Sahityik Nibandh 487

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Ek Tukda Roshni 207

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Ek Tukda Roshni

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
कीर्तिकुमार सिंह
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
कीर्तिकुमार सिंह
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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SKU 9789357751827 Category
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118

एक टुकड़ा रोशनी –

कीर्तिकुमार सिंह एक सिद्धहस्त कथाकार हैं। एक टुकड़ा रोशनी उनका श्रेष्ठ लघुकथा-संग्रह है। इससे पूर्व अधूरी दास्तान में ग़ाज़ीपुर निवास के दौरान लिखी गयी उनकी लघुकथाएँ चर्चा में रहीं ।

कीर्तिजी की मान्यता है कि स्थान और माहौल का उसके रचनाकार पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। अपने इस लघुकथा-संग्रह में लेखक ने इलाहाबाद प्रवास की रचनाएँ दी हैं। इनमें परिवेश भले ही बदला हो, किन्तु लेखक में मौजूद खिलन्दड़ापन जब-तब सिर उठाता नज़र आता है। इन लघुकथाओं की विशेषता यह है कि ये अपने ऊपरी स्वरूप में पहले पाठक को आकर्षित करती हैं और फिर उसे एक विशेष विचार-प्रक्रिया का हिस्सा बना देती हैं।

यक़ीन मानिए, आप इन्हें मज़ा लेने भर के लिए नहीं पढ़ सकते क्योंकि मूलतः लेखक का नाता दर्शन से है। उसके लिए कोई भी विषय किसी भी रूप और वस्तु में ग्राह्य है, लेकिन रचनाओं में उसका संस्कार वह अपने ही अन्दाज़ में करता है । यह संग्रह पढ़ते हुए पाठक एक नयी रोशनी अवश्य पायेंगे ।

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Description

एक टुकड़ा रोशनी –

कीर्तिकुमार सिंह एक सिद्धहस्त कथाकार हैं। एक टुकड़ा रोशनी उनका श्रेष्ठ लघुकथा-संग्रह है। इससे पूर्व अधूरी दास्तान में ग़ाज़ीपुर निवास के दौरान लिखी गयी उनकी लघुकथाएँ चर्चा में रहीं ।

कीर्तिजी की मान्यता है कि स्थान और माहौल का उसके रचनाकार पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। अपने इस लघुकथा-संग्रह में लेखक ने इलाहाबाद प्रवास की रचनाएँ दी हैं। इनमें परिवेश भले ही बदला हो, किन्तु लेखक में मौजूद खिलन्दड़ापन जब-तब सिर उठाता नज़र आता है। इन लघुकथाओं की विशेषता यह है कि ये अपने ऊपरी स्वरूप में पहले पाठक को आकर्षित करती हैं और फिर उसे एक विशेष विचार-प्रक्रिया का हिस्सा बना देती हैं।

यक़ीन मानिए, आप इन्हें मज़ा लेने भर के लिए नहीं पढ़ सकते क्योंकि मूलतः लेखक का नाता दर्शन से है। उसके लिए कोई भी विषय किसी भी रूप और वस्तु में ग्राह्य है, लेकिन रचनाओं में उसका संस्कार वह अपने ही अन्दाज़ में करता है । यह संग्रह पढ़ते हुए पाठक एक नयी रोशनी अवश्य पायेंगे ।

About Author

कीर्तिकुमार सिंह जन्म : 19 मई 1964 को इलाहाबाद जिले के कोटवा नामक गाँव में। शिक्षा : बी. ए., एम.ए. और डी.फिल. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। शिक्षा में एक मेधावी छात्र के रूप में कई स्वर्ण पदक प्राप्त, जिनमें से एक स्वर्ण पदक 'संयुक्त राष्ट्र संघ' से। कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास और दर्शन के क्षेत्र में सक्रिय। प्रकाशित कृतियाँ : जगद्गुरु कमीनिस्टाचार्य प्रयागपीठाधीश्वर (उपन्यास); अद्भुत प्रेम कथाएँ, दारागंज वाया कटरा, आप बहुत..... बहुत... सुन्दर हैं!, असाधारण प्रेम कथाएँ (कहानी-संग्रह); अधूरी दास्तान, छोटी सी बात, एक टुकड़ा रोशनी, बस इतना, दास्तान दर दास्तान, मेरी प्रतिनिधि लघुकथाएँ, बूँद बूँद बतरस (लघुकथा-संग्रह); उस कविता को नमस्कार करते हुए, कीर्तिकुमार सिंह की दार्शनिक कविताएँ, दिल्ली के दो-पाया कुत्ते, मन्दाकिनी घाटी (कविता-संग्रह): शिवा (कविता- कैसेट); पुरस्कार दर्शन, भारतीय दर्शन में दुःख और मुक्ति (दार्शनिक चिन्तन) । सम्प्रति : अध्यक्ष, दर्शन विभाग, श्यामाप्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय (इलाहाबाद विश्वविद्यालय), फाफामऊ, इलाहाबाद। सम्पर्क : 15/6, स्टैनली रोड, सिविल लाइंस, इलाहाबाद- 211001 (उत्तर प्रदेश) मो. : 9415094253 ई-मेल : kirti.add123@gmail.com

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