Doosaron Ki Jutiyan (Khand-Chhaha)

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
डॉ. धर्मवीर
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
डॉ. धर्मवीर
Language:
Hindi
Format:
Hardback

175

Save: 30%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788181436695 Category
Category:
Page Extent:
222

दूसरों की जूतियाँ –

स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों पर मैं काफ़ी दिनों से लिखता आ रहा था। इस विषय पर मेरे विचार पुस्तकों में और लेखों में लिपिबद्ध होते रहे हैं। लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपे हैं। उन्हें यहाँ संग्रहीत कर रहा हूँ। कुछ नया भी जोड़ रहा हूँ।

– भूमिका से

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Doosaron Ki Jutiyan (Khand-Chhaha)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

दूसरों की जूतियाँ –

स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों पर मैं काफ़ी दिनों से लिखता आ रहा था। इस विषय पर मेरे विचार पुस्तकों में और लेखों में लिपिबद्ध होते रहे हैं। लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपे हैं। उन्हें यहाँ संग्रहीत कर रहा हूँ। कुछ नया भी जोड़ रहा हूँ।

– भूमिका से

About Author

डॉ. धर्मवीर - जन्म : 9 दिसम्बर, 1950। व्यवसाय : 1980 के बैच के केरल कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी। रचनाएँ : दूसरों की जूतियाँ (2007) तीन द्विज हिन्दू स्त्रीलिंगों का चिन्तन (2007) चमार की बेटी रूपा (2007) दलित सिविल कानून (2007) 'जूठन' का लेखक कौन है? (2006) थेरीगाथा की स्त्रियाँ और डॉ. अम्बेडकर (2005) कामसूत्र की सन्तानें (2005) प्रेमचन्द : सामन्त का मुन्शी (2005) कबीर: सूत न कपास (2003) कबीर के कुछ और आलोचक (2002) कबीर : डा. हजारी प्रसाद द्विवेदी का प्रक्षिप्त चिंतन (2000) कबीर और रामानंद : किंवदंतियाँ (2000) कबीर : बाज भी, कपोत भी, पपीहा भी (2000) कबीर के आलोचक (1997) सन्त रैदास का निर्वर्ण सम्प्रदाय (पुरस्कृत) (1990) अशोक बनाम वाजपेयी : अशोक वाजपेयी (2004) डॉ. अम्बेडकर के प्रशासनिक विचार (2004) सीमन्तनी उपदेश (सम्पादित) (2004) हिन्दी की आत्मा (1989)।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Doosaron Ki Jutiyan (Khand-Chhaha)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED