Chacha Chhakkan Ke Chhakke

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
संजीव निगम
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Vani Prakashan
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संजीव निगम
Language:
Hindi
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Hardback

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‘चचा छक्कन के छक्के’ संग्रह के लघु नाटकों में सच में हास्य-व्यंग्य के चौक्के छक्के लगते हैं। स्कूल में एडमिशन की समस्या नो एडमिशन हो या नर्सिंग होम में महँगे इलाज से बेहाल मरीज़ एक अनार, सौ बीमार, पुरुष द्वारा घर का काम करने की मशक्कत नौकर नहीं चाहिए या फिर हर तरह के कुँवारों की समस्या का जंजाल कुँवारा सम्मेलन, ये नाटक हँसाने के साथ-साथ किसी न किसी विसंगति की बखिया भी उधेड़ते हैं। शरीफ़ों की शान्ति असामाजिक तत्त्वों के सामने तथाकथित शरीफ़ों की बोलती बन्द रहने की जम कर ख़बर लेता है। और हुजूर दिल्ली दूर है कहीं घूमने के लिए जाते परिवार को वापस घर बैठा देने वाली पड़ोसियों की कारगुज़ारियों के हास्य से भरपूर है। चचा छक्कन के छक्के में उम्र पचपन की दिल बचपन का वाला मज़ेदार खेल है।

ये लघु नाटक पढ़ने में रोचक और मंचन में मुस्कान लिए हैं।

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Description

‘चचा छक्कन के छक्के’ संग्रह के लघु नाटकों में सच में हास्य-व्यंग्य के चौक्के छक्के लगते हैं। स्कूल में एडमिशन की समस्या नो एडमिशन हो या नर्सिंग होम में महँगे इलाज से बेहाल मरीज़ एक अनार, सौ बीमार, पुरुष द्वारा घर का काम करने की मशक्कत नौकर नहीं चाहिए या फिर हर तरह के कुँवारों की समस्या का जंजाल कुँवारा सम्मेलन, ये नाटक हँसाने के साथ-साथ किसी न किसी विसंगति की बखिया भी उधेड़ते हैं। शरीफ़ों की शान्ति असामाजिक तत्त्वों के सामने तथाकथित शरीफ़ों की बोलती बन्द रहने की जम कर ख़बर लेता है। और हुजूर दिल्ली दूर है कहीं घूमने के लिए जाते परिवार को वापस घर बैठा देने वाली पड़ोसियों की कारगुज़ारियों के हास्य से भरपूर है। चचा छक्कन के छक्के में उम्र पचपन की दिल बचपन का वाला मज़ेदार खेल है।

ये लघु नाटक पढ़ने में रोचक और मंचन में मुस्कान लिए हैं।

About Author

संजीव निगम - जन्मतिथि : 16 अक्टूबर शिक्षा : एम.फिल (हिन्दी साहित्य), दिल्ली विश्वविद्यालय । वर्तमान में : निदेशक-हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, मुम्बई। पूर्व मुख्य प्रबन्धक (मार्केटिंग और कॉर्पोरेट कम्यूनिकेशन), देना बैंक । हिन्दी के चर्चित रचनाकार, कविता, कहानी, व्यंग्य, लेख, नाटक आदि विधाओं में सक्रिय रूप से लेखन । वर्ष 2019 में व्यंग्य संग्रह 'साढ़े तीन मिनट का भाषण' पर महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के आचार्य रामचन्द्र शुक्ल स्वर्ण पुरस्कार से सम्मानित । प्रकाशित पुस्तकें : साढ़े तीन मिनट का भाषण, अंगुलिमाल का अहिंसा का नया फंडा (व्यंग्य संग्रह), कहो तथागत एवं अन्य एकांकी (एकांकी संग्रह), नाचती आकृतियाँ (शरलॉक होम्स की कहानियों का अनुवाद), और सतीश जीत गया (बाल कहानी संग्रह), जनसम्पर्क (व्यावसायिक) । प्रमुख सम्मान : मुम्बई रत्न अवार्ड, ड्रीम अचीवर्स अवार्ड, राजीव सारस्वत व्यंग्य सम्मान, कथाबिम्ब अखिल भारतीय कहानी पुरस्कार, राइटर्स एंड जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन द्वारा साहित्य गौरव सम्मान, अखिल भारतीय शोभना सम्मान, डॉ. संदीप सिंह साहित्य गौरव पुरस्कार, हिन्दी सेवी संस्था इलाहाबाद द्वारा साहित्य शिरोमणि, अखिल भारतीय वाग्धारा सम्मान आदि । अन्य रचनात्मक लेखन : कुछ टीवी धारावाहिकों का भी लेखन । 18 कॉर्पोरेट फ़िल्मों का लेखन । गीतों का एक एलबम 'प्रेम रस' नाम से जारी । आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से नाटकों का प्रसारण । फ़ीचर फ़िल्म 'कड़के कमाल के', का लेखन । पाठ्यक्रम में : एकांकी 'नो एडमिशन' मुम्बई यूनिवर्सिटी के बी.ए. (हिन्दी) तीसरे वर्ष में संकलित । महाराष्ट्र राज्य की 8वीं की बाल भारती में व्यंग्य लेख 'मान न मान मैं तेरा मेहमान' संग्रहित । सी. बी.एस.ई. के लिए उत्थान सीरीज़ में 7वीं कक्षा के लिए कहानी संग्रहित । सम्पर्क : डी 204, संकल्प 2, पिम्परी पाड़ा, फ़िल्म सिटी रोड, मालाड पूर्व, मुम्बई-400097 | ईमेल : nigamsanjiv59@gmail.com

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