Oh These Rehnumas 231

Save: 30%

Back to products
Prarabdha 245

Save: 30%

Parmanu, Agar Parinde Hote ?

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
राजेश जैन
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
राजेश जैन
Language:
Hindi
Format:
Hardback

175

Save: 30%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789390659913 Category
Category:
Page Extent:
120

परमाणु, अगर परिन्दे होते? –
आज के ‘प्रौद्योगिक-आध्यात्मिकता’ (टेकनो-स्प्रिच्युल) युग में साहित्य को समाज का मात्र दर्पण ही नहीं, वरन ‘बुद्धिमान-दर्पण’ (इंटेलीजेंट मिरर) कहा जाता है अर्थात उसमें समाज की जीवन्त छवि का समावेश होता है इस परिप्रेक्ष्य में अगर कविताओं के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण भी अपनी सम्पूर्ण संवेदनाओं के साथ साहित्य (शब्द-ऊर्जा संसार) मंक प्रवेश करते हैं, तो ‘परमाणु, अगर परिन्दे होते?’ जैसी अप्रतिम कृतियाँ सामने आती हैं।
हिन्दी के वरिष्ठ इंजीनियर-साहित्यकार राजेश जैन द्वारा रची गयी इस संग्रह की कविताएँ और लम्बी भूमिका, अभिव्यक्ति के एक सर्वधा नये आयाम को पहली बार उजागर करती हैं। ‘रौशनी के खेतों में’, ‘जिनांजलि’ तथा ‘शब्द-शिला’ के बाद यह उनका चौथा कविता-संग्रह है।
उलेखनीय है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित अद्वितीय रचनात्मक साहित्य के अन्तर्गत राजेश जैन, पूर्व में सैकड़ों कहानियाँ, नाटक (वायरस, चिमनी चोगा, कोयला चला हंस की चाल आदि), उपन्यास (बाँध वध, बर्ड हिट, सूरज में खरोंच और टावर ऑन द टेरेस), व्यंग्य और बाल-साहित्य भी लिख चुके हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Parmanu, Agar Parinde Hote ?”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

परमाणु, अगर परिन्दे होते? –
आज के ‘प्रौद्योगिक-आध्यात्मिकता’ (टेकनो-स्प्रिच्युल) युग में साहित्य को समाज का मात्र दर्पण ही नहीं, वरन ‘बुद्धिमान-दर्पण’ (इंटेलीजेंट मिरर) कहा जाता है अर्थात उसमें समाज की जीवन्त छवि का समावेश होता है इस परिप्रेक्ष्य में अगर कविताओं के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण भी अपनी सम्पूर्ण संवेदनाओं के साथ साहित्य (शब्द-ऊर्जा संसार) मंक प्रवेश करते हैं, तो ‘परमाणु, अगर परिन्दे होते?’ जैसी अप्रतिम कृतियाँ सामने आती हैं।
हिन्दी के वरिष्ठ इंजीनियर-साहित्यकार राजेश जैन द्वारा रची गयी इस संग्रह की कविताएँ और लम्बी भूमिका, अभिव्यक्ति के एक सर्वधा नये आयाम को पहली बार उजागर करती हैं। ‘रौशनी के खेतों में’, ‘जिनांजलि’ तथा ‘शब्द-शिला’ के बाद यह उनका चौथा कविता-संग्रह है।
उलेखनीय है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित अद्वितीय रचनात्मक साहित्य के अन्तर्गत राजेश जैन, पूर्व में सैकड़ों कहानियाँ, नाटक (वायरस, चिमनी चोगा, कोयला चला हंस की चाल आदि), उपन्यास (बाँध वध, बर्ड हिट, सूरज में खरोंच और टावर ऑन द टेरेस), व्यंग्य और बाल-साहित्य भी लिख चुके हैं।

About Author

राजेश जैन - जन्म: 16 जुलाई, 1949। शिक्षा: इंजीनियरिंग, प्रबन्धन और ऊर्जा-अंकेक्षक। कृतियाँ —उपन्यास : गीली धूप, बाँध-वध, बर्ड हिट, सूरज में खरोंच, टावर ऑन द टेरेस, सुरंग में गुफाएँ; कथा संग्रह : बिके हुए सन्दर्भ, झूठे आकाश, काला तोता, एक हाँफती हुई शाम, अन्धी रौशनी, हाथी दाँत का चश्मा, द कंक्रीट बुद्धा, राजेश जैन की 21 कहानियाँ, राजेश जैन : श्रेष्ठ कहानियाँ (एनबीटी); नाटक : चिन्दी मास्टर, चिमनी चोगा, वायरस, कोयला चला हंस की चाल, विष वंश, धक्का पम्प, गणित देवता, चप्पल कांड; व्यंग्य संग्रह : घर अनार मोहल्ला बीमार, व्यंग्यासन; कविता-संग्रह : रौशनी के खेतों में, शब्द शिला, जिनांजलि और परमाणु, अगर परिन्दे होते? ललित निबन्ध : ऊर्जा-विहार, ऊर्जा-बोध, समय का ऊर्जा-राग एवं नेनो-टेक्नोलाजी, ईश्वर की आत्मकथा (प्रौद्योगिक-आध्यात्मिकता आधारित नवचिन्तन); यात्रा संस्मरण : पैर, पहिये और पंख; सम्पादन : अंकुर (नये कवियों की नयी कविताएँ), यन्त्र-सप्तक, कथा-ऊर्जा.कॉम, वैशालिक की छाया में, कॉर्पोरेट कथाएँ। पुरस्कार और सम्मान: हिन्दी अकादमी दिल्ली, कृति एवं ज्ञान-प्रौद्योगिकी सम्मान, म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल, ऊर्जा मन्त्रालय भारत सरकार, चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट दिल्ली, आर्य स्मृति सम्मान किताबघर दिल्ली, अनुपम बाल साहित्य पुरस्कार, सीम (SEEM) नेशनल एनर्जी मैनेजमेंट अवार्ड-2020। टेलीविजन: 'रजनी' सीरियल एक कथा पटकथा, चंदाखोर (नाटक)।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Parmanu, Agar Parinde Hote ?”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED