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Upanyas Ka Kavyashastra (HB)
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Bachchan Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Bachchan Singh
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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9788183611992
Category Hindi
Category: Hindi
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आज का उपन्यास चुनौती देता है। आलोचक इस चुनौती को स्वीकार करता हुआ पुराने समीक्षात्मक पैटर्न को तोड़कर नया पैटर्न तलाशता है।
इस पुस्तक में आलोचनात्मक सिद्धान्तों की कसौटी पर उपन्यासों और कहानियों की परख नहीं की गई है, बल्कि उपन्यासों-कहानियों की कसौटी पर सिद्धान्तों को देखा-कसा गया है। समय के अन्तराल के साथ-साथ पाठकों-आलोचकों के विचार और आस्वाद में परिवर्तन आ जाता है। वे साहित्य को देशकाल की नई ‘कंडिशनिंग’ में देखने के लिए बाध्य होते हैं। ‘गोदान’, ‘सुनीता’, ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’, ‘शेखर : एक जीवनी’, ‘झीनी-झीनी बीनी चदरिया’, ‘कितने पाकिस्तान’ और ‘काशी का अस्सी’ आदि औपन्यासिक प्रतिमानों को तोड़ने-गढ़ने वाले उपन्यासों के अलावा इस किताब में कुछ कहानियों पर भी विचार किया गया है।
सिद्धान्तों की कसौटी कहानियों को भी मान्य नहीं है। इस पुस्तक में पाँच कहानियाँ विवेचित हैं—‘उसने कहा था’, ‘एक रात’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘कफ़न’ और ‘एक राजा निरबंसिया थे’।
मूलतः पुस्तक में सिद्धान्त बरक्स रचना का विवेचन है। विभिन्न उपन्यासों और कहानियों को यहाँ पर एक दृष्टिकोण से विवेचित किया गया है। प्रबुद्ध पाठक इससे टकरा भी सकते हैं और इसे आगे भी बढ़ा सकते हैं।
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Description
आज का उपन्यास चुनौती देता है। आलोचक इस चुनौती को स्वीकार करता हुआ पुराने समीक्षात्मक पैटर्न को तोड़कर नया पैटर्न तलाशता है।
इस पुस्तक में आलोचनात्मक सिद्धान्तों की कसौटी पर उपन्यासों और कहानियों की परख नहीं की गई है, बल्कि उपन्यासों-कहानियों की कसौटी पर सिद्धान्तों को देखा-कसा गया है। समय के अन्तराल के साथ-साथ पाठकों-आलोचकों के विचार और आस्वाद में परिवर्तन आ जाता है। वे साहित्य को देशकाल की नई ‘कंडिशनिंग’ में देखने के लिए बाध्य होते हैं। ‘गोदान’, ‘सुनीता’, ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’, ‘शेखर : एक जीवनी’, ‘झीनी-झीनी बीनी चदरिया’, ‘कितने पाकिस्तान’ और ‘काशी का अस्सी’ आदि औपन्यासिक प्रतिमानों को तोड़ने-गढ़ने वाले उपन्यासों के अलावा इस किताब में कुछ कहानियों पर भी विचार किया गया है।
सिद्धान्तों की कसौटी कहानियों को भी मान्य नहीं है। इस पुस्तक में पाँच कहानियाँ विवेचित हैं—‘उसने कहा था’, ‘एक रात’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘कफ़न’ और ‘एक राजा निरबंसिया थे’।
मूलतः पुस्तक में सिद्धान्त बरक्स रचना का विवेचन है। विभिन्न उपन्यासों और कहानियों को यहाँ पर एक दृष्टिकोण से विवेचित किया गया है। प्रबुद्ध पाठक इससे टकरा भी सकते हैं और इसे आगे भी बढ़ा सकते हैं।
About Author
बच्चन सिंह
हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास के रूप में हिन्दी को एक अनूठा आलोचना-ग्रन्थ देनेवाले बच्चन सिंह का जन्म 2 जुलाई, 1919 को जिला जौनपुर के मदवार गाँव में हुआ था।
शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में हुई।
आलोचना के क्षेत्र में आपका योगदान इन पुस्तकों के रूप में उपलब्ध है : क्रान्तिकारी कवि निराला, नया साहित्य, आलोचना की चुनौती, हिन्दी नाटक, रीतिकालीन कवियों की प्रेम-व्यंजना, बिहारी का नया मूल्यांकन, आलोचक और आलोचना, आधुनिक हिन्दी आलोचना के बीज शब्द, साहित्य का समाजशास्त्र और रूपवाद, आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास, भारतीय और पाश्चात्य काव्यशास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन तथा हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास।
कथाकार के रूप में आपने लहरें और कगार, सूतो व सूतपुत्रो वा (उपन्यास) तथा कई चेहरों के बाद (कहानी-संग्रह) की रचना की। लगभग एक दशक तक प्रचारिणी पत्रिका के सम्पादक रहे।
निधन : 5 अप्रैल, 2008
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