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Bharat Ke Ratna
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
नीरज चंद्राकर अरुमित्र
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
नीरज चंद्राकर अरुमित्र
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹150 ₹149
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In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789387919884
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
72
भारत के रत्न –
कैरियर का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ अपवाद न हों, लेकिन समाज की सोच को रेखांकित करने के लिए फ़िल्मी दुनिया, क्रिकेट, राजनीति चकाचौंध के ऐसे क्षेत्र हैं, जिनका आकर्षण सर्वाधिक है, जो आज समाज में सर्वाधिक सम्मानित हैं, इसलिए यह हमारी आशाओं-आकांक्षाओं को उभार कर दिखा पाती है। इसके विपरीत फ़ौजी सैनिक, कहीं अधिक विपरीत परिस्थितियों से जूझता, अपना अनिश्चय भरा भविष्य गढ़ने का प्रयास करता रहता है। अनिश्चय सिर्फ़ सफलता-असफलता का नहीं, बल्कि जीवन-मृत्यु का।
समाज के सच का, ओझल सा, किन्तु दूसरा सकारात्मक पहलू भी है। निष्ठा, कर्तव्यपरायणता, देशप्रेम जैसी भावना, जो पुरस्कार प्रसिद्धि के महत्त्व को स्वीकारते हुए भी उसे प्राथमिक नहीं मानती। ऐसे युवा भी कम नहीं जो त्याग, समर्पण, सेवा को सर्वस्व मानते हुए अपने क्षणिक सुखों को ही नहीं, जीवन भी न्यौछावर करने को तैयार रहते हैं। समाज और ‘बाज़ार’ के लिए सफलता की चकाचौंध का बोलबाला चहुँ ओर दिखाई देता है, मगर हमारा समाज सकारात्मक सोच और कर्म से ही टिका हुआ है, जिसका प्रतीक हमारे फ़ौजी सैनिक, कर्मयोद्धा है, जिनके साथ भविष्य की पवित्र और उज्ज्वल आशा सम्भावना भी है।—किताब की भूमिका से
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Description
भारत के रत्न –
कैरियर का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ अपवाद न हों, लेकिन समाज की सोच को रेखांकित करने के लिए फ़िल्मी दुनिया, क्रिकेट, राजनीति चकाचौंध के ऐसे क्षेत्र हैं, जिनका आकर्षण सर्वाधिक है, जो आज समाज में सर्वाधिक सम्मानित हैं, इसलिए यह हमारी आशाओं-आकांक्षाओं को उभार कर दिखा पाती है। इसके विपरीत फ़ौजी सैनिक, कहीं अधिक विपरीत परिस्थितियों से जूझता, अपना अनिश्चय भरा भविष्य गढ़ने का प्रयास करता रहता है। अनिश्चय सिर्फ़ सफलता-असफलता का नहीं, बल्कि जीवन-मृत्यु का।
समाज के सच का, ओझल सा, किन्तु दूसरा सकारात्मक पहलू भी है। निष्ठा, कर्तव्यपरायणता, देशप्रेम जैसी भावना, जो पुरस्कार प्रसिद्धि के महत्त्व को स्वीकारते हुए भी उसे प्राथमिक नहीं मानती। ऐसे युवा भी कम नहीं जो त्याग, समर्पण, सेवा को सर्वस्व मानते हुए अपने क्षणिक सुखों को ही नहीं, जीवन भी न्यौछावर करने को तैयार रहते हैं। समाज और ‘बाज़ार’ के लिए सफलता की चकाचौंध का बोलबाला चहुँ ओर दिखाई देता है, मगर हमारा समाज सकारात्मक सोच और कर्म से ही टिका हुआ है, जिसका प्रतीक हमारे फ़ौजी सैनिक, कर्मयोद्धा है, जिनके साथ भविष्य की पवित्र और उज्ज्वल आशा सम्भावना भी है।—किताब की भूमिका से
About Author
नीरज चन्द्राकर 'अरूमित्रा' -
नीरज चन्द्राकर का जन्म 21 जनवरी, 1975 को वर्तमान छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले के कुरूद नामक क़स्बा में हुआ। छोटा क़स्बा होने के कारण वहाँ पर सिर्फ़ शासकीय स्कूल था, जहाँ हिन्दी माध्यम से पढ़ाई होती थी। क़स्बा में एक भी अंग्रेज़ी माध्यम का स्कूल नहीं था। शासकीय स्कूल से बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के उपरान्त शासकीय महाविद्यालय कुरूद से बी.ए. की डिग्री हासिल की। यद्यपि पूरी पढ़ाई हिन्दी माध्यम से की। इसके उपरान्त भी पिताजी की इच्छानुसार रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. की डिग्री हासिल की। इसके उपरान्त इतिहास विषय पर एम.ए. की डिग्री हासिल की। वर्ष 2003 की छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में प्रथम प्रयास में ही उप पुलिस अधीक्षक के पद पर चयनित हुए। लेखक वर्तमान में छत्तीसगढ़ पुलिस में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
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