Jo Naheen Kaha Gaya

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
नवनीत मिश्र
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
नवनीत मिश्र
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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SKU 8126310928 Category
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154

जो नहीं कहा गया –
हिन्दी के चर्चित कथाकरों में नवनीत मिश्र का विशिष्ट स्थान है। वे ऐसी धारा के प्रतिनिधि कथाकार हैं, जिनकी कृतियाँ यथार्थ के बहुस्तरीय भावबोध को व्यक्त करती हैं। वे भाषा की पेचीदगियों में उलझे बिना सहज रूप से अपनी बात कहते हैं। वे मध्य वर्ग को केन्द्रित करके आम आदमी की आशा-आकांक्षाओं तथा उनकी सीमाओं और सम्भावनाओं को तलाशते हैं।
‘जो नहीं कहा गया’ की कहानियों में आज के समय की तल्ख़ सच्चाइयाँ हैं, साथ ही व्यक्ति के विभिन्न मनोभावों का रोचक विश्लेषण व्यंजित है।
सबसे बड़ी विशेषता यह है कि तमाम सीमाबद्धता और जीवन की जटिलताओं के बावजूद ये कहानियाँ मनुष्य की अच्छाइयों का भरोसा दिलाती हैं और सम्बन्धों की प्रगाढ़ता और बदलाव को भी बड़े सहज ढंग से रेखांकित करती हैं। संक्षेप में, इन कहानियों में व्यक्ति के उस विवेक की निरन्तर खोज है जो जीवन में तमाम बिखराव के बावजूद समाज में बचा हुआ है।
श्री नवनीत मिश्र के इस ताज़ातरीन कहानी-संग्रह को प्रकाशित करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है।

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Description

जो नहीं कहा गया –
हिन्दी के चर्चित कथाकरों में नवनीत मिश्र का विशिष्ट स्थान है। वे ऐसी धारा के प्रतिनिधि कथाकार हैं, जिनकी कृतियाँ यथार्थ के बहुस्तरीय भावबोध को व्यक्त करती हैं। वे भाषा की पेचीदगियों में उलझे बिना सहज रूप से अपनी बात कहते हैं। वे मध्य वर्ग को केन्द्रित करके आम आदमी की आशा-आकांक्षाओं तथा उनकी सीमाओं और सम्भावनाओं को तलाशते हैं।
‘जो नहीं कहा गया’ की कहानियों में आज के समय की तल्ख़ सच्चाइयाँ हैं, साथ ही व्यक्ति के विभिन्न मनोभावों का रोचक विश्लेषण व्यंजित है।
सबसे बड़ी विशेषता यह है कि तमाम सीमाबद्धता और जीवन की जटिलताओं के बावजूद ये कहानियाँ मनुष्य की अच्छाइयों का भरोसा दिलाती हैं और सम्बन्धों की प्रगाढ़ता और बदलाव को भी बड़े सहज ढंग से रेखांकित करती हैं। संक्षेप में, इन कहानियों में व्यक्ति के उस विवेक की निरन्तर खोज है जो जीवन में तमाम बिखराव के बावजूद समाज में बचा हुआ है।
श्री नवनीत मिश्र के इस ताज़ातरीन कहानी-संग्रह को प्रकाशित करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है।

About Author

नवनीत मिश्र - जन्म: 14 दिसम्बर, 1947, लखनऊ में। लखनऊ विश्वविद्यालय से कला स्नातक। 'मणिया और जख्म', 'मैंने कुछ नहीं देखा' और 'किया जाता है सबको बाइज्जत बरी' कथा संग्रह और 'येही-वेही' नाटक प्रकाशित। 1983 में 'सारिका' द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सर्व-भाषा कहानी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित तथा 1992 में कथा-संग्रह 'मैंने कुछ नहीं देखा' और 2004 में 'किया जाता है सबको बाइज्जत बरी' उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से पुरस्कृत। अनेक कहानियों का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद। रेडियो के लिए अनेक नाटकों और रूपकों का लेखन और निर्देशन और दूरदर्शन के लिए दो धारावाहिकों तथा अनेक वृत्त-चित्रों का लेखन।

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