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‘देखिए मैं आपकी पत्नी ज़रूर हूँ लेकिन मैं एक औरत भी हूँ…जिस दुनिया में आप रहते हैं, वह भी सही है और जिस दुनिया में मैं रह सकती हूँ? वह भी सही है…मेरा शरीर सन्तृप्त होता रहे और मेरा मन मृत होता रहे, यह मुझे आपके साथ बहुत दूर तक नहीं ले जा सकता…मैं जानती हूँ? पंछियों के केमिकल से युक्त भूसा-भरे शरीरों के करोड़ों रुपए के बिजनेस को छोड़ना या बन्द करना आपके लिए मुमकिन नहीं होगा…लेकिन मेरे लिए यह मुमकिन होगा कि मैं मुर्दों की इस दुनिया से बाहर चली जाऊँ।” (इसी उपन्यास से) 1947 के बाद सामन्ती युग का पतन, पर्यावरण, पक्षियों से प्रेम तथा सहज मानवीय कोमल सम्बन्धों की यह कहानी बरबस ही आपको अपनी ओर आकर्षित कर लेगी।
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Description
‘देखिए मैं आपकी पत्नी ज़रूर हूँ लेकिन मैं एक औरत भी हूँ…जिस दुनिया में आप रहते हैं, वह भी सही है और जिस दुनिया में मैं रह सकती हूँ? वह भी सही है…मेरा शरीर सन्तृप्त होता रहे और मेरा मन मृत होता रहे, यह मुझे आपके साथ बहुत दूर तक नहीं ले जा सकता…मैं जानती हूँ? पंछियों के केमिकल से युक्त भूसा-भरे शरीरों के करोड़ों रुपए के बिजनेस को छोड़ना या बन्द करना आपके लिए मुमकिन नहीं होगा…लेकिन मेरे लिए यह मुमकिन होगा कि मैं मुर्दों की इस दुनिया से बाहर चली जाऊँ।” (इसी उपन्यास से) 1947 के बाद सामन्ती युग का पतन, पर्यावरण, पक्षियों से प्रेम तथा सहज मानवीय कोमल सम्बन्धों की यह कहानी बरबस ही आपको अपनी ओर आकर्षित कर लेगी।
About Author
कमलेश्वर
कमलेश्वर का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में 6 जनवरी, 1932 को हुआ था। प्रारम्भिक पढ़ाई के पश्चात् कमलेश्वर ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की।
कमलेश्वर ने कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तम्भ-लेखन, फ़िल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में अपनी लेखन-प्रतिभा का परिचय दिया। उन्होंने कई हिन्दी फ़िल्मों के लिए पटकथाएँ लिखीं तथा भारतीय दूरदर्शन शृंखलाओं के लिए ‘दर्पण’, ‘चन्द्रकान्ता’, ‘बेताल पच्चीसी’, ‘विराट युग’ आदि लिखे।
प्रकाशित कृतियाँ : ‘राजा निरबंसिया’, ‘क़स्बे का आदमी’, ‘मांस का दरिया’, ‘खोई हुई दिशाएँ’, ‘बयान’, ‘जॉर्ज पंचम की नाक’, ‘आज़ादी मुबारक’, ‘कोहरा’, ‘कितने अच्छे दिन’, ‘मेरी प्रिय कहानियाँ’, ‘मेरी प्रेम कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘एक सड़क सत्तावन गलियाँ’, ‘डाक-बंगला’, ‘तीसरा आदमी’, ‘समुद्र में खोया हुआ आदमी’, ‘लौटे हुए मुसाफ़िर’, ‘काली आँधी’, ‘वही बात’, ‘आगामी अतीत’, ‘सुबह दोपहर शाम’, ‘एक और चन्द्रकान्ता’, ‘कितने पाकिस्तान’, ‘पति पत्नी और वह’ (उपन्यास); ‘अधूरी आवाज़’, ‘चारुलता’, ‘रेगिस्तान’, ‘कमलेश्वर के बाल नाटक’ (नाटक); ‘खंडित यात्राएँ’, ‘अपनी निगाह में’ (यात्रा-संस्मरण); ‘जो मैंने किया’, ‘यादों के चिराग़’, ‘जलती हुई नदी’ (आत्मकथ्य); ‘नई कहानी के बाद’, ‘मेरा पन्ना’, ‘दलित साहित्य की भूमिका’ (आलोचना); ‘मेरा हमदम : मेरा दोस्त तथा अन्य संस्मरण’, ‘समानान्तर-1’, ‘गर्दिश के दिन’, ‘मराठी कहानियाँ’, ‘तेलगू कहानियाँ’, ‘पंजाबी कहानियाँ’, ‘उर्दू कहानियाँ’ (सम्पादन)।
सम्मान/पुरस्कार : ‘पद्मभूषण’ और कितने पाकिस्तान के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित।
निधन : 27 जनवरी, 2007
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