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Ujale Apni Yadon Ke

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
विजय वाते
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
विजय वाते
Language:
Hindi
Format:
Paperback

198

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1-4 Days

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Book Type

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ISBN:
SKU 9789352291748 Category
Category:
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116

उजाले अपनी यादों के –
बशीर बद्र की शायरी व ग़ज़लें –
हिन्दोस्तान की दूसरी ज़ुबानों में ग़ज़ल के लिए जो इज़्ज़त और मोहब्बत पैदा हुई है, उसमें बशीर बद्र का नुमाया हिस्सा है। जो ज़िन्दगी के तफ़क़्कुर (समस्याओं) को तग़ज़्जुल बनाते हैं। उनका कमाल ये है कि वो अच्छी शायरी करके भी मक़बूल (लोकप्रिय) हुए हैं। मेरे नज़दीक इस वक़्त हिन्दुस्तान में और हिन्दुस्तान से बाहर उर्दू ग़ज़ल की आबरू बशीर बद्र हैं। -डॉ. ख़लीक अंजुम, दिल्ली

बशीर बद्र की ग़ज़ल, ज़िन्दगी की धूप और एहसास के फूलों की ग़ज़ल है, यही उनकी शायरी का बुनियादी मिज़ाज है। बशीर बद्र ने ग़ज़ल को जो महबूबियत, विकार (गरिमा), एतबार और वज़ाहत (सौन्दर्य) दी है, वो बेमिसाल है। बशीर बद्र से पहले किसी की ग़ज़ल को ये महबूबियत नहीं मिली। मीरो-गालिब के शेर बहुत मशहूर हैं, लेकिन मैं पूरे एतमाद (विश्वास) से कह सकता हूँ कि आलमी पैमाने पर बशीर बद्र की ग़ज़लों के अशआर से, किसी के शेर मशहूर नहीं हैं, उसकी वजह यह है कि उन्होंने आज के इन्सान के नफ़्सियाति (मनोवैज्ञानिक) मिज़ाज की तर्ज़ुमानी जिस आलमी उर्दू के ग़ज़लिया उस्लूब (शैली) में की है, वो इससे पहले मुमकिन भी नहीं थी। इस एतराफ़ (स्वीकृति) में बुख़ल (संकोच) से काम नहीं लेना चाहिए कि वो, इस वक़्त दुनिया में ग़ज़ल के सबसे महबूब शायर हैं।
-अबुल फैज़ सहर (उर्दू प्रमोशन बोर्ड दिल्ली)

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Description

उजाले अपनी यादों के –
बशीर बद्र की शायरी व ग़ज़लें –
हिन्दोस्तान की दूसरी ज़ुबानों में ग़ज़ल के लिए जो इज़्ज़त और मोहब्बत पैदा हुई है, उसमें बशीर बद्र का नुमाया हिस्सा है। जो ज़िन्दगी के तफ़क़्कुर (समस्याओं) को तग़ज़्जुल बनाते हैं। उनका कमाल ये है कि वो अच्छी शायरी करके भी मक़बूल (लोकप्रिय) हुए हैं। मेरे नज़दीक इस वक़्त हिन्दुस्तान में और हिन्दुस्तान से बाहर उर्दू ग़ज़ल की आबरू बशीर बद्र हैं। -डॉ. ख़लीक अंजुम, दिल्ली

बशीर बद्र की ग़ज़ल, ज़िन्दगी की धूप और एहसास के फूलों की ग़ज़ल है, यही उनकी शायरी का बुनियादी मिज़ाज है। बशीर बद्र ने ग़ज़ल को जो महबूबियत, विकार (गरिमा), एतबार और वज़ाहत (सौन्दर्य) दी है, वो बेमिसाल है। बशीर बद्र से पहले किसी की ग़ज़ल को ये महबूबियत नहीं मिली। मीरो-गालिब के शेर बहुत मशहूर हैं, लेकिन मैं पूरे एतमाद (विश्वास) से कह सकता हूँ कि आलमी पैमाने पर बशीर बद्र की ग़ज़लों के अशआर से, किसी के शेर मशहूर नहीं हैं, उसकी वजह यह है कि उन्होंने आज के इन्सान के नफ़्सियाति (मनोवैज्ञानिक) मिज़ाज की तर्ज़ुमानी जिस आलमी उर्दू के ग़ज़लिया उस्लूब (शैली) में की है, वो इससे पहले मुमकिन भी नहीं थी। इस एतराफ़ (स्वीकृति) में बुख़ल (संकोच) से काम नहीं लेना चाहिए कि वो, इस वक़्त दुनिया में ग़ज़ल के सबसे महबूब शायर हैं।
-अबुल फैज़ सहर (उर्दू प्रमोशन बोर्ड दिल्ली)

About Author

सैयद मोहम्मद बशीर (तख़ल्लुस – बद्र) - शिक्षा 1. एम. ए. उर्दू में गोल्ड मेडल और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी का शैक्षणिक राधाकृष्ण एवार्ड | 2. इकाई (प्रथम ग़ज़ल संग्रह) पर 1969 में उ. प्र. उर्दू अकादमी पुरस्कार। 3. इमेज (दूसरे ग़ज़ल संग्रह) पर 1973 में उ. प्र. उर्दू अकादमी पुरस्कार। 4. आमद (तीसरे ग़ज़ल संग्रह) पर 1986 में बिहार उर्दू अकादमी पुरस्कार। 5. आज़ादी के बाद की उर्दू ग़ज़ल (आलोचना) पर उ. प्र. उर्दू अकादमी पुरस्कार। यात्राएँ - अमेरिका की पाँच यात्राएँ, पाकिस्तान की चार और कनाडा, दुबई, शारजाह बहरीन, मस्कत और कतर जद्दा आदि की एकाधिक यात्राएँ। सदस्य, साहित्य अकादमी दिल्ली। सदस्य केन्द्रीय उर्दू तरक़्क़ी बोर्ड दिल्ली। अध्यक्ष बोर्ड ऑफ़ स्टडीज़, मेरठ यूनिवर्सिटी रिसर्च डिग्री कमेटी, तथा सदस्य बोर्ड ऑफ़ स्टडीज़, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, सदस्य बरकतुल्ला विश्वविद्यालय भोपाल। सदस्य म. प्र. उर्दू अकादमी तथा हिमाचल प्रदेश व राजस्थान की साहित्यिक पुरस्कार समिति । प्रकाशन (सभी प्रकाशन उर्दू में) 1. इकाई 1969 2. इमेज़ 1973 3. आमद 1986 4. आज़ादी के बाद 1978 उर्दू ग़ज़ल (आलोचना) 5. आसमान 1988 कराची व हैदराबाद से प्रकाशित 6. आहट 1989 कराची पाकिस्तान से 7. कुलयात ए बशीर बद्र कराची से प्रकाशित 8. बीसवीं सदी में ग़ज़ल (आलोचना)

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