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Teen Moti Auraten (Manto Ab Tak-23)
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
सआदत हसन मण्टो
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
सआदत हसन मण्टो
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹125 ₹124
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ISBN:
SKU
9789350723456
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
72
मण्टों की कहानी में अनुभव की सच्चाई भी है और ज़ुल्म के एहसास की प्रेरणा भी । इसीलिए मैं हतक़ को वेश्याओं की ज़िन्दगी पर किसी भारतीय कथाकार द्वारा लिखी गयी कहानियों में पहली पंक्ति पर रखना चाहूँगा । हतक़ में मण्टो के दृष्टिकोण की लगभग सभी विशेषताएँ हैं— आक्रोश, दर्द और अपार मानवीयता। वेश्यावृत्ति की ज़लालत का ऐसा अपूर्व चित्र मण्टो ने इसमें खींचा है कि सेठ द्वारा सुगन्धी को नापसन्द कर दिये जाने वाले प्रसंग के बाद पाठक अनायास सुगन्धी के दिल की कुढ़न और उसके फूट पड़ते आक्रोश के सहभागी बन जाते हैं। मण्टो ने कहानी में स्पष्ट रूप से दो वर्गों का चित्रण किया है- पहला वह जो शोषण करता है, जो ख़रीदार है और जो चूँकि पैसे देता है, इसलिए वह अपनी पसन्दगी या नापसन्दगी जाहिर कर सकता है। दूसरा वर्ग सुगन्धी का है, जो ज़लालत-भरी ज़िन्दगी जीते हुए भी, मानवीयता से रहित नहीं है, लेकिन जो इस शोषण का शिकार बनने-बिकने के लिए मजबूर है। सुगन्धी इस दूसरे वर्ग में है और चूँकि वह सेठ से अपने अपमान का बदला नहीं ले पाती, इसीलिए उसका सारा गुस्सा माधो पर उतरता है जो सुगन्धी का सिर्फ़ आर्थिक शोषण ही नहीं करता, वरन उसकी सहज अच्छाई का भी फ़ायदा उठाता है। माधो के प्रति सुगन्धी के मन में जो गुस्सा है- और वह जो दरअसल मण्टो के अन्तर का आक्रोश है- जिसे वह उस सारी व्यवस्था के मुँह पर जैसे एक जन्नाटे के थप्पड़ की तरह जड़ देता है।
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Description
मण्टों की कहानी में अनुभव की सच्चाई भी है और ज़ुल्म के एहसास की प्रेरणा भी । इसीलिए मैं हतक़ को वेश्याओं की ज़िन्दगी पर किसी भारतीय कथाकार द्वारा लिखी गयी कहानियों में पहली पंक्ति पर रखना चाहूँगा । हतक़ में मण्टो के दृष्टिकोण की लगभग सभी विशेषताएँ हैं— आक्रोश, दर्द और अपार मानवीयता। वेश्यावृत्ति की ज़लालत का ऐसा अपूर्व चित्र मण्टो ने इसमें खींचा है कि सेठ द्वारा सुगन्धी को नापसन्द कर दिये जाने वाले प्रसंग के बाद पाठक अनायास सुगन्धी के दिल की कुढ़न और उसके फूट पड़ते आक्रोश के सहभागी बन जाते हैं। मण्टो ने कहानी में स्पष्ट रूप से दो वर्गों का चित्रण किया है- पहला वह जो शोषण करता है, जो ख़रीदार है और जो चूँकि पैसे देता है, इसलिए वह अपनी पसन्दगी या नापसन्दगी जाहिर कर सकता है। दूसरा वर्ग सुगन्धी का है, जो ज़लालत-भरी ज़िन्दगी जीते हुए भी, मानवीयता से रहित नहीं है, लेकिन जो इस शोषण का शिकार बनने-बिकने के लिए मजबूर है। सुगन्धी इस दूसरे वर्ग में है और चूँकि वह सेठ से अपने अपमान का बदला नहीं ले पाती, इसीलिए उसका सारा गुस्सा माधो पर उतरता है जो सुगन्धी का सिर्फ़ आर्थिक शोषण ही नहीं करता, वरन उसकी सहज अच्छाई का भी फ़ायदा उठाता है। माधो के प्रति सुगन्धी के मन में जो गुस्सा है- और वह जो दरअसल मण्टो के अन्तर का आक्रोश है- जिसे वह उस सारी व्यवस्था के मुँह पर जैसे एक जन्नाटे के थप्पड़ की तरह जड़ देता है।
About Author
सआदत हसन मंटो कहानीकार और लेखक थे। मंटो फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। मंटो फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। प्रसिद्ध कहानीकार मंटो का जन्म 11 मई 1912 को पुश्तैनी बैरिस्टरों के परिवार में हुआ था। उनके पिता ग़ुलाम हसन नामी बैरिस्टर और सेशन जज थे। उनकी माता का नाम सरदार बेगम था, और मंटो उन्हें बीबीजान कहते थे। सआदत हसन मंटो की गिनती ऐसे साहित्यकारों में की जाती है जिनकी कलम ने अपने वक़्त से आगे की ऐसी रचनाएँ लिख डालीं जिनकी गहराई को समझने की दुनिया आज भी कोशिश कर रही है। मंटो की कहानियों की बीते दशक में जितनी चर्चा हुई है उतनी शायद उर्दू और हिन्दी और शायद दुनिया के दूसरी भाषाओं के कहानीकारों की कम ही हुई है। आंतोन चेखव के बाद मंटो ही थे जिन्होंने अपनी कहानियों के दम पर अपनी जगह बना ली। मंटो साहित्य जगत के ऐसे लेखक थे जो अपनी लघु कहानियों के काफी चर्चित हुए। वाणी प्रकाशन से मंटो के पच्चीस कहानी-संग्रह प्रकाशित हैं – ‘रोज़ एक कहानी’, ‘एक प्रेम कहानी’, ‘शरीर और आत्मा’, ‘मेरठ की कैंची’, ‘दौ कौमें’, ‘टेटवाल का कुत्ता’, ‘सन 1919 की एक बात’, ‘मिस टीन वाला’, ‘गर्भ बीज’, ‘गुनहगार मंटो’, ‘शरीफन’, ‘सरकाण्डों के पीछे’, ‘राजो और मिस फ़रिया ‘, ‘फ़ोजा हराम दा’, ‘नया कानून’, ‘मीना बाज़ार’, ‘मैडम डिकॉस्टा’, ‘ख़ुदा की क़सम’, ‘जान मुहम्मद’, ‘गंजे फरिश्ते’, ‘बर्मी लड़की’, ‘बँटवारे के रेखाचित्र’, ‘बादशाह का खात्मा’, ‘तीन मोती औरतें’, ‘तीन गोले’। सआदत हसन मंटो उर्दू-हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण कथाकार माने जाते हैं। उनकी लिखी हुई उर्दू-हिन्दी की कहानियाँ आज एक दस्तावेज बन गयी हैं।
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