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Peelee Chhatari Wali Ladki
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
उदय प्रकाश
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
उदय प्रकाश
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹300 ₹210
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In stock
ISBN:
SKU
9789352291601
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
210
“मेरे पास यही कुछ तो है
भाई उदय प्रकाश, क्या आपसे मुलाकात हो सकती है? / दिल तो बलराज मेनरा से भी मिलने को बहुत चाहता है / कोई उपाय नहीं, फिर भी कुछ तो होना ही चाहिए / नामा-ओ-पयाम, एक प्राइवेट ख़त लेकिन एक मुश्किल है कि मैं इतना पब्लिक आदमी हूँ/ कुछ भी निजी नहीं रहा / अन्दर ही अन्दर घूमते हुए / उदय प्रकाश तुम बहुत, बहुत ही दूर निकल जाते हो, मैं घबरा जाता हूँ / जैसे मैं घबराया था चेखव का वार्ड नम्बर सिक्स पढ़कर / या मंटो की कहानियाँ मम्मी, मोज़ेल, टोबा टेक सिंह, ठण्डा गोश्त / सोल्झेनित्शिन का कैंसर वार्ड / मार्क्वेज़ का एक पेश गुप्ता मौत की रूदाद और तन्हाई के सौ बरस / अपनी मिसाल आप बेदी की एक चादर मैली-सी
सोचता हूँ मुलाकात होगी तो क्या करेंगे ? / जो नहीं कहें तो मर जायेंगे भाई उदय प्रकाश / आपको याद होगी वो कहानी?/मेरे लिए तो वो पहली ही थी / जब (शायद) स्कूल मास्टर शहर को रवाना होते हैं/और उन्हें डिलीरियम एंड इनफिनिटम आ लेता है/ अज़ल से अबद तक फैली हुई ये कथा, इन्सान की सृष्टि-कथा / चन्द घण्टों में तमाम हो जाती है कोई नैरेटर बताता भी है/ और उसके मानी नसीजों को निचोड़कर रख देते हैं
उदय प्रकाश आगे बढ़कर अन्त को छू लो तुम्हें कभी तपती हवा न लगे / मेरी जो बची-खुची ज़िन्दगी है, वो तुम्हें मिले / मेरे पास बस यही कुछ तो है/ इन्कार ना करना, ले लेना, बल्कि बरत लेना…”
– इफ़्तख़ार जालिब
(पाकिस्तान के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ शायर इफ़्तख़ार जालिब की यह कविता 2001 में रफीक अहमद के सम्पादन में निकलने वाली पाकिस्तान की प्रसिद्ध उर्दू पत्रिका ‘तहरीर में प्रकाशित हुई थी। मार्च, 2004 में जालिब साहब का लाहौर में इन्तकाल हो गया ।)
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“मेरे पास यही कुछ तो है
भाई उदय प्रकाश, क्या आपसे मुलाकात हो सकती है? / दिल तो बलराज मेनरा से भी मिलने को बहुत चाहता है / कोई उपाय नहीं, फिर भी कुछ तो होना ही चाहिए / नामा-ओ-पयाम, एक प्राइवेट ख़त लेकिन एक मुश्किल है कि मैं इतना पब्लिक आदमी हूँ/ कुछ भी निजी नहीं रहा / अन्दर ही अन्दर घूमते हुए / उदय प्रकाश तुम बहुत, बहुत ही दूर निकल जाते हो, मैं घबरा जाता हूँ / जैसे मैं घबराया था चेखव का वार्ड नम्बर सिक्स पढ़कर / या मंटो की कहानियाँ मम्मी, मोज़ेल, टोबा टेक सिंह, ठण्डा गोश्त / सोल्झेनित्शिन का कैंसर वार्ड / मार्क्वेज़ का एक पेश गुप्ता मौत की रूदाद और तन्हाई के सौ बरस / अपनी मिसाल आप बेदी की एक चादर मैली-सी
सोचता हूँ मुलाकात होगी तो क्या करेंगे ? / जो नहीं कहें तो मर जायेंगे भाई उदय प्रकाश / आपको याद होगी वो कहानी?/मेरे लिए तो वो पहली ही थी / जब (शायद) स्कूल मास्टर शहर को रवाना होते हैं/और उन्हें डिलीरियम एंड इनफिनिटम आ लेता है/ अज़ल से अबद तक फैली हुई ये कथा, इन्सान की सृष्टि-कथा / चन्द घण्टों में तमाम हो जाती है कोई नैरेटर बताता भी है/ और उसके मानी नसीजों को निचोड़कर रख देते हैं
उदय प्रकाश आगे बढ़कर अन्त को छू लो तुम्हें कभी तपती हवा न लगे / मेरी जो बची-खुची ज़िन्दगी है, वो तुम्हें मिले / मेरे पास बस यही कुछ तो है/ इन्कार ना करना, ले लेना, बल्कि बरत लेना…”
– इफ़्तख़ार जालिब
(पाकिस्तान के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ शायर इफ़्तख़ार जालिब की यह कविता 2001 में रफीक अहमद के सम्पादन में निकलने वाली पाकिस्तान की प्रसिद्ध उर्दू पत्रिका ‘तहरीर में प्रकाशित हुई थी। मार्च, 2004 में जालिब साहब का लाहौर में इन्तकाल हो गया ।)
About Author
उदय प्रकाश 1952, मध्य प्रदेश के शहडोल (अब अनूपपुर) ज़िले के गाँव सीतापुर में जन्म। सागर वि.वि. सागर और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली से शिक्षा प्राप्त। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और इसके मणिपुर केन्द्र में लगभग चार वर्ष तक अध्यापन। संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश, भोपाल में लगभग दो वर्ष विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी। इसी दौरान ‘पूर्वग्रह’ का सहायक सम्पादन। नौ वर्षों तक टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के समाचार पाक्षिक ‘दिनमान’ के सम्पादकीय विभाग में नौकरी। बीच में एक वर्ष टाइम्स रिसर्च फ़ाउंडेशन के स्कूल ऑफ़ सोशल जर्नलिज्म में अध्यापन। लगभग दो वर्ष पी.टी.आई. (टेलीविज़न) और एक वर्ष इंडिपेंडेंट टेलीविज़न में विचार और पटकथा प्रमुख। कुछ समय ‘संडे मेल’ में वरिष्ठ सहायक सम्पादक रहे। इन दिनों स्वतन्त्र लेखन तथा फ़िल्म और मीडिया के लिए लेखन। ‘सुनो कारीगर’, ‘अबूतर-कबूतर’, ‘रात में हारमोनियम, ‘एक भाषा हुआ करती है’, ‘नयी सदी के लिए चयन: पचास कविताएँ’ (कविता संग्रह); ‘दरियाई घोड़ा’, ‘तिरिछ’, ‘और अन्त में प्रार्थना’, ‘पॉल गोमरा का स्कूटर’, ‘पीली छतरी वाली लड़की’, ‘दत्तात्रोय के दुख’, ‘मोहन दास’, ‘अरेबा परेबा’, ‘मैंगोसिल’ (कहानी संग्रह); ‘ईश्वर की आँख’, ‘अपनी उनकी बात’ और ‘नयी सदी का पंचतन्त्र’ (निबन्ध, आलोचना) पुस्तकें प्रकाशित। इसके अलावा लगभग 8 पुस्तकें अंग्रेज़ी में प्रकाशित। ‘पीली छतरी वाली लड़की’ (उर्दू), ‘तिरिछ अणि इतर कथा’, ‘अरेबा परेबा’ (मराठी), ‘मोहन दास’ कन्नड़ में प्रकाशित, पंजाबी, उड़िया, अंग्रेज़ी में प्रकाश्य। ‘लाल घास पर नीले घोड़े’ (मिखाइल शात्रोव के नाटक का अनुवाद और रूपान्तर), ‘कला अनुभव’ (प्रो. हरियन्ना की सौन्दर्यशास्त्रीय पुस्तक का अनुवाद), ‘इन्दिरा गाँधी की आखिरी लड़ाई’ (बी.बी.सी. संवाददाता मार्क टली-सतीश जैकब की किताब का हिन्दी अनुवाद), ‘रोम्यां रोलां का भारत’ (आंशिक अनुवाद और सम्पादन) का अनुवाद। भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, ओमप्रकाश साहित्य सम्मान, श्रीकान्त वर्मा स्मृति पुरस्कार, मुक्तिबोध पुरस्कार, साहित्यकार सम्मान, हिन्दी अकादेमी, दिल्ली, रामकृष्ण जयदयाल सद्भावना सम्मान, पहल सम्मान, कथाक्रम सम्मान, पुश्किन सम्मान, द्विजदेव सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कारों से पुरस्कृत।
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