Rachna Aur Aalochna 417

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Rangmanch Ki Kahani 209

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Ramayan Yk Kafiya  

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
मलिकुषशुआरा द्वारका प्रसाद 'उफुकु' लखनवी, मुख्य संपादक - डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह, संपादक - डॉ. कोमल भटनागर, सह-संपादक डॉ. रंजना कृष्णा,
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback 
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
मलिकुषशुआरा द्वारका प्रसाद 'उफुकु' लखनवी, मुख्य संपादक - डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह, संपादक - डॉ. कोमल भटनागर, सह-संपादक डॉ. रंजना कृष्णा,
Language:
Hindi
Format:
Paperback 

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Book Type
Availiblity

ISBN:
SKU 9789390678631 Category
Category:
Page Extent:
360

रामायण क्या है, श्री गोस्वामी तुलसीदास और महर्षि वाल्मीकि जी की रामायण के चीदः चीदः मरवारीद (चुने हुए रत्नों) की एक मुख़्तसर लड़ी है जिसको मुसन्निफ़ (रचनाकार) ने निहायत जांफ़िशानी से गूंथा है। यह रामायण मरादीफ़ (रदीफ़ों) और क़वानी (क़ाफ़ियों) की पाबन्दी, अल्फ़ाज़ की शुस्तगी (पवित्रता), बन्दिशे मुहावरा और हुस्ने शायरी का एक मजमूआ है। मनोहर बाल भार्गव, मालिक नवल किशोर प्रेस, लखनऊ 1914 ई./ रामायण यक क़ाफ़िया उर्दू तारीख़ की वह मुन्फ़रिद नज़्म है जिसमें इन्सानी जज़्बे की तमाम सूरतें बयान की ख़ूबी के साथ यकजां हो गयी हैं। इस तरह सिर्फ़ यही नहीं कि यह मज़हबी जज़्बात या एक मज़हबी शख़्सियत के हवाले से लिखी हुई नज़्म है, बल्कि अदबी और फ़न्नी एतबार से एक अदबी और इल्मी शहपारा है, जो उर्दू शायरी के असासे में ज़बर्दस्त तारीख़ी इज़ाफ़ा है। प्रो. शारिब रुदौलवी, साबिक़ सद, शोबए उर्दू जे.एन.यू., नयी दिल्ली

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रामायण क्या है, श्री गोस्वामी तुलसीदास और महर्षि वाल्मीकि जी की रामायण के चीदः चीदः मरवारीद (चुने हुए रत्नों) की एक मुख़्तसर लड़ी है जिसको मुसन्निफ़ (रचनाकार) ने निहायत जांफ़िशानी से गूंथा है। यह रामायण मरादीफ़ (रदीफ़ों) और क़वानी (क़ाफ़ियों) की पाबन्दी, अल्फ़ाज़ की शुस्तगी (पवित्रता), बन्दिशे मुहावरा और हुस्ने शायरी का एक मजमूआ है। मनोहर बाल भार्गव, मालिक नवल किशोर प्रेस, लखनऊ 1914 ई./ रामायण यक क़ाफ़िया उर्दू तारीख़ की वह मुन्फ़रिद नज़्म है जिसमें इन्सानी जज़्बे की तमाम सूरतें बयान की ख़ूबी के साथ यकजां हो गयी हैं। इस तरह सिर्फ़ यही नहीं कि यह मज़हबी जज़्बात या एक मज़हबी शख़्सियत के हवाले से लिखी हुई नज़्म है, बल्कि अदबी और फ़न्नी एतबार से एक अदबी और इल्मी शहपारा है, जो उर्दू शायरी के असासे में ज़बर्दस्त तारीख़ी इज़ाफ़ा है। प्रो. शारिब रुदौलवी, साबिक़ सद, शोबए उर्दू जे.एन.यू., नयी दिल्ली

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