Hum Bhrashtan Ke Bhrashta Hamare

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
शरद जोशी
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
शरद जोशी
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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144

हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे –
हिन्दी व्यंग्य-लेखन में जिन रचनाकारों को सर्वाधिक लोकप्रियता हासिल हुई है, उनमें से एक नाम है शरद जोशी। व्यंग्य को समृद्ध बनाने में, गुणवत्ता में भी और परिमाण में भी, एवं उसे साहित्य का दर्जा दिलाने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
श्री जोशी ने ना-कुछ विषयों को लेकर आज के गम्भीर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मसलों तक की बाक़ायदा ख़बर ली है। वे अनेक पत्र-पत्रिकाओं के स्तम्भ-लेखक रहे हैं। रोज़मर्रा के विषयों में उनकी प्रतिक्रिया इतनी सटीक है कि पाठक का आन्तरिक भावलोक उमग उठे बिना नहीं रहता।
प्रस्तुत कृति ‘हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे’ में उनके व्यंग्य लेखों के विशाल संग्रह से साभिप्राय चुनी गयी रचनाएँ संकलित हैं। वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक सन्दर्भ में इन लेखों की सार्थकता और भी बढ़ जाती है।

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Description

हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे –
हिन्दी व्यंग्य-लेखन में जिन रचनाकारों को सर्वाधिक लोकप्रियता हासिल हुई है, उनमें से एक नाम है शरद जोशी। व्यंग्य को समृद्ध बनाने में, गुणवत्ता में भी और परिमाण में भी, एवं उसे साहित्य का दर्जा दिलाने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
श्री जोशी ने ना-कुछ विषयों को लेकर आज के गम्भीर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मसलों तक की बाक़ायदा ख़बर ली है। वे अनेक पत्र-पत्रिकाओं के स्तम्भ-लेखक रहे हैं। रोज़मर्रा के विषयों में उनकी प्रतिक्रिया इतनी सटीक है कि पाठक का आन्तरिक भावलोक उमग उठे बिना नहीं रहता।
प्रस्तुत कृति ‘हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे’ में उनके व्यंग्य लेखों के विशाल संग्रह से साभिप्राय चुनी गयी रचनाएँ संकलित हैं। वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक सन्दर्भ में इन लेखों की सार्थकता और भी बढ़ जाती है।

About Author

शरद जोशी - प्रबद्ध, स्वतन्त्र और बेबाक पत्रकार एवं व्यंग्यकार शरद जोशी का जन्म 21 मई, 1931 को उज्जैन, म.प्र. में हुआ था। पत्रकारिता, आकाशवाणी और सरकारी नौकरी के बाद उन्होंने लेखन को ही अपना जीवन बना लिया। 'नई दुनिया' से उन्होंने लेखन की शुरुआत की। 1980 में 'हिन्दी एक्सप्रेस' के सम्पादन का दायित्व सम्भाला। बाद में 'नवभारत टाइम्स' में दैनिक व्यंग्य लिखकर वे देशभर में चर्चित हो गये। गद्य (व्यंग्य) को कविता की तरह पढ़कर कवि-सम्मेलनों में मंच लूटने की भी उन्होंने महारत हासिल की। शरद जोशी की प्रमुख कृतियाँ हैं— 'जीप पर सवार इल्लियाँ', 'रहा किनारे बैठ', 'मेरी श्रेष्ठ रचनाएँ', 'पिछले दिनों', 'किसी बहाने', 'परिक्रमा', 'यथासम्भव', 'यत्र तत्र सर्वत्र' और 'हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे'। अन्तिम तीन व्यंग्य-संग्रह भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित। कुछेक व्यंग्य-नाटक भी चर्चित और मंचित हुए हैं। उन्होंने दूरदर्शन के लिए धारावाहिकों के अलावा फ़िल्मी संवाद भी लिखे। 1989 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्मश्री' से अलंकृत किया। 5 सितम्बर, 1991 को उनका देहावसान हो गया।

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