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Bhagva Ka Rajneetik Paksh Vajpayee Se Modi Tak
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Begum Zainabadi
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
शरद पगारे
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
शरद पगारे
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹250 ₹175
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ISBN:
SKU
9789352291144
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
246
उपन्यास औरंगजेब को इतिहास प्रसिद्ध खलनायक की जगह ऐसे विद्रोही नायक के रूप में प्रस्तुत करता है जो पिता शाहजहाँ की उपेक्षा, पक्षपात और भाई दाराशिकोह व बहन जहाँनारा की कथित ईर्ष्या और षड्यन्त्रों के चलते उदंड हो गया है। उपन्यास को रोचकता के साथ तथ्यात्मकता भी प्रदान की है।-इंडिया टुडे (हिन्दी) यहाँ एक प्रेम प्रसंग के जरिए औरंगज़ेब की मानसिक अवस्थाओं, व्याकुलता, उद्वेग, संवेगों को रेखांकित किया गया है। उपन्यासकार का कथा-कौशल है कि उपन्यास के भीतर सर्जित परिवेश बेहद जीवन्त और ताज़ादम प्रतीत होता है। दक्कनी, राजस्थानी और हिन्दी-तीनों भाषाएँ परिवेश को सहज और विश्वसनीय बनाती हैं। तवायफ़ों द्वारा बोली जाने वाली दक्कनी इस उपन्यास की विशिष्टता कही जायेगी।-समकालीन भारतीय साहित्य रचना में भूत और वर्तमान की घटनाएँ साथ-साथ चलती हैं जिसके लिए लेखक ने ‘स्ट्रीम ऑफ़ कॉनशसनेस’ और ‘फ्लेश बेक’ आदि तकनीकों का उपयोग किया है। उपन्यास पठनीय है, क्योंकि यह औरंगज़ेब के एक अपरिचित पहलू से परिचित कराता है। -नई दुनिया
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Description
उपन्यास औरंगजेब को इतिहास प्रसिद्ध खलनायक की जगह ऐसे विद्रोही नायक के रूप में प्रस्तुत करता है जो पिता शाहजहाँ की उपेक्षा, पक्षपात और भाई दाराशिकोह व बहन जहाँनारा की कथित ईर्ष्या और षड्यन्त्रों के चलते उदंड हो गया है। उपन्यास को रोचकता के साथ तथ्यात्मकता भी प्रदान की है।-इंडिया टुडे (हिन्दी) यहाँ एक प्रेम प्रसंग के जरिए औरंगज़ेब की मानसिक अवस्थाओं, व्याकुलता, उद्वेग, संवेगों को रेखांकित किया गया है। उपन्यासकार का कथा-कौशल है कि उपन्यास के भीतर सर्जित परिवेश बेहद जीवन्त और ताज़ादम प्रतीत होता है। दक्कनी, राजस्थानी और हिन्दी-तीनों भाषाएँ परिवेश को सहज और विश्वसनीय बनाती हैं। तवायफ़ों द्वारा बोली जाने वाली दक्कनी इस उपन्यास की विशिष्टता कही जायेगी।-समकालीन भारतीय साहित्य रचना में भूत और वर्तमान की घटनाएँ साथ-साथ चलती हैं जिसके लिए लेखक ने ‘स्ट्रीम ऑफ़ कॉनशसनेस’ और ‘फ्लेश बेक’ आदि तकनीकों का उपयोग किया है। उपन्यास पठनीय है, क्योंकि यह औरंगज़ेब के एक अपरिचित पहलू से परिचित कराता है। -नई दुनिया
About Author
शरद पगारे जन्म-स्थानः खण्डवा, मध्य प्रदेश। शिक्षा : इतिहास में एम.ए.. पीएच.डी.। सेवानिवृत्त : प्रोफ़ेसर एवं प्राचार्य, उच्च शिक्षा, मध्य प्रदेश शासन। विशेष : विजिटिंग प्रोफ़ेसर के रूप में शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय, बैंकॉक-थाईलैंड में अध्यापन। विदेश यात्राएँ : थाईलैंड, हांगकांग, सिंगापुर, मॉरीशस, श्रीलंका एवं यूरोप। प्रकाशित कृतियाँ उपन्यास : गुलारा बेग़म, गन्धर्वसेन, बेग़म जैनाबादी, उजाले की तलाश, पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी, शोध प्रबन्ध, ज़िन्दगी एक सलीब-सी, ज़िन्दगी के बदलते रूप। कहानी संग्रह : एक मुट्ठी ममता, सांध्य तारा, नारी के रूप (दा संस्करण), दूसरा देवदास, श्रेष्ठ कहानियाँ। अनेक कहानियों का उड़िया, मराठी, मलयालम, कन्नड़, तेलुग में अनुवाद एवं प्रकाशन। भारत की श्रेष्ठ ऐतिहासिक प्रेम कहानियाँ, शरद पगारे के दो नाटक। सम्मान एवं पुरस्कार : मध्य प्रदेश साहित्य परिषद् का विश्वनाथ सिंह पुरस्कार (गलारा बेग़म), अखिल भारतीय दिव्य एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन का वागीश्वरी पुरस्कार (बेग़म जैनाबादी), मध्य प्रदेश लेखक संघ का अक्षर आदित्य अलंकरण। साहित्य मण्डल, श्रीनाथ द्वारा (राजस्थान) का हिन्दी भाषा भूषण सम्मान। अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन का हिन्दी भाषा भूषण सम्मान, मध्य प्रदेश कला परिषद् का अभिनव शब्द, शिल्पी सम्मान, हिन्दी साहित्य सम्मलन, प्रयाग का साहित्य वाचस्पति बालकृष्ण शर्मा नवीन अलंकरण (पाटलिपत्र की सम्राज्ञी), अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में सुजन गाथा रायपुर एवं राजस्थानी साहित्य अकादमी उदयपर का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान (ज़िन्दगी के बदलते रूप)। सम्पर्क: सुमन कुंज, 110, स्नेह नगर, नवलखा, इंदौर (म.प्र.)-452001
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