Sampradayikta Ka Zahar (PB)

Publisher:
Lokbharti
| Author:
DR. RANJIT
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Lokbharti
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DR. RANJIT
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Hindi
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Paperback

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इस पुस्तक में महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अब्‍दुल कलाम आज़ाद, आचार्य नरेन्द्रदेव, जयप्रकाश नारायण, डॉ. भीमराव आंबेडकर, डॉ. राममनोहर लोहिया, शहीदे आज़म भगतसिंह, किशन पटनायक, गणेशशंकर विद्यार्थी, प्रेमचन्‍द, कमलेश्वर, राजेन्‍द्र यादव, मस्तराम कपूर, विभूति नारायण, पुरुषोत्तम अग्रवाल, असगर अली इंजीनियर, राजकिशोर, डॉ. रमेन्‍द्र, डॉ. राम पुनियानी, तस्लीमा नसरीन, मधु किश्वर, इरफ़ान इंजीनियर आदि के लेख संकलित हैं। स्पष्ट है कि इसमें स्वाधीनता से पूर्व और स्वाधीनता के बाद के भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या के बदलते हुए रूपों और फैलते हुए आयामों पर, भारतीय मनीषा ने जो भी कुछ सोचा है, एक प्रकार से उसका निचोड़ आ गया है।
हिन्‍दी में शायद ही कोई और ऐसी पुस्तक हो, जिसमें इतने व्यापक फ़लक पर इस समस्या को रखकर देखा गया है। अन्‍त में देवी प्रसाद मिश्र की कविता के द्वारा हमारे सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग को, हमारे आम नज़रिये की रौशनी में, मर्मस्पर्शी, प्रस्तुति ने, सोने में सुहागे का काम किया है।
अपने विषय की एक अपरिहार्य पुस्तक।

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Description

इस पुस्तक में महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अब्‍दुल कलाम आज़ाद, आचार्य नरेन्द्रदेव, जयप्रकाश नारायण, डॉ. भीमराव आंबेडकर, डॉ. राममनोहर लोहिया, शहीदे आज़म भगतसिंह, किशन पटनायक, गणेशशंकर विद्यार्थी, प्रेमचन्‍द, कमलेश्वर, राजेन्‍द्र यादव, मस्तराम कपूर, विभूति नारायण, पुरुषोत्तम अग्रवाल, असगर अली इंजीनियर, राजकिशोर, डॉ. रमेन्‍द्र, डॉ. राम पुनियानी, तस्लीमा नसरीन, मधु किश्वर, इरफ़ान इंजीनियर आदि के लेख संकलित हैं। स्पष्ट है कि इसमें स्वाधीनता से पूर्व और स्वाधीनता के बाद के भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या के बदलते हुए रूपों और फैलते हुए आयामों पर, भारतीय मनीषा ने जो भी कुछ सोचा है, एक प्रकार से उसका निचोड़ आ गया है।
हिन्‍दी में शायद ही कोई और ऐसी पुस्तक हो, जिसमें इतने व्यापक फ़लक पर इस समस्या को रखकर देखा गया है। अन्‍त में देवी प्रसाद मिश्र की कविता के द्वारा हमारे सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग को, हमारे आम नज़रिये की रौशनी में, मर्मस्पर्शी, प्रस्तुति ने, सोने में सुहागे का काम किया है।
अपने विषय की एक अपरिहार्य पुस्तक।

About Author

डॉ. रणजीत

जन्म : 20 अगस्त 1937; ग्राम—कटार, ज़‍िला—भीलवाड़ा, राजस्थान।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय, जयपुर।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : कविता-संग्रह—‘ये सपने : ये प्रेत’, ‘अभिशप्त आग’, ‘इतिहास का दर्द’, ‘झुलसा हुआ रक्त कमल’; कहानी-संग्रह—‘गर्म लोहा : ठंडे हाथ’, ‘एक प्रतिरावण का जन्म’; सम्‍पादन—‘प्रगतिशील कविता के मील के पत्थर’, ‘धर्म और बर्बरता’, ‘साम्‍प्रदायिकता का ज़हर’, ‘जाति का जंजाल’; अन्य : ‘आज़ादी के परवाने’ (स्‍वतंत्रता-संग्राम के शहीदों की जीवनियाँ)।

सम्मान : ‘इतिहास का दर्द’ उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुरस्कृत, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा ‘विशिष्ट साहित्यकार सम्मान’, बिहार राजभाषा विभाग द्वारा ‘केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ पुरस्कार’, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘अतिविशिष्ट गौतम बुद्ध सम्मान’।

जर्मन भाषा में प्रकाशित आधुनिक हिन्‍दी कविता के एक प्रतिनिधि संकलन ‘मॉडर्न हिन्‍दी लिरिक’ में पाँच कविताएँ संकलित।

ई-मेल - ranjeet1937@gmail.com

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