Pratinidhi Kahaniyan : Chitra Mudgal (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Chitra Mudgal, Ed. Sushil Siddharth
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
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Chitra Mudgal, Ed. Sushil Siddharth
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Hindi
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कुछ लेखक रचना के लिए सामग्री जुटाने में ही अपनी अधिकांश शक्ति व्यय कर देते हैं। उन्हें लगता होगा कि किसी परिघटना से ही महत्त्वपूर्ण या बड़ा जीवन- सत्य व्यक्त किया जा सकता है। चित्रा मुद्गल जीवन के छोटे-छोटे प्रसंगों को चुनती हैं, उनमें व्याप्त तनाव को परखती हैं, उन्हें सामाजिकता के व्यापक धरातल पर ला खड़ा करती हैं। यह एक तरह से अकथनीय को ज़ाहिर करने का हुनर है। उनके लिए परिवार सबसे बड़ा सच है। उनकी अधिकांश कहानियाँ विषम स्थितियों में भी रिश्तों को बचाए रखना चाहती हैं।
चित्रा मुद्गल की सबसे बड़ी शक्ति है, उनकी अनोखी क़‍िस्सागोई। जैसे कोई धीमी आँच वाले अलाव के पास बैठे श्रोताओं के भीतर कहानी की लौ तेज़ कर रहा हो। अमृतलाल नागर, भगवतीचरण वर्मा, कामतानाथ, विजयदान देथा की भाँति चित्रा जी ने क़‍िस्सागोई या कथन-रस को नया अर्थ दिया है। उनकी कहानियाँ किसी चौंकानेवाली युक्ति या प्रयोग-विह्वल प्रयत्न से प्रारम्भ नहीं होतीं। जीवन का एक क्षण पकड़कर ये कहानियाँ आगे चल पड़ती हैं। भाषा की तमाम भंगिमाओं, कहावतों, मुहावरों, क्षेत्रीय शब्दों और उच्चारण पद्धति का साथ पाकर इन कहानियों की आन्तरिकता विकसित होती है।
चित्रा मुद्गल की कहानियाँ प्रतिवाद के शिल्प में लिखी गई हैं। उनमें बदलते समय-समाज की आहटें हैं। जो कहानियाँ यथार्थ के किसी खुरदुरे हिस्से पर ख़त्म होती हैं, वे भी स्थितियों के प्रति आक्रोश जगाती हैं।

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Description

कुछ लेखक रचना के लिए सामग्री जुटाने में ही अपनी अधिकांश शक्ति व्यय कर देते हैं। उन्हें लगता होगा कि किसी परिघटना से ही महत्त्वपूर्ण या बड़ा जीवन- सत्य व्यक्त किया जा सकता है। चित्रा मुद्गल जीवन के छोटे-छोटे प्रसंगों को चुनती हैं, उनमें व्याप्त तनाव को परखती हैं, उन्हें सामाजिकता के व्यापक धरातल पर ला खड़ा करती हैं। यह एक तरह से अकथनीय को ज़ाहिर करने का हुनर है। उनके लिए परिवार सबसे बड़ा सच है। उनकी अधिकांश कहानियाँ विषम स्थितियों में भी रिश्तों को बचाए रखना चाहती हैं।
चित्रा मुद्गल की सबसे बड़ी शक्ति है, उनकी अनोखी क़‍िस्सागोई। जैसे कोई धीमी आँच वाले अलाव के पास बैठे श्रोताओं के भीतर कहानी की लौ तेज़ कर रहा हो। अमृतलाल नागर, भगवतीचरण वर्मा, कामतानाथ, विजयदान देथा की भाँति चित्रा जी ने क़‍िस्सागोई या कथन-रस को नया अर्थ दिया है। उनकी कहानियाँ किसी चौंकानेवाली युक्ति या प्रयोग-विह्वल प्रयत्न से प्रारम्भ नहीं होतीं। जीवन का एक क्षण पकड़कर ये कहानियाँ आगे चल पड़ती हैं। भाषा की तमाम भंगिमाओं, कहावतों, मुहावरों, क्षेत्रीय शब्दों और उच्चारण पद्धति का साथ पाकर इन कहानियों की आन्तरिकता विकसित होती है।
चित्रा मुद्गल की कहानियाँ प्रतिवाद के शिल्प में लिखी गई हैं। उनमें बदलते समय-समाज की आहटें हैं। जो कहानियाँ यथार्थ के किसी खुरदुरे हिस्से पर ख़त्म होती हैं, वे भी स्थितियों के प्रति आक्रोश जगाती हैं।

About Author

चित्रा मुद्गल

प्रख्यात कथाकार चित्रा मुद‍्गल का जन्म 10 दिसम्बर, 1943 को हुआ।

उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—आवां (आठ भारतीय भाषाओं में अनूदित), गिलिगडु, एक ज़मीन अपनी, पोस्ट बॉक्स नम्बर 203 : नाला सोपारा (उपन्यास); इस हमाम में, चेहरे, लपटें, जगदम्बा बाबू गाँव आ रहे हैं, भूख, ज़हर ठहरा हुआ, लाक्षागृह, अपनी वापसी, ग्यारह लम्बी कहानियाँ, जिनावर, मामला आगे बढ़ेगा अभी, केंचुल, आदि-अनादि (तीन खंडों में), प्रतिनिधि कहानियाँ, शून्य (कहानी-संग्रह); तहख़ानों में बन्द अक्स (कथात्मक रिपोर्ताज); जीवक, माधवी कन्नगी और मणिमेखलयी (बाल उपन्यास); दूर के ढोल, सूझ-बूझ, देश-देश की लोककथाएँ (बाल कथा-संग्रह); बयार उनकी मुट्ठी में (लेख); सद्गति तथा अन्य नाटक, पंच परमेश्वर तथा अन्य नाटक, बूढ़ी काकी तथा अन्य नाटक (नाट्य-रूपान्तर)।

उन्होंने अनेक पुस्तकों का सम्पादन किया है। दूरदर्शन के लिए टेलीफ़िल्म वारिस का निर्माण किया है। प्रसिद्ध कहानियों पर आधारित एक कहानी, मझधार, रिश्ते सरीखे धारावाहिकों में उनकी कई कहानियाँ सम्मिलित हुई हैं। वे प्रसार भारती की बोर्ड मेम्बर और उसी की इंडियन क्लासिक कोर कमिटी की अध्यक्ष रह चुकी हैं। वे 42वें और 68वें नेशनल अवार्ड की ज्यूरी सदस्य रही हैं।

उनका उपन्यास आवां बिड़ला फ़ाउंडेशन के व्यास सम्मान से सम्मानित है। उन्हें इन्दु शर्मा कथा सम्मान (लन्दन), पुश्किन सम्मान (रूस), साहित्य सम्मान (हिन्दी अकादमी, दिल्ली), अवन्ती बाई सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान और वीरसिंह देव सम्मान के साथ ही सामाजिक कार्यों के लिए विदुला सम्मान  से भी सम्मानित किया जा चुका है।

सम्पर्क : mail@chitramudgal.info

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