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Spandan : Shunya Se Shunya Ke Madhya
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
स्नेहा देव
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
स्नेहा देव
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹450 ₹315
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ISBN:
SKU
9789387919242
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
88
स्पन्दन –
कथयत्री स्नेहा देव ने जीवन के तमाम पहलुओं को बहुत ही संवेदनशीलता से महसूस किया है और उन्हें शब्दों के माध्यम से कविता की शक्ल में उतारा है। इन कविताओं में स्त्री के अन्तर्मन की तमाम परतें खुलती चलती हैं। ये कविताएँ हमारे मन-मस्तिष्क पर लम्बे समय तक विचरण करती हैं। इस कविता संग्रह के लिए स्नेहा देव की बहुत-बहुत बधाई। —सविता देवी महाराज
‘स्पन्दन’ की कविताएँ और इसमें शामिल चित्र स्त्री-जगत के नये मनोभावों को बहुत ही सुन्दरता से व्यक्त करती हैं। कवयित्री स्नेहा ने चित्रों के माध्यम से भी कविता उकेरने की कोशिश की है। स्नेहा को उज्ज्वल लेखकीय भविष्य की शुभकामनाएँ। —अविनाश पसरीचा
‘स्पन्दन’ पढ़ के यूँ लगा कि ये कविताएँ बात करती हैं आपसे, किसी पुराने दोस्त की तरह वो सारी बातें जो सबसे ज़रूरी थीं और अचानक आधी रह गयी कहीं, वो सारी बातें बहुत सहज भाषा और विचार में। —अनुभव सिन्हा
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Description
स्पन्दन –
कथयत्री स्नेहा देव ने जीवन के तमाम पहलुओं को बहुत ही संवेदनशीलता से महसूस किया है और उन्हें शब्दों के माध्यम से कविता की शक्ल में उतारा है। इन कविताओं में स्त्री के अन्तर्मन की तमाम परतें खुलती चलती हैं। ये कविताएँ हमारे मन-मस्तिष्क पर लम्बे समय तक विचरण करती हैं। इस कविता संग्रह के लिए स्नेहा देव की बहुत-बहुत बधाई। —सविता देवी महाराज
‘स्पन्दन’ की कविताएँ और इसमें शामिल चित्र स्त्री-जगत के नये मनोभावों को बहुत ही सुन्दरता से व्यक्त करती हैं। कवयित्री स्नेहा ने चित्रों के माध्यम से भी कविता उकेरने की कोशिश की है। स्नेहा को उज्ज्वल लेखकीय भविष्य की शुभकामनाएँ। —अविनाश पसरीचा
‘स्पन्दन’ पढ़ के यूँ लगा कि ये कविताएँ बात करती हैं आपसे, किसी पुराने दोस्त की तरह वो सारी बातें जो सबसे ज़रूरी थीं और अचानक आधी रह गयी कहीं, वो सारी बातें बहुत सहज भाषा और विचार में। —अनुभव सिन्हा
About Author
स्नेहा देव -
अपने जज़्बातों को कविता के माध्यम से व्यक्त करती हैं। बात कविता से न बनें तो पेंटिंग भी करती हैं। मितभाषी कवयित्री स्नेहा देव अपनी कविताओं में स्त्री हृदय की मनोभावनाओं और उनकी आकांक्षाओं की बड़ी शिद्दत से पेश करती हैं। कला स्नातक स्नेहा देव अपनी कविताओं के ज़रिये जीवन के उन सभी अनुभवों को विस्तार देती हैं जो स्त्री के एक परिधि बोध से उपजी हैं। जीवन के अलग-अलग पड़ावों और परिस्थितियों के गर्भ से उपजी इनकी कविताओं में सम्भावना के असीम और पहली कविता संग्रह के साथ इस नवोदित कवयित्री का हिन्दी जगत में स्वागत किया जाना चाहिए।
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