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Aitihasik Natak
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
दया प्रकाश सिन्हा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
दया प्रकाश सिन्हा
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹795 ₹557
Save: 30%
In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789387889118
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
364
ऐतिहासिक नाटक – दया प्रकाश सिन्हा का वृत्त नाटक “इतिहास” सही अर्थों में भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास है। वह 1857 से 1947 के बीच के ऐतिहासिक तथ्यों को पूर्ण- सत्यता के उद्भासित करता है । सत्यनिष्ठा इतिहास लेखन की पहली और अंतिम कसौटी होनी चाहिए। किन्तु दुर्भाग्य से पिठले डेढ़ सौ वर्षों में औपनिवेशिक एवं मार्क्सवादी इतिहासकारों ने ऐतिहासिक सत्य की अपेक्षा, इतिहास के माध्यम से अपनी-अपनी विचारधारा को प्रतिष्ठित करने पर अधिक महत्व दिया है, और इसके लिए उन्होंने सत्य को अपने निहित उद्देश्य से तोड़-मरोड़ करके प्रस्तुत किया है।
सौभाग्य से श्री सिन्हा इस दुराग्रह से ग्रसित नहीं हैं। उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को, जो जैसे हैं वैसे ही, बिना लाग-लपेट के बिना किसी भूमिका या परिप्रेक्ष्य के, दर्शकों के सम्मुख बड़े साहस के साथ सजीव कर दिया है। उन्होंने यह दर्शकों पर छोड़ दिया है कि वे इतिहास को अपने-अपने दृष्टिकोण से देखें, समझें, परखें। वह इतिहासकार को इतिहास और पाठकों के बीच का “बिचौलिया” नहीं समझते हैं।
सौ वर्षों के अन्तराल में अलग-अलग समय पर जन्में, अलग-अलग व्यक्तियों और घटती घटनाओं के बीच एकत्व के सूत्र को पहचानने की श्री सिन्हा में दृष्टि है, जिससे कार्य, समय और चरित्र की विषमताओं के बावजूद नाटक का एक सुगठित, सुगुम्फित और ध्येय-केन्द्रित रचनात्मक स्वरूप उभर कर आया है। नाटक में स्वतंत्रता संघर्ष की दोनों मुख्य धाराओं-क्रांतिधरा और सुधारधारा, के साथ समान न्याय किया गया है। यह सम्भव है कि इतिहास का सच किसी को कडुआ भी लगे। सच कडुआ होता है। जो समाज कडुए सच को स्वीकार कर सकते हैं, वे ही विषपायी शिव के समान अमर हो सकते हैं।
जिस राष्ट्र के नेता इतिहास से सबक नहीं लेते, वह राष्ट्र ऐतिहासिक गलतियां करता है। यह नाटक सामान्यजन में ऐतिहासिक चेतना के साथ-साथ राष्ट्रबोध भी जागृत करेगा । इस परिप्रेक्ष्य में यह वृत्त – नाटक विशेष रूप से स्वागतयोग्य है ।
– (कु. सी. सुदर्शन) सह सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
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Description
ऐतिहासिक नाटक – दया प्रकाश सिन्हा का वृत्त नाटक “इतिहास” सही अर्थों में भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास है। वह 1857 से 1947 के बीच के ऐतिहासिक तथ्यों को पूर्ण- सत्यता के उद्भासित करता है । सत्यनिष्ठा इतिहास लेखन की पहली और अंतिम कसौटी होनी चाहिए। किन्तु दुर्भाग्य से पिठले डेढ़ सौ वर्षों में औपनिवेशिक एवं मार्क्सवादी इतिहासकारों ने ऐतिहासिक सत्य की अपेक्षा, इतिहास के माध्यम से अपनी-अपनी विचारधारा को प्रतिष्ठित करने पर अधिक महत्व दिया है, और इसके लिए उन्होंने सत्य को अपने निहित उद्देश्य से तोड़-मरोड़ करके प्रस्तुत किया है।
सौभाग्य से श्री सिन्हा इस दुराग्रह से ग्रसित नहीं हैं। उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को, जो जैसे हैं वैसे ही, बिना लाग-लपेट के बिना किसी भूमिका या परिप्रेक्ष्य के, दर्शकों के सम्मुख बड़े साहस के साथ सजीव कर दिया है। उन्होंने यह दर्शकों पर छोड़ दिया है कि वे इतिहास को अपने-अपने दृष्टिकोण से देखें, समझें, परखें। वह इतिहासकार को इतिहास और पाठकों के बीच का “बिचौलिया” नहीं समझते हैं।
सौ वर्षों के अन्तराल में अलग-अलग समय पर जन्में, अलग-अलग व्यक्तियों और घटती घटनाओं के बीच एकत्व के सूत्र को पहचानने की श्री सिन्हा में दृष्टि है, जिससे कार्य, समय और चरित्र की विषमताओं के बावजूद नाटक का एक सुगठित, सुगुम्फित और ध्येय-केन्द्रित रचनात्मक स्वरूप उभर कर आया है। नाटक में स्वतंत्रता संघर्ष की दोनों मुख्य धाराओं-क्रांतिधरा और सुधारधारा, के साथ समान न्याय किया गया है। यह सम्भव है कि इतिहास का सच किसी को कडुआ भी लगे। सच कडुआ होता है। जो समाज कडुए सच को स्वीकार कर सकते हैं, वे ही विषपायी शिव के समान अमर हो सकते हैं।
जिस राष्ट्र के नेता इतिहास से सबक नहीं लेते, वह राष्ट्र ऐतिहासिक गलतियां करता है। यह नाटक सामान्यजन में ऐतिहासिक चेतना के साथ-साथ राष्ट्रबोध भी जागृत करेगा । इस परिप्रेक्ष्य में यह वृत्त – नाटक विशेष रूप से स्वागतयोग्य है ।
– (कु. सी. सुदर्शन) सह सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
About Author
हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ नाटककार दया प्रकाश सिन्हा की रंगमंच के प्रति बहुआयामी प्रतिबद्धता है। पिछले चालीस वर्षों में अभिनेता, नाटककार, निर्देशक, नाट्य-अध्येता के रूप में भारतीय रंगविधा को उन्होंने विशिष्ट योगदान दिया है। दया प्रकाश सिन्हा अपने नाटकों के प्रकाशन के पूर्व, स्वयं उनको निर्देशित करके संशोधित/संवर्धित करते हैं। इसलिए उनके नाटक साहित्यगत/कलागत मूल्यों को सुरक्षित रखते हुए मंचीय भी होते हैं। दया प्रकाश सिन्हा के प्रकाशित नाटक हैं- मन के भँवर, इतिहास चक्र, ओह अमेरिका, मेरे भाई: मेरे दोस्त, कथा एक कंस की, सादर आपका, सीढ़ियाँ, अपने अपने दाँव, साँझ-सबेरा, पंचतंत्रा लघुनाटक (बाल नाटक), हास्य एकांकी (संग्रह), इतिहास, दुस्मन, रक्त-अभिषेक तथा सम्राट अशोक। दया प्रकाश सिन्हा नाटक-लेखन के लिए केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी, नयी दिल्ली के राष्ट्रीय ‘अकादमी अवार्ड’, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के ‘अकादमी पुरस्कार’, हिन्दी अकादमी, दिल्ली के ‘साहित्य-सम्मान’, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के ‘साहित्य भूषण’ एवं ‘लोहिया सम्मान’, भुवनेश्वर शोध संस्थान के भुवनेश्वर सम्मान, आदर्श कला संगम, मुरादाबाद के ‘फ़िदा हुसैन नरसी पुरस्कार’, डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल स्मृति फाउंडेशन के ‘डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल स्मृति सम्मान’ तथा नाट्यायन, ग्वालियर के ‘भवभूति पुरस्कार’ से विभूषित हो चुके हैं। नाट्य-लेखन के अतिरिक्त दया प्रकाश सिन्हा की रुचि लोक कला, ललित कला, पुरातत्त्व, इतिहास और समसामयिक राजनीति में भी है। दया प्रकाश सिन्हा आई. ए. एस. से अवकाश-प्राप्ति के पश्चात् स्वतन्त्र लेखन और रंगमंच से सम्बद्ध हैं।
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