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Nakshe Kadam : Naye Purane (HB)
Publisher:
Lokbharti
| Author:
SHYAM KRISHNA PANDEY
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Lokbharti
Author:
SHYAM KRISHNA PANDEY
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹750 ₹600
Save: 20%
In stock
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In stock
ISBN:
SKU
9789389742862
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
यह उपन्यास पूर्व स्वतंत्रता काल से लेकर वर्तमान तक की राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक स्थिति को इलाहाबाद के पटल पर रखकर बहुत बारीकी के साथ एक विराट कैनवास पर उकेरता है। इसकी कथा-गाथा ‘मल्टी डायममेंशनल’ है। आज के युवा को उसकी शानदार विरासत से जोड़ने की सार्थक पहल की गई है। युवा एक शक्ति-समूह है। नई ‘पीढ़ी के हाथ में ही नया भारत है। उस शक्ति को इस उपन्यास के माध्यम से सकारात्मक मोड़ देने में रचनाकार सफल है।
लेखक ऐसे परिवार से हैं, जिसके पूर्वजों का स्वतंत्रता-संग्राम में पीढ़ी-दर-पीढ़ी योगदान रहा है। इसलिए इस कृति में स्वतंत्रता आन्दोलन की अब तक अनजानी या विस्मृत महत्त्वपूर्ण घटनाओं का प्रामाणिक एवं सजीव दस्तावेज़ीकरण है।
लेखक भारतीय छात्र आन्दोलन की परम्परा से 1960 से 1970 के दशक के दौरान शीर्ष स्तर पर गहराई से जुड़े रहे हैं। इसलिए स्वाधीनता के बाद उपजे युवा आक्रोश और समकालीन राजनीतिक विचारधाराओं की सोच-समझ का इस उपन्यास में अन्तरंग विवरण एवं समालोचन है। भारत के राष्ट्रस्तरीय पर्वों के आयोजन के मूल भाव का विशद वर्णन और उनके ‘सर्व धर्म सद्भाव’ के शाश्वत सन्देशों की व्याख्या है। यह उपन्यास राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्रों तथा युवा पीढी से जुड़े व्यक्तियों के अतिरिक्त सामान्य पाठकों के लिए भी पठनीय है। इसमें आद्योपान्त रोचकता है, विभिन्न समयकाल की धड़कन है, स्पन्दन है।
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Description
यह उपन्यास पूर्व स्वतंत्रता काल से लेकर वर्तमान तक की राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक स्थिति को इलाहाबाद के पटल पर रखकर बहुत बारीकी के साथ एक विराट कैनवास पर उकेरता है। इसकी कथा-गाथा ‘मल्टी डायममेंशनल’ है। आज के युवा को उसकी शानदार विरासत से जोड़ने की सार्थक पहल की गई है। युवा एक शक्ति-समूह है। नई ‘पीढ़ी के हाथ में ही नया भारत है। उस शक्ति को इस उपन्यास के माध्यम से सकारात्मक मोड़ देने में रचनाकार सफल है।
लेखक ऐसे परिवार से हैं, जिसके पूर्वजों का स्वतंत्रता-संग्राम में पीढ़ी-दर-पीढ़ी योगदान रहा है। इसलिए इस कृति में स्वतंत्रता आन्दोलन की अब तक अनजानी या विस्मृत महत्त्वपूर्ण घटनाओं का प्रामाणिक एवं सजीव दस्तावेज़ीकरण है।
लेखक भारतीय छात्र आन्दोलन की परम्परा से 1960 से 1970 के दशक के दौरान शीर्ष स्तर पर गहराई से जुड़े रहे हैं। इसलिए स्वाधीनता के बाद उपजे युवा आक्रोश और समकालीन राजनीतिक विचारधाराओं की सोच-समझ का इस उपन्यास में अन्तरंग विवरण एवं समालोचन है। भारत के राष्ट्रस्तरीय पर्वों के आयोजन के मूल भाव का विशद वर्णन और उनके ‘सर्व धर्म सद्भाव’ के शाश्वत सन्देशों की व्याख्या है। यह उपन्यास राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्रों तथा युवा पीढी से जुड़े व्यक्तियों के अतिरिक्त सामान्य पाठकों के लिए भी पठनीय है। इसमें आद्योपान्त रोचकता है, विभिन्न समयकाल की धड़कन है, स्पन्दन है।
About Author
श्यामकृष्ण पाण्डेय
जन्म : 13 नवम्बर 1943 को हुआ। निजी ज़िन्दगी में एडवोकेट, इलाहाबाद हाईकोर्ट; कार्यसचिव, अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज; अध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन (1963-64); चेयरमैन, उत्तर प्रदेश छात्र संघर्ष समिति (1964-1965); सदस्य, हिन्दी सलाहकार समिति शिक्षा मंत्रालय, रेल मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार (1979-80); सदस्य, संयुक्त हिन्दी सलाहकार समिति मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार (2003-2006); सदस्य, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी एक्जीक्युटिव काउंसिल (1978-1992) तथा भारत की कई राष्ट्रीय संस्थाओं से सम्बद्ध रहे।
श्यामकृष्ण पाण्डेय द्वारा ‘भारतीय छात्र आन्दोलन का इतिहास’ (दो भाग)—(1) ‘स्वाधीनता का दौर’, (2) ‘स्वतंत्रता के बाद’, (3) ‘युवा पहल : संघर्ष : आज़ादी’ आदि पुस्तकें रचित हैं।
भारत, अमरीका, स्विटजरलैंड, हॉलैंड तथा कनाडा की कई संस्थाओं एवं अधिवेशनों में व्याख्यान, आकाशवाणी, दूरदर्शन तथा अन्य चैनलों पर 100 से अधिक बार वार्ता प्रसारण।
ईमेल : shyamkrishnapandey13@gmail.com
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