Prayojanmoolak Hindi Prayukti Aur Anuvad

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
माधव सोनटक्के
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Vani Prakashan
Author:
माधव सोनटक्के
Language:
Hindi
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Hardback

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SKU 9789352292677 Category
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182

प्रयोजनमूलक हिन्दी के प्रखर चिन्तक डॉ. दंगल झाल्टे ने प्रस्तुत कृति में प्रयोजनमूलक हिन्दी के न केवल विविध पहलुओं एवं प्रयोग के अलक्षित सन्दर्भों को पूरी संश्लिष्टता से विश्लेषित किया है, अपितु इस क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रयोजनमूलक हिन्दी के सिद्धान्तों का निर्माण कर उसे वैज्ञानिकता प्रदान करने का गुरुतर कार्य भी किया है।
समृद्ध प्रयोजनीय परम्परा तथा प्रयोगधर्मिता के अन्तश्चेतन स्फुल्लिंग को प्रदीप्त करती हुई हिन्दी जब बहुभाषी स्वतन्त्र भारतवर्ष की राजभाषा के महत्त्वपूर्ण पद पर आसीन हुई तब उसे सर्वथा नये भाषिक दायित्वों के निर्वाह स्वस्थ ज्ञान-विज्ञान के अनेक अनछुए क्षेत्रों की अभिव्यक्ति का शक्तिशाली माध्यम बनने की आवश्यकता महसूस हुई। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास तथा बदली हुई स्थितियों में हिन्दी की प्रयोजनशील भाषागत संरचना को जनसम्पर्क, सरकारी कार्य तथा प्रशासन के बहुआयामी प्रयोजनों हेतु नयी भाषाभिव्यक्ति और नूतन प्रयोग विधियों के आविष्करण का डॉ. झाल्टे का यह वैज्ञानिक विद्वत् प्रयास निश्चय ही चिन्तन के नये आयाम उद्घाटित करने में सफल होगा।

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प्रयोजनमूलक हिन्दी के प्रखर चिन्तक डॉ. दंगल झाल्टे ने प्रस्तुत कृति में प्रयोजनमूलक हिन्दी के न केवल विविध पहलुओं एवं प्रयोग के अलक्षित सन्दर्भों को पूरी संश्लिष्टता से विश्लेषित किया है, अपितु इस क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रयोजनमूलक हिन्दी के सिद्धान्तों का निर्माण कर उसे वैज्ञानिकता प्रदान करने का गुरुतर कार्य भी किया है।
समृद्ध प्रयोजनीय परम्परा तथा प्रयोगधर्मिता के अन्तश्चेतन स्फुल्लिंग को प्रदीप्त करती हुई हिन्दी जब बहुभाषी स्वतन्त्र भारतवर्ष की राजभाषा के महत्त्वपूर्ण पद पर आसीन हुई तब उसे सर्वथा नये भाषिक दायित्वों के निर्वाह स्वस्थ ज्ञान-विज्ञान के अनेक अनछुए क्षेत्रों की अभिव्यक्ति का शक्तिशाली माध्यम बनने की आवश्यकता महसूस हुई। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास तथा बदली हुई स्थितियों में हिन्दी की प्रयोजनशील भाषागत संरचना को जनसम्पर्क, सरकारी कार्य तथा प्रशासन के बहुआयामी प्रयोजनों हेतु नयी भाषाभिव्यक्ति और नूतन प्रयोग विधियों के आविष्करण का डॉ. झाल्टे का यह वैज्ञानिक विद्वत् प्रयास निश्चय ही चिन्तन के नये आयाम उद्घाटित करने में सफल होगा।

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