SaleHardback
Rachna ke Sarokar
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹495 ₹347
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In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788170551058
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
240
प्रस्तुत पुस्तक में नये साहित्य से सम्बन्धित अनेक समस्याओं और प्रश्नों पर विचार किया गया है। इनमें से कई रचना और साहित्य के बुनियादी प्रश्न हैं, जो हर युग में नये शब्दों के चोले में अपना नया रूप लेकर प्रकट होते हैं। उनका नये रूप में उपस्थित होना ही रचना और साहित्य के विकास का सूचक है। पिछले तीस पैंतीस वर्षों में हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं और गोष्ठियों में रचना और साहित्य सम्बन्धी जो वैचारिक बहसें हुई हैं, उनको समेटने का प्रयास इस पुस्तक के निबन्धों में किया गया है। पुस्तक के अधिकांश निबन्ध नये साहित्य की मान्यताओं, उसके सन्दर्भ में उठाये गये प्रश्नों और उसके समर्थक या विरोधी तर्कों पर आधारित हैं। इस अर्थ में यह पुस्तक नये साहित्य का तर्कशास्त्र है । इस पुस्तक में सम्मिलित निबन्ध 1968 से 1984 के बीच अर्थात् लगभग 16 वर्षों में लिखे गये हैं ।
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Description
प्रस्तुत पुस्तक में नये साहित्य से सम्बन्धित अनेक समस्याओं और प्रश्नों पर विचार किया गया है। इनमें से कई रचना और साहित्य के बुनियादी प्रश्न हैं, जो हर युग में नये शब्दों के चोले में अपना नया रूप लेकर प्रकट होते हैं। उनका नये रूप में उपस्थित होना ही रचना और साहित्य के विकास का सूचक है। पिछले तीस पैंतीस वर्षों में हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं और गोष्ठियों में रचना और साहित्य सम्बन्धी जो वैचारिक बहसें हुई हैं, उनको समेटने का प्रयास इस पुस्तक के निबन्धों में किया गया है। पुस्तक के अधिकांश निबन्ध नये साहित्य की मान्यताओं, उसके सन्दर्भ में उठाये गये प्रश्नों और उसके समर्थक या विरोधी तर्कों पर आधारित हैं। इस अर्थ में यह पुस्तक नये साहित्य का तर्कशास्त्र है । इस पुस्तक में सम्मिलित निबन्ध 1968 से 1984 के बीच अर्थात् लगभग 16 वर्षों में लिखे गये हैं ।
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