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Baheliyon Ke Beech
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
श्यामल बिहारी महतो
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
श्यामल बिहारी महतो
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
SKU
8126311509
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
144
बहेलियों के बीच –
श्यामल बिहारी महतो की ये कहानियाँ श्रमिकों के जद्दोजहद भरे जीवन पर आधारित हैं, जिन्हें पानी पीने के लिए रोज़ कुआँ खोदना पड़ता है। लेकिन ज़िन्दगी के झंझावात यहीं ख़त्म नहीं होते। भूख और बीमारी के अलावा उन्हें जिस भयानक अन्याय का शिकार होना पड़ता है, वह है शोषण! श्रम के मुताबिक़ वाज़िब हक़ का न मिलना मज़दूर जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है। महतो की इन सभी कहानियों में इन्हीं भावनाओं को पंक्ति-दर-पंक्ति देखा जा सकता है। ज्ञातव्य है, कि लेखक का ख़ुद का जीवन भी अभिशाप-ग्रस्त रहा है। लेखक ने जिन अभावों और मुश्किलों में अपना जीवन गुज़ारा है और अपने आस-पास जो देखा-गुना है, उसे अपनी कहानियों में शब्दशः लिखने की कोशिश की है। ये कहानियाँ मज़दूर जीवन की भयावहता की गवाह हैं। इनकी सबसे बड़ी ख़ासियत है—शिल्प की अछूती रचनात्मकता। ये कहानियाँ दारुण व्यथाओं का ब्यौरा-भर नहीं हैं। संवेदनात्मक कथातत्त्व इन्हें गहराई प्रदान करता है। इनके रचना कौशल में सम्भावनाओं की नयी दिशा दिखायी देती है।
महतो की इन कहानियों को लेकर एक बात और स्पष्ट कर देनी चाहिए कि ये मात्र दलित जीवन की विषमता जनित कहानियाँ न होकर मज़दूर जीवन की निहंग रचनाएँ हैं। क्योंकि जिस तरह नेताओं, सामन्तों की कोई जाति नहीं होती, उसी तरह मज़दूरों की भी कोई जाति नहीं होती। अब जो नयी सामाजिकता विकसित हो रही है, वह भूमण्डलीकरण की शिकार भी है और उसके सारे कार्य व्यवहार जाति आधारित न होकर अर्थ-आधारित होते जा रहे हैं। जो सम्पन्न है वह उच्चवर्गीय सामन्त है और जो विपन्न है वह निम्नवर्गीय मज़दूर है। श्यामल बिहारी महतो की इन कहानियों में हालाँकि इस नयी सामाजिक विषमता की ओर खुला इशारा नहीं है लेकिन असमानता से उपजा शोषण इन कहानियों का एक अहम और ख़ास तत्त्व है।
इन कहानियों को पढ़ते हुए मैं यह भी कहना चाहूँगा कि यद्यपि यह विषय हिन्दी में सर्वथा नया नहीं है, बहुतेरी कहानियाँ इस पृष्ठभूमि पर लिखी गयी हैं, लेकिन महतो ने इनमें अपनी जिस रचनात्मक ऊर्जा और अनुभवजन्य तल्ख़ी का उद्घाटन किया है, और उसे जितनी सधी क़लम से आख़िर तक निभाया है, लेखन का यही संयम, त्वरा और निरन्तरता बनी रही तो आनेवाले समय में श्यामल बिहारी महतो एक महत्त्वपूर्ण कथाकार के रूप में जाने जायेंगे।—कमलेश्वर
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Description
बहेलियों के बीच –
श्यामल बिहारी महतो की ये कहानियाँ श्रमिकों के जद्दोजहद भरे जीवन पर आधारित हैं, जिन्हें पानी पीने के लिए रोज़ कुआँ खोदना पड़ता है। लेकिन ज़िन्दगी के झंझावात यहीं ख़त्म नहीं होते। भूख और बीमारी के अलावा उन्हें जिस भयानक अन्याय का शिकार होना पड़ता है, वह है शोषण! श्रम के मुताबिक़ वाज़िब हक़ का न मिलना मज़दूर जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है। महतो की इन सभी कहानियों में इन्हीं भावनाओं को पंक्ति-दर-पंक्ति देखा जा सकता है। ज्ञातव्य है, कि लेखक का ख़ुद का जीवन भी अभिशाप-ग्रस्त रहा है। लेखक ने जिन अभावों और मुश्किलों में अपना जीवन गुज़ारा है और अपने आस-पास जो देखा-गुना है, उसे अपनी कहानियों में शब्दशः लिखने की कोशिश की है। ये कहानियाँ मज़दूर जीवन की भयावहता की गवाह हैं। इनकी सबसे बड़ी ख़ासियत है—शिल्प की अछूती रचनात्मकता। ये कहानियाँ दारुण व्यथाओं का ब्यौरा-भर नहीं हैं। संवेदनात्मक कथातत्त्व इन्हें गहराई प्रदान करता है। इनके रचना कौशल में सम्भावनाओं की नयी दिशा दिखायी देती है।
महतो की इन कहानियों को लेकर एक बात और स्पष्ट कर देनी चाहिए कि ये मात्र दलित जीवन की विषमता जनित कहानियाँ न होकर मज़दूर जीवन की निहंग रचनाएँ हैं। क्योंकि जिस तरह नेताओं, सामन्तों की कोई जाति नहीं होती, उसी तरह मज़दूरों की भी कोई जाति नहीं होती। अब जो नयी सामाजिकता विकसित हो रही है, वह भूमण्डलीकरण की शिकार भी है और उसके सारे कार्य व्यवहार जाति आधारित न होकर अर्थ-आधारित होते जा रहे हैं। जो सम्पन्न है वह उच्चवर्गीय सामन्त है और जो विपन्न है वह निम्नवर्गीय मज़दूर है। श्यामल बिहारी महतो की इन कहानियों में हालाँकि इस नयी सामाजिक विषमता की ओर खुला इशारा नहीं है लेकिन असमानता से उपजा शोषण इन कहानियों का एक अहम और ख़ास तत्त्व है।
इन कहानियों को पढ़ते हुए मैं यह भी कहना चाहूँगा कि यद्यपि यह विषय हिन्दी में सर्वथा नया नहीं है, बहुतेरी कहानियाँ इस पृष्ठभूमि पर लिखी गयी हैं, लेकिन महतो ने इनमें अपनी जिस रचनात्मक ऊर्जा और अनुभवजन्य तल्ख़ी का उद्घाटन किया है, और उसे जितनी सधी क़लम से आख़िर तक निभाया है, लेखन का यही संयम, त्वरा और निरन्तरता बनी रही तो आनेवाले समय में श्यामल बिहारी महतो एक महत्त्वपूर्ण कथाकार के रूप में जाने जायेंगे।—कमलेश्वर
About Author
श्यामल बिहारी महतो -
जन्म: 2 फ़रवरी, 1969, झारखण्ड।
शिक्षा: इंटरमीडिएट।
झारखण्ड आन्दोलन से जुड़ने के बाद कोलियरी के मज़दूर आन्दोलन में भागीदारी।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन।
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