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Rohzin
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
रहमान अब्बास, अनुवाद : मोहम्मद रिज़वान अंसारी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
रहमान अब्बास, अनुवाद : मोहम्मद रिज़वान अंसारी
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
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9789355188861
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
370
” लोग जो विश्वास करते हैं उसे उलटने की अपनी अदम्य क्षमता के साथ, रहमान अब्बास कहानी कहने की कला को एक नये स्तर पर ले जाते हैं ।” – शाफे किदवई साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता आलोचक, द हिन्दू
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‘रोहज़िन एक बॉम्बे उपन्यास है, एक प्रेम कहानी है, एक नये युग का उपन्यास है ।”- प्रो. हंस हार्डर हीडलबर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी
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“एक साहसिक, रचनात्मक आख्यान ।” – मुस्तनसर हुसैन तरार पाकिस्तानी उपन्यासकार
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“इस नॉवेल में घनापन हैं, मैंने ठहर-ठहर कर पढ़ा है।” – शमीम हनफ़ी आलोचक
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“ऐसा कोई पृष्ठ नहीं है जो उत्कृष्ट विवरण से रहित हो ।” – सैयद मुहम्मद अशरफ़ साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता
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“ रोहज़िन भारतीय कथा साहित्य का नया मानक है ।” – नबीना दास बुक रिव्यू इंडिया
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“उर्दू सभ्यता के नाज़ुक प्रशिक्षित दिमाग़ों के लिए एक झटका, एक अद्भुत उपन्यास ।”
– बैग अहसास साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता
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“प्रेम, आशा और इच्छा को एक ही कथा के साथ जोड़कर, उपन्यास उस समय की कहानी है जिसमें हम रहते हैं।” -न्यूज़9लाइव.कॉम
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“ रोहज़िन इस ज़माने के सबसे परेशान करने वाले उपन्यासों में से एक है, जिसे पढ़कर पाठक कई दिनों तक विचलित रह सकता है।”- डेक्कन हेराल्ड
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“धार्मिक और भाषाई, साथ ही प्यार और इच्छा दोनों की पहचान की जटिलताओं की पड़ताल करता नॉवेल ।”-आउटलुक पत्रिका
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Description
” लोग जो विश्वास करते हैं उसे उलटने की अपनी अदम्य क्षमता के साथ, रहमान अब्बास कहानी कहने की कला को एक नये स्तर पर ले जाते हैं ।” – शाफे किदवई साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता आलोचक, द हिन्दू
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‘रोहज़िन एक बॉम्बे उपन्यास है, एक प्रेम कहानी है, एक नये युग का उपन्यास है ।”- प्रो. हंस हार्डर हीडलबर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी
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“एक साहसिक, रचनात्मक आख्यान ।” – मुस्तनसर हुसैन तरार पाकिस्तानी उपन्यासकार
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“इस नॉवेल में घनापन हैं, मैंने ठहर-ठहर कर पढ़ा है।” – शमीम हनफ़ी आलोचक
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“ऐसा कोई पृष्ठ नहीं है जो उत्कृष्ट विवरण से रहित हो ।” – सैयद मुहम्मद अशरफ़ साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता
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“ रोहज़िन भारतीय कथा साहित्य का नया मानक है ।” – नबीना दास बुक रिव्यू इंडिया
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“उर्दू सभ्यता के नाज़ुक प्रशिक्षित दिमाग़ों के लिए एक झटका, एक अद्भुत उपन्यास ।”
– बैग अहसास साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता
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“प्रेम, आशा और इच्छा को एक ही कथा के साथ जोड़कर, उपन्यास उस समय की कहानी है जिसमें हम रहते हैं।” -न्यूज़9लाइव.कॉम
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“ रोहज़िन इस ज़माने के सबसे परेशान करने वाले उपन्यासों में से एक है, जिसे पढ़कर पाठक कई दिनों तक विचलित रह सकता है।”- डेक्कन हेराल्ड
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“धार्मिक और भाषाई, साथ ही प्यार और इच्छा दोनों की पहचान की जटिलताओं की पड़ताल करता नॉवेल ।”-आउटलुक पत्रिका
About Author
रहमान अब्बास प्रमुख समकालीन उर्दू उपन्यासकार हैं। उनके चौथे उपन्यास रोहज़िन पर उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार वर्ष 2018 के लिए मिला अथवा उन्हें चार बार राज्य साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी मिले हैं। जब उनका पहला उपन्यास प्रकाशित हुआ, तो कट्टरपन्थियों ने अश्लीलता फैलाने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया और उपन्यास के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया। मुम्बई में एक अल्पसंख्यक संस्थान में पढ़ाने के कारण उन्हें अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। रहमान ने दस साल से अधिक समय तक अदालत में मुक़दमा लड़ा और 2016 में अश्लीलता के आरोप से बरी हुए।
रहमान अब नौ पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें पाँच उपन्यास शामिल हैं। नखलिस्तान की तलाश (2004), एक ममनूआ मुहब्बत की कहानी (2009), ख़ुदा के साये में आँख मिचौली (2011), रोहज़िन (2016), और ज़िन्दीक (2021)। उनके उपन्यास निषिद्ध राजनीति, मैथुन और प्रेम के विषयों से सम्बन्धित हैं।
रोहज़िन का अनुवाद जर्मन और अंग्रेज़ी में हो चुका है। उपन्यास को स्विस और जर्मन सरकारों द्वारा प्रबन्धित प्रतिष्ठित 'लिटप्रोम ग्रांट भी मिल चुकी है। जर्मन अनुवाद पर फ़रवरी 2018 में, 'द डेज ऑफ़ इंडियन लिटरेचर' के अन्तर्गत स्विट्ज़रलैंड में चर्चा की गयी है, मई-जून 2018 में रहमान अब्बास ने पाठकों के साथ उपन्यास पर चर्चा करने के लिए जर्मनी के विभिन्न शहरों और यूनिवर्सिटीज का दौरा किया। रोहज़िन का अंग्रेजी अनुवाद पेंगुइन इंडिया ने मई 2022 में प्रकाशित किया, उपन्यास जेसीबी पुरस्कार के लिए नामांकित हुआ था।
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अनुवादक : मोहम्मद रिज़वान अंसारी
जन्म : 1991, फूलपुर, इलाहाबाद (प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुआ। मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी से पीएच.डी. हासिल की और अब कालीकट विश्वविद्यालय (केरल) में तदर्थ सहायक प्राध्यापक के तौर पर मुलाज़मत कर रहे हैं। उनके लेख और अनुवाद विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। उर्दू एवं हिन्दी साहित्य और भाषा उनका प्रमुख विषय है पुस्तक के रूप में यह उनका पहला अनुवाद है।
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