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Apna Apna Aasman

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
सदा अम्बालवी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
सदा अम्बालवी
Language:
Hindi
Format:
Hardback

99

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1-4 Days

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Book Type

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ISBN:
SKU 9788181434188 Category
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Page Extent:
80

अपना-अपना आस्माँ –
‘अपना-अपना आस्माँ’ सदा अम्बालवी का तीसरा ग़ज़ल संग्रह है जो उनके चाहने वालों के लिए ग़ज़ल की एक नयी उम्मीद बनकर उनके सामने है। ग़ज़ल के लिए उर्दू जुबान बहुत ही माकूल साबित हुई और रफ़्ता-रफ़्ता हिन्दुस्तान में ग़ज़ल की मक़्बूलियत बढ़ती गयी। ग़ज़ल को बड़ी तादाद में पसन्द किया जाता है, पढ़ा और सुना भी जाता है। यह किताब हिन्दी-उर्दू पाठकों के लिए ग़ज़लों का एक ख़ूबसूरत तोहफ़ा है।

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Description

अपना-अपना आस्माँ –
‘अपना-अपना आस्माँ’ सदा अम्बालवी का तीसरा ग़ज़ल संग्रह है जो उनके चाहने वालों के लिए ग़ज़ल की एक नयी उम्मीद बनकर उनके सामने है। ग़ज़ल के लिए उर्दू जुबान बहुत ही माकूल साबित हुई और रफ़्ता-रफ़्ता हिन्दुस्तान में ग़ज़ल की मक़्बूलियत बढ़ती गयी। ग़ज़ल को बड़ी तादाद में पसन्द किया जाता है, पढ़ा और सुना भी जाता है। यह किताब हिन्दी-उर्दू पाठकों के लिए ग़ज़लों का एक ख़ूबसूरत तोहफ़ा है।

About Author

सदा अम्बालवी - सदा अम्बालवी ने उर्दू और हिन्दी में कविता/ग़ज़ल पर चार किताबें लिखी हैं। उन्होंने कुछ पंजाबी कविताएँ भी लिखी हैं। सदा अम्बालवी कविता लिखने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अध्यक्ष राजिंदर पाल सिंह द्वारा अपनाया गया छद्म नाम है।

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