SalePaperback
Shikhandi
₹499 ₹349
Save: 30%
Stri Purush Sambandhon Ka Romanchkari Itihas
₹695 ₹487
Save: 30%
Simant Katha
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
उषाकिरण खान
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
उषाकिरण खान
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹299 ₹209
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789389563825
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
184
‘सीमान्त कथा’ उपन्यास के केन्द्र में हैं, सपनों से भरे दो तरुण वाणीधर और विधुभाल। दो भिन्न माध्यमों से समाज में परिवर्तन के आकांक्षी किन्तु समकालीन राजनीति की जटिलताएँ, राजनीति का अपराधीकरण तथा अपराध की राजनीति इन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते युवकों के जीवन का असमय तथा त्रासद अन्त होता है, जैसे भरी दोपहर में सूर्यास्त। विभिन्न जनान्दोलनों, जातीय संघर्षों तथा नरसंहारों की भूमि बिहार से उपजी यह कथा न केवल हमें उद्वेलित करती है बल्कि वामपन्थी राजनीति के खोखलेपन को भी उजागर करती है। ‘सीमान्त कथा’ केवल एक उपन्यास नहीं बल्कि 1974 के बिहार आन्दोलन के बाद के सबसे नाजुक दौर का जीवन्त दस्तावेज़ भी है। जातीय वैमनस्य की आग में धधकते इस प्रदेश में अमानवीय घृणा, क्रूर हिंसा तथा इन सबका पोषण करने वाली शासन व्यवस्था इनके बीच दो युवकों की परिवर्तनकामी इच्छाएँ, उनका उत्कट प्रेम उपन्यास में अपने पूरे तीखेपन के साथ उभरकर आता है। उपन्यास की लेखिका उषाकिरण खान ने बड़ी शिद्दत से इन जटिलताओं को अपनी प्रभावपूर्ण कथा-शैली में बाँधा है। अनेक स्थलों पर आंचलिक शब्दों के प्रयोग से कथा-प्रवाह में तीव्रता आयी है। सन् 2000 तक बिहार का परिदृश्य पारस्परिक द्रोह, ख़ून-ख़राबे का था। ऐसे समय बिहार के नौनिहाल हिंसा के शिकार हो रहे। ऐसे समय लेखक का उद्वेलित होना स्वाभाविक था।
Be the first to review “Simant Katha” Cancel reply
Description
‘सीमान्त कथा’ उपन्यास के केन्द्र में हैं, सपनों से भरे दो तरुण वाणीधर और विधुभाल। दो भिन्न माध्यमों से समाज में परिवर्तन के आकांक्षी किन्तु समकालीन राजनीति की जटिलताएँ, राजनीति का अपराधीकरण तथा अपराध की राजनीति इन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते युवकों के जीवन का असमय तथा त्रासद अन्त होता है, जैसे भरी दोपहर में सूर्यास्त। विभिन्न जनान्दोलनों, जातीय संघर्षों तथा नरसंहारों की भूमि बिहार से उपजी यह कथा न केवल हमें उद्वेलित करती है बल्कि वामपन्थी राजनीति के खोखलेपन को भी उजागर करती है। ‘सीमान्त कथा’ केवल एक उपन्यास नहीं बल्कि 1974 के बिहार आन्दोलन के बाद के सबसे नाजुक दौर का जीवन्त दस्तावेज़ भी है। जातीय वैमनस्य की आग में धधकते इस प्रदेश में अमानवीय घृणा, क्रूर हिंसा तथा इन सबका पोषण करने वाली शासन व्यवस्था इनके बीच दो युवकों की परिवर्तनकामी इच्छाएँ, उनका उत्कट प्रेम उपन्यास में अपने पूरे तीखेपन के साथ उभरकर आता है। उपन्यास की लेखिका उषाकिरण खान ने बड़ी शिद्दत से इन जटिलताओं को अपनी प्रभावपूर्ण कथा-शैली में बाँधा है। अनेक स्थलों पर आंचलिक शब्दों के प्रयोग से कथा-प्रवाह में तीव्रता आयी है। सन् 2000 तक बिहार का परिदृश्य पारस्परिक द्रोह, ख़ून-ख़राबे का था। ऐसे समय बिहार के नौनिहाल हिंसा के शिकार हो रहे। ऐसे समय लेखक का उद्वेलित होना स्वाभाविक था।
About Author
उषाकिरण खान हिन्दी एवं मैथिली साहित्य लेखन प्रकाशन। रचनाएँ: हसीना मंजिल, कासवन। पुरस्कार एवं सम्मान: बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् का हिन्दीसेवी पुरस्कार, 1998 (बिहार); बिहार राजभाषा विभाग का महादेवी वर्मा पुरस्कार, 2000 (बिहार); दिनकर राष्ट्रीय पुरस्कार, 2001 (बिहार); साहित्य अकादमी पुरस्कार-भामती-मैथिली (उपन्यास), 2010 (भारत सरकार दिल्ली), कुसुमांजलि पुरस्कार- सिरजनहार (उपन्यास), 2012 (कुसुमांजलि फाउंडेशन दिल्ली); पं. विद्यानिवास मिश्र पुरस्कार-सिरजनहार (उपन्यास), 2014- विद्याश्रीनिवास, वाराणसी (उत्तर प्रदेश); ब्रजकिशोर प्रसाद पुरस्कार, 2015। सम्मान भ्रमण: विश्व हिन्दी सम्मेलन सूरीनाम- 2004- भारत सरकार की प्रतिनिधि; विश्व हिन्दी सम्मेलन-न्यूयॉर्क-2007-बिहार सरकार की प्रतिनिधि; विश्व भोजपुरी सम्मेलन-(सेतुन्यास)- मॉरीशस-2000-बिहार की प्रतिनधि। उपलब्धि: दूरदर्शन की इंडियन क्लासिक शृंखला में-हसीना मंजिल का निर्माण एवं प्रसारण; बिहार की सांस्कृतिक गतिविधियों में संलग्न; बिहार साहित्योत्सव-(लिटरेचर फेस्टिवल-2013 व 2014-संचालन समिति की सदस्या, विभाग द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि); भारतीय कविता समारोह-2013 व 2014-बिहार सरकार द्वारा आयोजन समिति की सदस्या; अनेक सांस्कृतिक गतिविधियों की सलाहकार। सम्प्रति: प्रतिनिधि-नाट्य संस्था-निर्माण कला मंच एवं सफरमैना की अध्यक्ष; महिला चर्खा समिति (जे. पी. आवास)-पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबन्ध समिति की सदस्या; बिहार बाल भवन किलकारी की-स्थापनाकालीन प्रबन्ध समिति की सदस्या; पूर्वी क्षेत्रा सांस्कृतिक केन्द्र-भारत सरकार की बिहार की सदस्या; भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् (आई. सी. सी. आर)-की बिहार की सदस्या। सम्पर्क: 1, आदर्श कॉलोनी, श्रीकृष्णा नगर, पटना-1 मोबाइल: 09334391006
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Simant Katha” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.