Sahityik Nibandh

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
सम्पादक - प्रो. त्रिभुवन सिंह, प्रो. विजय बहादुर सिंह
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Vani Prakashan
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सम्पादक - प्रो. त्रिभुवन सिंह, प्रो. विजय बहादुर सिंह
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Hardback

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SKU 9789357751933 Category
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760

★ हिन्दी साहित्य के इतिहास, समीक्षा, सिद्धान्त, विविध काव्य एवं गद्य विधाओं व उनके प्रतिनिधि लेखकों पर प्रसिद्ध विद्वानों के निबन्धों का महत्त्वपूर्ण संग्रह ।

★ हिन्दी के शीर्षस्थ विद्वानों- आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. देवेन्द्रनाथ शर्मा, डॉ. उदयभानु सिंह, डॉ. भोलाशंकर व्यास, डॉ. प्रेमशंकर, डॉ. शिवसहाय पाठक, डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी, डॉ. विष्णुकान्त शास्त्री आदि के निबन्धों के संकलन से चर्चित व महत्त्वपूर्ण निबन्ध |

★ दलित साहित्य तथा स्वातन्त्र्योत्तर गीत जैसे नव्यतम प्रासंगिक विषयों पर उत्कृष्ट निबन्धों का संचयन ।

साहित्यिक निबन्ध का तृतीय संस्करण सन् 1985 में प्रकाशित हुआ था जो शीघ्र ही समाप्त हो गया। पिछले 20 वर्षों से पाठकों को पुस्तक तो नहीं उपलब्ध हो सकी पर माँग बराबर बनी रही। इस बीच प्रभूत साहित्य सामने आया है और उसके विचार-विमर्श का तौर-तरीका भी बदला है । अतः इसके संशोधन एवं परिवर्धन की आवश्यकता का भी अनुभव किया गया। इसे प्रासंगिक बनाने के लिए प्रमुख वाद एवं विधाओं पर अनेक सारगर्भित निबन्ध जोड़े गये हैं, साथ ही पूर्व प्रकाशित अधिकांश निबन्धों को भी तद्वत ले लिया गया है। इस प्रकार प्रस्तुत है साहित्यिक निबन्ध का यह परिवर्धित और संशोधित संस्करण ।

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Description

★ हिन्दी साहित्य के इतिहास, समीक्षा, सिद्धान्त, विविध काव्य एवं गद्य विधाओं व उनके प्रतिनिधि लेखकों पर प्रसिद्ध विद्वानों के निबन्धों का महत्त्वपूर्ण संग्रह ।

★ हिन्दी के शीर्षस्थ विद्वानों- आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. देवेन्द्रनाथ शर्मा, डॉ. उदयभानु सिंह, डॉ. भोलाशंकर व्यास, डॉ. प्रेमशंकर, डॉ. शिवसहाय पाठक, डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी, डॉ. विष्णुकान्त शास्त्री आदि के निबन्धों के संकलन से चर्चित व महत्त्वपूर्ण निबन्ध |

★ दलित साहित्य तथा स्वातन्त्र्योत्तर गीत जैसे नव्यतम प्रासंगिक विषयों पर उत्कृष्ट निबन्धों का संचयन ।

साहित्यिक निबन्ध का तृतीय संस्करण सन् 1985 में प्रकाशित हुआ था जो शीघ्र ही समाप्त हो गया। पिछले 20 वर्षों से पाठकों को पुस्तक तो नहीं उपलब्ध हो सकी पर माँग बराबर बनी रही। इस बीच प्रभूत साहित्य सामने आया है और उसके विचार-विमर्श का तौर-तरीका भी बदला है । अतः इसके संशोधन एवं परिवर्धन की आवश्यकता का भी अनुभव किया गया। इसे प्रासंगिक बनाने के लिए प्रमुख वाद एवं विधाओं पर अनेक सारगर्भित निबन्ध जोड़े गये हैं, साथ ही पूर्व प्रकाशित अधिकांश निबन्धों को भी तद्वत ले लिया गया है। इस प्रकार प्रस्तुत है साहित्यिक निबन्ध का यह परिवर्धित और संशोधित संस्करण ।

About Author

त्रिभुवन सिंह जन्म : 31 जुलाई, 1929 ई. आजमगढ़ जिले के खानजहाँपुर ग्राम में। शिक्षा : 1955 ई. - एम.ए. (हिन्दी), 1958 ई. - पीएच. डी., काशी हिन्दू विश्वविद्यालय; 1972 ई. - डी.लिट्., भागलपुर विश्वविद्यालय । वृत्ति : 1958 ई. में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यापन प्रारम्भ। 1989 ई. में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद से अवकाश ग्रहण। 7 जुलाई, 1990 ई. से 6 जुलाई, 1993 ई. तक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के कुलपति । निधन : 26 मार्च, 2008 ई. वाराणसी में । विजय बहादुर सिंह पूर्व प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय । जन्म : 1 जुलाई, 1959 ई. आजमगढ़ जिले के खानजहाँपुर गाँव में। शिक्षा : 1980 ई. - एम.ए. (हिन्दी), 1983 ई. - पीएच. डी., काशी हिन्दू विश्वविद्यालय; 1988 ई. - डी. लिट्, भागलपुर विश्वविद्यालय । वृत्ति : 1984 ई. से 1987 ई. तक जोधपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में स्थायी सहायक प्रोफ़ेसर 6 अप्रैल, 1987 ई. से 31 जनवरी, 1991 ई. तक केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय), सारनाथ, वाराणसी में स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध के हिन्दी प्रवक्ता । 1991 ई. से मृत्युपर्यन्त काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यापन । पता: बी-37/1-एफ-2, बैजनत्था, वाराणसी । निधन : 9 अप्रैल, 2023 ।

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