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Stri Sahitya Aur Novel Purashkaar

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
विजय शर्मा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
विजय शर्मा
Language:
Hindi
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Hardback

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SKU 9789326352505 Category
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Page Extent:
260

स्त्री, साहित्य और नोबेल पुरस्कार –
लेखन उपलब्धि लाता है। अस्तित्व निर्मित करता है। लेकिन स्त्री को प्रारम्भ से साहित्य में रहते हुए भी साहित्यकार का दर्जा कुछ बाद में मिला।
जब 1900 में नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत हुई थी तब काफ़ी समय तक समिति ने किसी महिला रचनाकार को पुरस्कार के योग्य नहीं समझा गया। पुरस्कारों के पहले दशक में मात्र एक स्त्री रचनाकार सलेमा लेगरलॉफ को 1909 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1909 के बाद दूसरा नोबेल पुरस्कार स्त्री रचनाकार को 1926 में मिल पाया। इसी तरह अंडसेट तथा पर्ल बक को नोबेल पुरस्कार मिलने के बीच दस साल का अन्तराल है। और ग्रैब्रिएला मिस्त्राल को 1946 पुरस्कार देकर समिति फिर भूल गयी इस बात को कि स्त्रियाँ भी लिख रही हैं। उसे दो दशकों के बाद पुरस्कार के लिए नेली जॉक्स जचीं मगर अकेले नहीं, एक यहूदी लेखक के साथ। नोबेल पुरस्कारों के 109 साल के इतिहास में मात्र 12 महिलाओं को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
स्त्री रसोई, बच्चों, मेहमानों और पति के साथ सोने वाले कमरे में बैठकर लिखती है। इस तरह लिखते हुए भी वह घर का हिस्सा बनी रहती है। प्रोत्साहन मिले या न मिले, मगर स्त्री लिखती जाती है। इस प्रकार स्त्री रचनाकार अपने परिवार से सम्बद्ध रहकर देश के प्रति भी कृतज्ञ है। जिस देश की मिट्टी पानी हवा से इन्होंने लिखना सीखा, उसे भी वे नहीं भूली हैं।
स्त्रियों की इस जीवट छवि को रेखांकित करनेवाली अपने तरह की एक महत्त्वपूर्ण कृति।

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Description

स्त्री, साहित्य और नोबेल पुरस्कार –
लेखन उपलब्धि लाता है। अस्तित्व निर्मित करता है। लेकिन स्त्री को प्रारम्भ से साहित्य में रहते हुए भी साहित्यकार का दर्जा कुछ बाद में मिला।
जब 1900 में नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत हुई थी तब काफ़ी समय तक समिति ने किसी महिला रचनाकार को पुरस्कार के योग्य नहीं समझा गया। पुरस्कारों के पहले दशक में मात्र एक स्त्री रचनाकार सलेमा लेगरलॉफ को 1909 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1909 के बाद दूसरा नोबेल पुरस्कार स्त्री रचनाकार को 1926 में मिल पाया। इसी तरह अंडसेट तथा पर्ल बक को नोबेल पुरस्कार मिलने के बीच दस साल का अन्तराल है। और ग्रैब्रिएला मिस्त्राल को 1946 पुरस्कार देकर समिति फिर भूल गयी इस बात को कि स्त्रियाँ भी लिख रही हैं। उसे दो दशकों के बाद पुरस्कार के लिए नेली जॉक्स जचीं मगर अकेले नहीं, एक यहूदी लेखक के साथ। नोबेल पुरस्कारों के 109 साल के इतिहास में मात्र 12 महिलाओं को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
स्त्री रसोई, बच्चों, मेहमानों और पति के साथ सोने वाले कमरे में बैठकर लिखती है। इस तरह लिखते हुए भी वह घर का हिस्सा बनी रहती है। प्रोत्साहन मिले या न मिले, मगर स्त्री लिखती जाती है। इस प्रकार स्त्री रचनाकार अपने परिवार से सम्बद्ध रहकर देश के प्रति भी कृतज्ञ है। जिस देश की मिट्टी पानी हवा से इन्होंने लिखना सीखा, उसे भी वे नहीं भूली हैं।
स्त्रियों की इस जीवट छवि को रेखांकित करनेवाली अपने तरह की एक महत्त्वपूर्ण कृति।

About Author

विजय शर्मा - जन्म: 2 नवम्बर, 1952, गोरखपुर (उ.प्र.)। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), एम.ए. (एज्यूकेशन), प्रवासी साहित्य पर शोध। प्रकाशित कृतियाँ: 'अपनी धरती, अपना आकाश : नोबेल के मंच से', 'लौह शिकारी' (अनुवाद) तथा 'वॉल्ट डिज्नी : ऐनीमेशन का बादशाह'। राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक मुद्रित तथा ई-पत्रिकाओं में आलेख, पुस्तक-फ़िल्म समीक्षा अनुवाद प्रकाशित। आकाशवाणी से पुस्तक समीक्षा, कहानी तथा वार्ता प्रसारित। राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमीनार में शोध-पत्र पाठन, वर्कशॉप-सेमीनार संचालन। 'सहयोग' बहुभाषीय साहित्यिक संस्था की पूर्व अध्यक्ष। सम्मान : इस्पात मेल विजया साहित्य सम्मान, 2002 I

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