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Ajneya Rachanawali (Volume-11)
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Ajneya Rachanawali (Volume-10)
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
कृष्णदत्त पालीवाल
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
कृष्णदत्त पालीवाल
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
SKU
9789326352260
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
440
अज्ञेय रचनावली-10
अज्ञेय एक ऐसे विलक्षण और विदग्ध रचनाकार हैं, जिन्होंने भारतीय भाषा और साहित्य को भारतीय आधुनिकता और प्रयोगधर्मिता से सम्पन्न किया है: तथा बीसवीं सदी की मूलभूत अवधारणा ‘स्वतन्त्रता’ को अपने सृजन और चिन्तन में केन्द्रीय स्थान दिया है। उनकी यह भारतीय आधुनिकता उन्हें न सिर्फ़ हिन्दी, बल्कि समूचे भारतीय साहित्य का एक ‘क्लासिक’ बनाती है। विद्रोही और प्रश्नाकुल रचनाकार अज्ञेय ने कविता, उपन्यास, कहानी, निबन्ध, नाटक, आलोचना, डायरी, यात्रा वृत्तान्त, संस्मरण, सम्पादन, अनुवाद, व्यस्थापन, पत्रकारिता आदि विधाओं में लेखन किया है। उनके क्रान्तिकारी चिन्तन ने प्रयोगवाद, नयी कविता और समकालीन सृजन में निरन्तर नये प्रयोगों से नये सृजन के प्रतिमान निर्मित किये हैं। जड़ीभूत एवं रूढ़ जीवन-मूल्यों से खुला विद्रोह करते हुए इस साधक ने जिन नयी राहों का अन्वेषण किया, वे असहमति और विरोध का मुद्दा भी बनीं, लेकिन आज स्थिति यह है कि अज्ञेय को ठीक से समझे बिना नयी पीढ़ी के रचनाकर्म के संकट का आकलन करना ही मुश्किल है।
‘अज्ञेय रचनावली’ में अज्ञेय का तमाम क्षेत्रों में किया गया विपुल लेखन पहली बार एक जगह समग्र रूप में संकलित है। अज्ञेय जन्म-शताब्दी के इस ऐतिहासिक अवसर पर हिन्दी के मर्मज्ञ और प्रसिद्ध आलोचक प्रो. कृष्णदत्त पालीवाल के सम्पादन में यह कार्य विधिवत सम्पन्न हुआ। आशा है, हिन्दी साहित्य के शोधार्थियों एवं अध्येताओं के लिए अज्ञेय की सम्पूर्ण रचना सामग्री एक ही जगह एक साथ उपलब्ध हो सकेगी।
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Description
अज्ञेय रचनावली-10
अज्ञेय एक ऐसे विलक्षण और विदग्ध रचनाकार हैं, जिन्होंने भारतीय भाषा और साहित्य को भारतीय आधुनिकता और प्रयोगधर्मिता से सम्पन्न किया है: तथा बीसवीं सदी की मूलभूत अवधारणा ‘स्वतन्त्रता’ को अपने सृजन और चिन्तन में केन्द्रीय स्थान दिया है। उनकी यह भारतीय आधुनिकता उन्हें न सिर्फ़ हिन्दी, बल्कि समूचे भारतीय साहित्य का एक ‘क्लासिक’ बनाती है। विद्रोही और प्रश्नाकुल रचनाकार अज्ञेय ने कविता, उपन्यास, कहानी, निबन्ध, नाटक, आलोचना, डायरी, यात्रा वृत्तान्त, संस्मरण, सम्पादन, अनुवाद, व्यस्थापन, पत्रकारिता आदि विधाओं में लेखन किया है। उनके क्रान्तिकारी चिन्तन ने प्रयोगवाद, नयी कविता और समकालीन सृजन में निरन्तर नये प्रयोगों से नये सृजन के प्रतिमान निर्मित किये हैं। जड़ीभूत एवं रूढ़ जीवन-मूल्यों से खुला विद्रोह करते हुए इस साधक ने जिन नयी राहों का अन्वेषण किया, वे असहमति और विरोध का मुद्दा भी बनीं, लेकिन आज स्थिति यह है कि अज्ञेय को ठीक से समझे बिना नयी पीढ़ी के रचनाकर्म के संकट का आकलन करना ही मुश्किल है।
‘अज्ञेय रचनावली’ में अज्ञेय का तमाम क्षेत्रों में किया गया विपुल लेखन पहली बार एक जगह समग्र रूप में संकलित है। अज्ञेय जन्म-शताब्दी के इस ऐतिहासिक अवसर पर हिन्दी के मर्मज्ञ और प्रसिद्ध आलोचक प्रो. कृष्णदत्त पालीवाल के सम्पादन में यह कार्य विधिवत सम्पन्न हुआ। आशा है, हिन्दी साहित्य के शोधार्थियों एवं अध्येताओं के लिए अज्ञेय की सम्पूर्ण रचना सामग्री एक ही जगह एक साथ उपलब्ध हो सकेगी।
About Author
कृष्णदत्त पालीवाल -
जन्म: 4 मार्च, 1948 को सिकन्दरपुर, ज़िला फ़र्रुख़ाबाद (उ.प्र.) में।
प्रकाशन: भवानी प्रसाद मिश्र का काव्य-संसार, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का चिन्तन जगत्, मैथिलीशरण गुप्त : प्रासंगिकता के अन्तःसूत्र सुमित्रानन्दन पन्त, डॉ. अम्बेडकर और समाज व्यवस्था, सीय राममय सब जग जानी, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना, हिन्दी आलोचना के नये वैचारिक सरोकार, गिरिजा कुमार माथुर, जापान में कुछ दिन, डॉ. अम्बेडकर : समाज व्यवस्था और दलित साहित्य, उत्तर आधुनिकता की ओर, उत्तर-आधुनिकतावाद और दलित साहित्य, नवजागरण और महादेवी वर्मा का रचनाकर्मः स्त्री-विमर्श के स्वर, अज्ञेय : कवि कर्म का संकट, निर्मल वर्मा (विनिबन्ध), दलित साहित्य : बुनियादी सरोकार, निर्मल वर्मा : उत्तर औपनिवेशिक विमर्श।
लक्ष्मीकान्त वर्मा की चुनी हुई रचनाएँ, मैथिलीशरण गुप्त ग्रन्थावली का सम्पादन।
पुरस्कार\सम्मान: हिन्दी अकादमी पुरस्कार, दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन सम्मान, तोक्यो विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय, जापान द्वारा प्रशस्ति पत्र, राममनोहर लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान, सुब्रह्मण्यम भारती सम्मान, साहित्यकार सम्मान, विश्व हिन्दी सम्मान, विश्व हिन्दी सम्मेलन, न्यूयॉर्क में सम्मानित।
निधन: 8 फ़रवरी, 2015।
लेखक - सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय
(7 मार्च 1911 - 4 अप्रैल 1987)
मानव मुक्ति एवं स्वाधीन चिन्तन के अग्रणी कवि-कथाकार, आलोचक-सम्पादक।
कुशीनगर, देवरिया (उ.प्र.) में एक पुरातत्त्व उत्खनन शिविर में जन्म। बचपन लखनऊ, पटना, मद्रास, लाहौर में। बी.एससी लाहौर से।
1924 में पहली कहानी व 1927 में पहली कविता का लेखन। इस बीच हिन्दुस्तान रिपब्लिक आर्मी के चन्द्रशेखर आज़ाद, सुखदेव और भगवतीचरण बोहरा से सम्पर्क। क्रान्तिकारी जीवन। दिल्ली में हिमालयन टॉयलेट फैक्ट्री के पर्दे में बम बनाने का कार्य। 15 नवम्बर, 1930 में गिरफ़्तारी, जेलयात्रा। इसी यातना काल में 'चिन्ता' एवं 'शेखर : एक जीवनी' की रचना। जैनेन्द्र कुमार, प्रेमचन्द, मैथिलीशरण गुप्त, रायकृष्ण दास से सम्पर्क बढ़ा।
प्रकाशन: सोलह कविता-संग्रह, आठ कहानी-संग्रह, तीन उपन्यास, दो उपन्यास अधूरे तथा एक प्रयोगशील उपन्यास मित्रों के साथ। 'तार सप्तक' (1943) के प्रकाशन के साथ साहित्य में तमाम नयी सोच से भारी बहसों का आरम्भ। 'सैनिक', 'विशाल भारत', 'दिनमान', 'प्रतीक' आदि अनेक पत्रिकाओं का सम्पादन।
साहित्य अकादेमी पुरस्कार, भारत-भारती पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार एवं अन्तर्राष्ट्रीय गोल्डन रीथ पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। एक साहसी यायावर के नाते यूरोप, अमेरिका, एशिया कई देशों में व्याख्यान एवं अन्य साहित्यिक आयोजन।
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