासूत्र कठोपनिषद् में नचिकेता के प्रसंग पर आधारित है। इस आख्यान के पुराकथात्मक पक्ष को कवि ने आज के मनुष्य की जटिल मनःस्थितियों को एक बेहतर अभिव्यक्ति देने का अपूर्व साधन बनाया है। आत्मजयी मूलतः मनुष्य की रचनात्मक सामर्थ्य में आस्था की पुनःप्राप्ति की कहानी है। इसमें आधुनिक मनुष्य की जटिल नियति से एक गहरा काव्यात्मक साक्षात्कार है—कवि ने जिन समस्याओं और प्रश्नों से मुठभेड़ की है उनका सार्वत्रिक महत्त्व है।

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Description

आत्मजयी – आत्मजयी ने हिन्दी साहित्य के मानक खंड-काव्य के रूप में अपनी एक ख़ास जगह बनायी है और यह अखिल भारतीय स्तर पर प्रशंसित एक असाधारण कृति है। आत्मजयी का मूल कथासूत्र कठोपनिषद् में नचिकेता के प्रसंग पर आधारित है। इस आख्यान के पुराकथात्मक पक्ष को कवि ने आज के मनुष्य की जटिल मनःस्थितियों को एक बेहतर अभिव्यक्ति देने का अपूर्व साधन बनाया है। आत्मजयी मूलतः मनुष्य की रचनात्मक सामर्थ्य में आस्था की पुनःप्राप्ति की कहानी है। इसमें आधुनिक मनुष्य की जटिल नियति से एक गहरा काव्यात्मक साक्षात्कार है—कवि ने जिन समस्याओं और प्रश्नों से मुठभेड़ की है उनका सार्वत्रिक महत्त्व है।

About Author

कुँवर नारायण - आज के हिन्दी साहित्यिक परिदृश्य को दूर तक प्रभावित करनेवाले विशिष्ट कवि कुँवर नारायण (जन्म:1927, मृत्यु:1917) लगभग आधी सदी से लेखन में सक्रिय हैं। कविता के साथ ही लगातार विभिन्न साहित्यिक, वैचारिक और सांस्कृतिक विषयों पर भी महत्त्वपूर्ण लेखन कर रहे हैं। कई पत्रिकाओं के सम्पादन और विभिन्न सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े रहे हैं। उनकी अनेक कृतियों के भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। प्रकाशित कृतियाँ: चक्रव्यूह, परिवेश हम-तुम, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों (कविता-संग्रह)। आत्मजयी (खण्ड-काव्य), वाजश्रवा के बहाने (काव्य)। आकारों के आसपास (कहानी-संग्रह)। आज और आज से पहले, मेरे साक्षात्कार, साहित्य के कुछ अन्तर्विषयक सन्दर्भ (समीक्षा/विचार)।

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