Titli

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
जयशंकर प्रसाद
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Vani Prakashan
Author:
जयशंकर प्रसाद
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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SKU 9788181433961 Category
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184

गंगा के शीतल जल में राजकुमारी देर तक नहाती रही, और सोचती थी अपने जीवन की अतीत घटनाएँ। तितली के ब्याह के प्रसंग से और चौबे के आने-जाने से नयी होकर वे उसकी आँखों के सामने अपना चित्र उन लहरों में खींच रही थीं। मधुबन की गृहस्थी का नशा उसे अब तक विस्मृति के अन्धकार में डाले हुए था। वह सोच रही थी-क्या वही सत्य था? इतना दिन जो मैंने किया, वह भ्रम था! मधुबन जब ब्याह कर लेगा, तब यहाँ मेरा क्या काम रह जायेगा? गृहस्थी! उसे ये चलाने के लिए तो तितली आ ही जाएगी। अहा! तितली कितनी सुन्दर है! -इसी पुस्तक से…

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Description

गंगा के शीतल जल में राजकुमारी देर तक नहाती रही, और सोचती थी अपने जीवन की अतीत घटनाएँ। तितली के ब्याह के प्रसंग से और चौबे के आने-जाने से नयी होकर वे उसकी आँखों के सामने अपना चित्र उन लहरों में खींच रही थीं। मधुबन की गृहस्थी का नशा उसे अब तक विस्मृति के अन्धकार में डाले हुए था। वह सोच रही थी-क्या वही सत्य था? इतना दिन जो मैंने किया, वह भ्रम था! मधुबन जब ब्याह कर लेगा, तब यहाँ मेरा क्या काम रह जायेगा? गृहस्थी! उसे ये चलाने के लिए तो तितली आ ही जाएगी। अहा! तितली कितनी सुन्दर है! -इसी पुस्तक से…

About Author

जयशंकर प्रसाद जन्म : 30 जनवरी, 1890; वाराणसी (उ.प्र.)। स्कूली शिक्षा मात्र आठवीं कक्षा तक। तत्पश्चात् घर पर ही संस्कृत, अंग्रेजी, पालि और प्राकृत भाषाओं का अध्ययन। इसके बाद भारतीय इतिहास, संस्कृति, दर्शन, साहित्य और पुराण-कथाओं का एकनिष्ठ स्वाध्याय। पिता देवीप्रसाद तम्बाकू और सुँघनी का व्यवसाय करते थे और वाराणसी में इनका परिवार ‘सुँघनी साहू' के नाम से प्रसिद्ध था। पिता के साथ बचपन में ही अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की यात्राएँ कीं। छायावादी कविता के चार प्रमुख उन्नायकों में से एक। एक महान लेखक के रूप में प्रख्यात। विविध रचनाओं के माध्यम से मानवीय करुणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूर्ण पक्षों का उद्घाटन। 48 वर्षों के छोटे-से जीवन में कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचनात्मक निबन्ध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाएँ। 14 जनवरी, 1937 को वाराणसी में निधन।

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