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Sarhad

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
लीलाधर मंडलोई
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
लीलाधर मंडलोई
Language:
Hindi
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Paperback

199

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10-12 Days

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Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789326354684 Category
Category:
Page Extent:
136

सरहद –
सरहद सिर्फ़ भौतिक उपस्थिति नहीं। वह राजनैतिक आकांक्षाओं से निर्मित इतिहास है। राजनीतिज्ञों के अपने तर्क हैं और अनीतिगत महत्त्वाकांक्षा का उनका अपना पहुँच मार्ग। असहमतियों को तर्कों के आधार पर जीवित रखने के स्वांग का नाम है सरहद। सरहद का अर्थ सरहद का जीवन और समाज मात्र नहीं। उसके आर-पार के देश के भीतर का जीवन, समाज भी है। कहा जा रहा है कि विकास के नाम पर लिये जा रहे क़र्ज़ की मोटी पूँजी हथियारों के ख़रीद में जा रही है या फिर अलगाववादियों को पालने-पोसने में। सरहद का सम्बन्ध तेल, अस्त्र-शस्त्र, परमाणु हथियार, ड्रग माफ़िया, तस्कर और ज़ेहादियों आदि से गहरे तक जुड़ा है शान्ति के स्वप्न को छिन्न-भिन्न करता। दिलचस्प है इस सरहदी तनाव को लेकर राजनैतिक पार्टियाँ चुप हैं। उनके घोषित एजेंडे में यह विषय विदेश नीति की दृष्टि से भी अनुपस्थित है। महाप्रभुओं के प्रभुत्व में सरहदों पर जो इबारतें आज लिखी जा रही हैं उनका अर्थ कहीं तीसरे महायुद्ध में न खुले। यह आज की बड़ी चिन्ता है। रचनाकारों का आशय इससे भिन्न हो ही नहीं सकता। उनके लिखे में बेहतर दुनिया के स्वप्न थे, हैं और रहेंगे।

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Description

सरहद –
सरहद सिर्फ़ भौतिक उपस्थिति नहीं। वह राजनैतिक आकांक्षाओं से निर्मित इतिहास है। राजनीतिज्ञों के अपने तर्क हैं और अनीतिगत महत्त्वाकांक्षा का उनका अपना पहुँच मार्ग। असहमतियों को तर्कों के आधार पर जीवित रखने के स्वांग का नाम है सरहद। सरहद का अर्थ सरहद का जीवन और समाज मात्र नहीं। उसके आर-पार के देश के भीतर का जीवन, समाज भी है। कहा जा रहा है कि विकास के नाम पर लिये जा रहे क़र्ज़ की मोटी पूँजी हथियारों के ख़रीद में जा रही है या फिर अलगाववादियों को पालने-पोसने में। सरहद का सम्बन्ध तेल, अस्त्र-शस्त्र, परमाणु हथियार, ड्रग माफ़िया, तस्कर और ज़ेहादियों आदि से गहरे तक जुड़ा है शान्ति के स्वप्न को छिन्न-भिन्न करता। दिलचस्प है इस सरहदी तनाव को लेकर राजनैतिक पार्टियाँ चुप हैं। उनके घोषित एजेंडे में यह विषय विदेश नीति की दृष्टि से भी अनुपस्थित है। महाप्रभुओं के प्रभुत्व में सरहदों पर जो इबारतें आज लिखी जा रही हैं उनका अर्थ कहीं तीसरे महायुद्ध में न खुले। यह आज की बड़ी चिन्ता है। रचनाकारों का आशय इससे भिन्न हो ही नहीं सकता। उनके लिखे में बेहतर दुनिया के स्वप्न थे, हैं और रहेंगे।

About Author

लीलाधर मंडलोई - लीलाधर मंडलोई हिन्दी भाषा के लेखक और कवि हैं। मुख्य रूप से इनकी पहचान एक कवि के रूप में है हालाँकि इन्होंने विविध विधाओं में विपुल लेखन कार्य किया है।

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