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Bashir Badra Nai Ghazal Ka Ek Naam
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
निदा फाजली
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
निदा फाजली
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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ISBN:
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9789352291120
Category Hindi
Category: Hindi
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96
बशीर बद्र न शराब पीते हैं, न सिगरेट से अपनी तनहाई बहलाते हैं। वह वक़्त गुजारी के लिए दूसरे शायरों की बुराई के आनंद से भी दूर हैं। वह जहाँ भी मिलते हैं अपने नये शेर सुनाते हैं। सुनाने से पहले यही कहते हैं कि भाई नये शेर हैं कोई भूल चूक हो गयी हो तो बता दो, इस्लाह कर दो। लेकिन सुनाने का अंदाज ऐसा होता है जैसे कह रहे हों…”क्यों झक मारते हो-ग़ज़ल कहना हो तो इस तरह कहा करो।”
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Description
बशीर बद्र न शराब पीते हैं, न सिगरेट से अपनी तनहाई बहलाते हैं। वह वक़्त गुजारी के लिए दूसरे शायरों की बुराई के आनंद से भी दूर हैं। वह जहाँ भी मिलते हैं अपने नये शेर सुनाते हैं। सुनाने से पहले यही कहते हैं कि भाई नये शेर हैं कोई भूल चूक हो गयी हो तो बता दो, इस्लाह कर दो। लेकिन सुनाने का अंदाज ऐसा होता है जैसे कह रहे हों…”क्यों झक मारते हो-ग़ज़ल कहना हो तो इस तरह कहा करो।”
About Author
निदा फ़ाजली : निदा फ़ाजली का जन्म 12 अक्टूबर 1938 को दिल्ली में और प्रारंभिक जीवन ग्वालियर में गुजरा। ग्वालियर में रहते हुए उन्होंने उर्दू अदब में अपनी पहचान बना ली थी और बहुत जल्द वे उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के एक महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में पहचाने जाने लगे। निदा फ़ाजली की कविताओं का पहला संकलन ‘लफ़्ज़ों का पुल’ छपते ही उन्हें भारत और पाकिस्तान में जो ख्याति मिली वह बिरले ही कवियों को नसीब होती है। इससे पहले अपनी गद्य की किताब मुलाकातें के लिए वे काफी विवादास्पद और चर्चित रह चुके थे। ‘खोया हुआ सा कुछ’ उनकी शाइरी का एक और महत्त्वपूर्ण संग्रह है। सन 1999 का साहित्य अकादमी पुरस्कार ‘खोया हुआ सा कुछ’ पुस्तक पर दिया गया है। उनकी आत्मकथा का पहला खंड ‘दीवारों के बीच’ और दूसरा खंड ‘दीवारों के बाहर’ बेहद लोकप्रिय हुए हैं। फिलहाल: फिल्म उद्योग से सम्बद्ध।
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