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Ismat Chughtai Ke Do Novel

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
इस्मत चुगताई
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
इस्मत चुगताई
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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1-4 Days

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SKU 9789388684576 Category
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180

सौदाई और दिल की दुनिया इस्मत चुग़ताई के दो छोटे उपन्यास हैं। जिनकी बहुत चर्चा नहीं होती! चर्चा न होने से किसी कृति का महत्त्व कम नहीं हो जाता, न ही उसकी पठनीयता को लेकर कोई सन्देह बनता है! इतना अवश्य है कि किसी भी रचनाकार की सभी कृतियाँ समान स्तर की नहीं होती! होना भी नहीं चाहिए। सौदाई हो या दिल की दुनिया दोनों ही उपन्यासों में वह कथ्य को इस त्रासद तथ्य का साक्ष्य बनाने में सफल रही हैं कि कैसे धार्मिक कानूनों, सम्पत्ति व अवसरों की बन्दर बाँट में पुरुष लगातार शक्तिशाली होता गया और स्त्री कमज़ोर! अपने तमाम सामर्थ्य, प्रतिभा व निष्ठा के बावजूद पुरुषों के हाथ की कठपुतली बन जाना स्त्री की जैसे नियति ही बन गयी! दिल की दुनिया में इस्मत चुग़ताई बुआ और कुदसिया के माध्यम से इस यूटोपिया को तोड़ने की दिशा में जाती हैं! जहाँ स्त्री अधिकार के बुनियादी प्रश्न भी उठते हैं! कुदसिया रूढ़िवादी पारिवारिक संरचना को भी आघात लगती है! दोनों उपन्यासों में भाषा का अपना सुख है! इस्मत ने अपनी भाषा आप बनाई है! कथ्य के साथ ऐसा ग़ज़ब का तालमेल कम दिखता है!

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Description

सौदाई और दिल की दुनिया इस्मत चुग़ताई के दो छोटे उपन्यास हैं। जिनकी बहुत चर्चा नहीं होती! चर्चा न होने से किसी कृति का महत्त्व कम नहीं हो जाता, न ही उसकी पठनीयता को लेकर कोई सन्देह बनता है! इतना अवश्य है कि किसी भी रचनाकार की सभी कृतियाँ समान स्तर की नहीं होती! होना भी नहीं चाहिए। सौदाई हो या दिल की दुनिया दोनों ही उपन्यासों में वह कथ्य को इस त्रासद तथ्य का साक्ष्य बनाने में सफल रही हैं कि कैसे धार्मिक कानूनों, सम्पत्ति व अवसरों की बन्दर बाँट में पुरुष लगातार शक्तिशाली होता गया और स्त्री कमज़ोर! अपने तमाम सामर्थ्य, प्रतिभा व निष्ठा के बावजूद पुरुषों के हाथ की कठपुतली बन जाना स्त्री की जैसे नियति ही बन गयी! दिल की दुनिया में इस्मत चुग़ताई बुआ और कुदसिया के माध्यम से इस यूटोपिया को तोड़ने की दिशा में जाती हैं! जहाँ स्त्री अधिकार के बुनियादी प्रश्न भी उठते हैं! कुदसिया रूढ़िवादी पारिवारिक संरचना को भी आघात लगती है! दोनों उपन्यासों में भाषा का अपना सुख है! इस्मत ने अपनी भाषा आप बनाई है! कथ्य के साथ ऐसा ग़ज़ब का तालमेल कम दिखता है!

About Author

इस्मत चुगताई (1912-1992) उर्दू कथा साहित्य में अपनी बेबाक अभिव्यक्ति के लिए अलग से जानी जाती हैं। उनकी कृतियों में मानवीय करुणा और सक्रिय प्रतिरोध का दुर्लभ सामंजस्य है जिसकी बिना पर उनकी सर्जनात्मक प्रतिमा की एक विशिष्ट पहचान बनती है। इस्मत चुगताई शुरुआत से ही प्रगतिशील साहित्यांदोलन से जुडी रहीं और जब जरूरत हुई, उन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया लेकिन कभी खुद को तरक्की पसन्द कहलाने का आग्रह नहीं किया। आन्दोलन के पहले उभार के दौरान प्रगतिशील लेखकों के उर्दू मुख-पत्र ‘नया अदब’ में प्रकाशित उनकी कहानियों के जरिए प्रगतिशील कथालेखन का एक नया रुजहान सामने आया। उन्होंने प्रगतिशील कथा-आलोचना के प्रतिमानों के सामने चुनौती खड़ी कर दी।

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