SaleHardback
Saat Phere
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
चन्द्रकिशोर जयसवाल
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
चन्द्रकिशोर जयसवाल
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹680 ₹476
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10-12 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788126340354
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
830
सात फेरे –
‘सात फेरे’ वरिष्ठ कथाकार चन्द्रकिशोर जायसवाल का अत्यन्त रोचक उपन्यास है। रोचक इस अर्थ में कि लेखक ने कथासाहित्य के अनिवार्य तत्त्व ‘क़िस्सागोई’ का समकालीन प्रवृत्तियों के अनुसार अद्भुत प्रयोग किया है। कथारस को स्थितियों और पात्रों से जोड़कर चन्द्रकिशोर जायसवाल ने ‘सात फेरे’ की रचना की है। यह उपन्यास एक तिहाजू व्यक्ति की कथा है जो फिर एक विवाह करना चाहता है। इस कार्य में उसका सहायक बनता है एक ‘विस्थापित पुरोहित’। दोनों कन्याखोजी अभियान में बार-बार निकलते हैं और अन्तिम फेरे से पहले भाँति-भाँति की दुर्दशा करवाकर घर वापस आते हैं। विवाहाभिलाषी अधेड़ व्यक्ति की मनोदशा के साथ बिहार के एक विशेष अंचल के समाज शास्त्र को लेखक ने छोटे-छोटे महत्त्वपूर्ण विवरणों के साथ प्रस्तुत किया है। उपन्यास में लोकजीवन और उसके विविध लिखित-अलिखित पक्षों का वृत्तान्त इतना पठनीय है कि पूरी रचना पढ़कर ही पाठक को सन्तोष होता है। यह लेखकीय कुशलता है कि व्यंग्य-विनोद द्वारा आच्छादित कथा के बीच उसने स्मरणीय चरित्रों और विमर्शमूलक टिप्पणियों के लिए भी ‘स्पेस’ निकाल लिया है।
‘सात फेरे’ अद्भुत कथारस और विचित्र वर्णन पद्धति के लिए पाठकों की अपार प्रशंसा प्राप्त करेगा, ऐसा विश्वास है।
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Description
सात फेरे –
‘सात फेरे’ वरिष्ठ कथाकार चन्द्रकिशोर जायसवाल का अत्यन्त रोचक उपन्यास है। रोचक इस अर्थ में कि लेखक ने कथासाहित्य के अनिवार्य तत्त्व ‘क़िस्सागोई’ का समकालीन प्रवृत्तियों के अनुसार अद्भुत प्रयोग किया है। कथारस को स्थितियों और पात्रों से जोड़कर चन्द्रकिशोर जायसवाल ने ‘सात फेरे’ की रचना की है। यह उपन्यास एक तिहाजू व्यक्ति की कथा है जो फिर एक विवाह करना चाहता है। इस कार्य में उसका सहायक बनता है एक ‘विस्थापित पुरोहित’। दोनों कन्याखोजी अभियान में बार-बार निकलते हैं और अन्तिम फेरे से पहले भाँति-भाँति की दुर्दशा करवाकर घर वापस आते हैं। विवाहाभिलाषी अधेड़ व्यक्ति की मनोदशा के साथ बिहार के एक विशेष अंचल के समाज शास्त्र को लेखक ने छोटे-छोटे महत्त्वपूर्ण विवरणों के साथ प्रस्तुत किया है। उपन्यास में लोकजीवन और उसके विविध लिखित-अलिखित पक्षों का वृत्तान्त इतना पठनीय है कि पूरी रचना पढ़कर ही पाठक को सन्तोष होता है। यह लेखकीय कुशलता है कि व्यंग्य-विनोद द्वारा आच्छादित कथा के बीच उसने स्मरणीय चरित्रों और विमर्शमूलक टिप्पणियों के लिए भी ‘स्पेस’ निकाल लिया है।
‘सात फेरे’ अद्भुत कथारस और विचित्र वर्णन पद्धति के लिए पाठकों की अपार प्रशंसा प्राप्त करेगा, ऐसा विश्वास है।
About Author
चन्द्रकिशोर जायसवाल -
जन्म : 1940 ई., बिहारीगंज, मधेपुरा, बिहार।
शिक्षा : एम.ए. (अर्थशास्त्र)।
प्रकाशित कृतियाँ : 'गवाह ग़ैरहाज़िर', 'जीवछ का बेटा बुद्ध', 'शीर्षक', 'चिरंजीव', 'दाह', 'माँ', 'पलटनिया' (उपन्यास); 'मैं नहिं माखन खायो', 'मर गया दीपनाथ', 'हिंगवा घाट में पानी रे!', 'जंग', 'दुखिया दास कबीर', 'किताब में लिखा है', 'नकबेसर कागा ले भागा', 'तर्पण', 'आघातपुष्प' (कहानी-संग्रह); 'श्रृंगार', 'सिंहासन' (नाटक); 'आज कौन दिन है?', 'जवान की बन्दिश', 'शिक़स्त', 'त्राहिमाम्' (एकांकी)।
अन्य: राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम द्वारा 'गवाह ग़ैरहाज़िर' उपन्यास पर 'रुई का बोझ' शीर्षक से फ़िल्म निर्मित, दूरदर्शन द्वारा 'हिंगवा घाट में पानी रे!' कहानी का फ़िल्मांकन एवं प्रसारण।
पुरस्कार तथा सम्मान : रामवृक्ष बेनीपुरी सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, आनन्द सागर कथाक्रम सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् द्वारा साहित्य साधना सम्मान ।
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