Bhoole-Bisre Film Sangeet Sitare

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
रघुनन्दन शर्मा 'तुषार'
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Vani Prakashan
Author:
रघुनन्दन शर्मा 'तुषार'
Language:
Hindi
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Hardback

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नयी पीढ़ी के लोग भी उन गानों में से से गानों को सुनते और गुनगुनाते हैं। उत्सुकता जगाते है उन लोगों में जो जानना चाहते हैं कि ये कौन संगीतकार, गीतकार, गायक थे जिन्होंने संगीत व गीतों का खजाना बनाकर हमारे सामने रखा और फिल्म संगीत सरिता को अविरल बहने में मदद की। इन संगीतकारों की जानकारी यत्र-तत्र मिल भी जाती है। मगर पुस्तक के रूप में ज्यादातर उपलब्ध नहीं है। मैंने सोचा क्यों न इन महान कालजयी संगीतकारों के जीवन तथा कृतित्व की जानकारी एक पुस्तक के रूप में लोगों के खासतौर पर आज की युवा पीढ़ी के सामने लाची जाये। मैंने इस बारे में प्रयास करना शुरू किया और अथक प्रयासों के बाद इस जानकारी को पुस्तक रूप में समेटा। भारतीय खासतौर पर फिल्मी संगीत यूँ ही एक दिन में उच्च शिखर पर नहीं पहुंचा। कई संगीतकारों की मेहनत, लगन, निष्ठा और तपस्या की वजह से फिल्म संगीत अपनी ऊंचाइयों पर पहुंचा । ये बात और है कि आज के दौर में ख़ासतौर पर सत्तर के बाद फिल्म संगीत: में गिरावट आनी शुरू हो गयी। मधुर संगीत में एक कमी-सी महसूस होने लगी। जैसे-जैसे कभी महसूस होती गयी, वैसे-वैसे पुराने संगीतकार और उनकी संगीत रचनाएँ उतनी ही व्याकुलता के साथ दिमाग में ताजा होती रहीं।

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Description

नयी पीढ़ी के लोग भी उन गानों में से से गानों को सुनते और गुनगुनाते हैं। उत्सुकता जगाते है उन लोगों में जो जानना चाहते हैं कि ये कौन संगीतकार, गीतकार, गायक थे जिन्होंने संगीत व गीतों का खजाना बनाकर हमारे सामने रखा और फिल्म संगीत सरिता को अविरल बहने में मदद की। इन संगीतकारों की जानकारी यत्र-तत्र मिल भी जाती है। मगर पुस्तक के रूप में ज्यादातर उपलब्ध नहीं है। मैंने सोचा क्यों न इन महान कालजयी संगीतकारों के जीवन तथा कृतित्व की जानकारी एक पुस्तक के रूप में लोगों के खासतौर पर आज की युवा पीढ़ी के सामने लाची जाये। मैंने इस बारे में प्रयास करना शुरू किया और अथक प्रयासों के बाद इस जानकारी को पुस्तक रूप में समेटा। भारतीय खासतौर पर फिल्मी संगीत यूँ ही एक दिन में उच्च शिखर पर नहीं पहुंचा। कई संगीतकारों की मेहनत, लगन, निष्ठा और तपस्या की वजह से फिल्म संगीत अपनी ऊंचाइयों पर पहुंचा । ये बात और है कि आज के दौर में ख़ासतौर पर सत्तर के बाद फिल्म संगीत: में गिरावट आनी शुरू हो गयी। मधुर संगीत में एक कमी-सी महसूस होने लगी। जैसे-जैसे कभी महसूस होती गयी, वैसे-वैसे पुराने संगीतकार और उनकी संगीत रचनाएँ उतनी ही व्याकुलता के साथ दिमाग में ताजा होती रहीं।

About Author

रघुनन्दन शर्मा 'तुषार' जन्म : 29 अगस्त 1944 को अलवर (राजस्थान) जिले के मातोर गाँव में एक छोटे से किसान परिवार में हुआ । शिक्षा : बी.कॉम., एल.एल.बी. । व्यवसाय : दिल्ली में वकालत । प्रकाशित साहित्य : ओरिकुला, मकरन्द और हिमज्वाल, इस बस्ती में क्या रखा है (कविता संग्रह), हरी डाल पर पीले पत्ते (उपन्यास), समय-समय पर यत्र-तत्र विभिन्न पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित। अनेक कवि सम्मेलन तया मुशायरों में रचना पाठ। अशोक चक्र द्वारा लिखित, अभिनीत तथा निर्देशित धारावाहिक ‘बोल बसंतो’ में अभिनय तथा इस धारावाहिक के विधि सलाहकार भी रहे। शीघ्र प्रकाश्य : खलिशे खार तथा परफिशा (उर्दू ग़ज़ल संग्रह) | भाषा ज्ञान : हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती तथा उर्दू | सम्पर्क : 28, द्वितीय तल, युसुफ सराय, ग्रीन पार्क एक्सटेंशन, नयी दिल्ली-110016 दूरभाष : 011-26534773 मोबाइल : 9810254485 ई-मेल : adv.rnsharma179@gmail.com

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