SalePaperback
Shiksha Jo Swar Sadh Sake
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
रजनीश कुमार शुक्ल, संपादक - ऋषभ कुमार मिश्र
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
रजनीश कुमार शुक्ल, संपादक - ऋषभ कुमार मिश्र
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹225 ₹158
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789390678365
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
102
“शिक्षा द्वारा संसार को यथावत स्वीकार कर लेने वाले मनुष्य का निर्माण निषिद्ध है। उसे तो हर क्षण अपने यत्नों से कुछ बेहतर और श्रेष्ठ बनाने वाले मनुष्य का निर्माण करना ही पड़ेगा। भारतीय संदर्भों में बड़े लंबे समय तक शिक्षा का यही स्वरूप रहा है। जब हम दुनिया भर में ज्ञान को बांटने वाले स्थान के रूप में माने जाते थे तो शिक्षा ऐसी ही थी।… जिस शिक्षा से राष्ट्र की, समाज की और इस धरती की समस्याओं का समाधान संभव नहीं है वह शिक्षा बेमानी है। हमें व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का विचार करना है। विश्व का विचार करना है और अंत में संपूर्ण ब्रह्मांड का विचार करना है। वर्तमान की शिक्षा ने तो उस स्तर तक विकास कर दिया है कि हर राष्ट्र के पास इस ब्रह्मांड को नष्ट करने की ताकत आ गयी है। जो नष्ट करने की ताकत दे, वह शिक्षा नहीं है, शिक्षा तो वह है जो सृजन की ताकत दे, निर्मिति का साहस और विवेक दे जिससे व्यक्ति बाह्य संसार के साथ सुसंगति बनाते हुए जीवन का स्वर साध सके…..”
Be the first to review “Shiksha Jo Swar Sadh Sake” Cancel reply
Description
“शिक्षा द्वारा संसार को यथावत स्वीकार कर लेने वाले मनुष्य का निर्माण निषिद्ध है। उसे तो हर क्षण अपने यत्नों से कुछ बेहतर और श्रेष्ठ बनाने वाले मनुष्य का निर्माण करना ही पड़ेगा। भारतीय संदर्भों में बड़े लंबे समय तक शिक्षा का यही स्वरूप रहा है। जब हम दुनिया भर में ज्ञान को बांटने वाले स्थान के रूप में माने जाते थे तो शिक्षा ऐसी ही थी।… जिस शिक्षा से राष्ट्र की, समाज की और इस धरती की समस्याओं का समाधान संभव नहीं है वह शिक्षा बेमानी है। हमें व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का विचार करना है। विश्व का विचार करना है और अंत में संपूर्ण ब्रह्मांड का विचार करना है। वर्तमान की शिक्षा ने तो उस स्तर तक विकास कर दिया है कि हर राष्ट्र के पास इस ब्रह्मांड को नष्ट करने की ताकत आ गयी है। जो नष्ट करने की ताकत दे, वह शिक्षा नहीं है, शिक्षा तो वह है जो सृजन की ताकत दे, निर्मिति का साहस और विवेक दे जिससे व्यक्ति बाह्य संसार के साथ सुसंगति बनाते हुए जीवन का स्वर साध सके…..”
About Author
आचार्य रजनीश कुमार शुक्ल संप्रति महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति हैं। इसके पूर्व आप भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् के सदस्य सचिव के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। आप संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में तुलनात्मक दर्शन एवं धर्म के आचार्य हैं। आचार्य शुक्ल लगभग 30 वर्षों से अधिक समय से अध्यापन एवं शोध में संलग्न हैं। इस दौरान आपने दस ग्रंथों का प्रणयन किया है। आचार्य शुक्ल के सौ से अधिक शोध-पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। आचार्य शुक्ल ने उत्तर प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों के स्नातक स्तर के लिए राष्ट्र गौरव का अनिवार्य पाठ्यक्रम तैयार करने में बहुमूल्य योगदान दिया है। आचार्य शुक्ल भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् की शोध पत्रिका 'जे.आई. सी. पी.आर.' के प्रधान संपादक, अखिल भारतीय दर्शन परिषद् की पत्रिका 'दार्शनिक त्रैमासिक' के संपादक और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् की पत्रिका 'हिस्टॉरिकल रिव्यू' के कार्यकारी संपादक भी रह चुके हैं। आचार्य शुक्ल को उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा वर्ष 2018 में 'उत्तर प्रदेश भाषा सम्मान' तथा भारतीय धर्म संघ द्वारा 'करपात्री गौरव सम्मान 2018' से सम्मानित किया गया है। इनके द्वारा शिक्षा एवं संस्कृति से जुड़े विषयों पर लिखित आलेख अनेक राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित होते हैं।
वर्तमान में आचार्य शुक्ल देश की विभिन्न संस्थाओं में महत्त्वपूर्ण पदों पर शोभायमान हैं। आचार्य शुक्ल जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्, राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् की कार्यकारिणी के सदस्य हैं आचार्य शुक्ल अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के । कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Shiksha Jo Swar Sadh Sake” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.