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Pratinidhi Kahaniyan : Jogendra Paul (PB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Jogendra Paul
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Jogendra Paul
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹60 ₹59
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In stock
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3-5 days
In stock
ISBN:
SKU
9788171785803
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
पहली बार मैं जब जोगेंद्र पाल से मिला तो वो ठीक अपनी शक्ल, किरदार और आदतों के एतबार से एक मालदार जौहरी नज़र आया। बाद में मुझे मालूम हुआ कि मेरा कयास ज़्यादा ग़लत भी न था। वो जौहरी तो ज़रूर है, लेकिन हीरे-जवाहरात का नहीं; अफ़सानों का—और मालदार भी लेकिन अपनी कला में।
—कृष्ण चंदर। ‘एक परिचय : धरती का काल’
उर्दू कथा-साहित्य में जोगेंद्र पाल अपने रचनात्मक अनुभव के लिए नए-नए महाद्वीप खोजनेवाले कथाकार हैं—चन्द उन कथाकारों में से एक जिन्होंने अपनी आँखें बाहर की ओर खोल रखी हैं और जो अपने दिल के रोने की आवाज़ पर भी कान धरते हैं…।
—डॉ. अनवर सदीद ‘औरक़ लाहौर’
जोगेंद्र पाल के यहाँ कहानी बयान नहीं होती, बल्कि सामने ज़िन्दगी के स्टेज पर घटित होती है। उनके चरित्र उस स्टेज से निकलकर हमारे हवास के इतने क़रीब आ जाते हैं कि हमें अपने वजूद में उनकी साँसों का उतार-चढ़ाव महसूस होता है…।
— डॉ. कमर रईस ‘जोगेंद्र अपल : फ़न और शख़्सियत’
जोगेंद्र पाल ने मुर्दा लफ़्ज़ों को नई ज़िन्दगी अता करने की तख़्लीक़ी (रचनात्मक) कोशिश की है; उनमें आदम बू पैदा की है। उनकी रचनात्मक भाषा जानने की ज़ुबान नहीं, जीने की ज़ुबान है।
—निजाम सिद्दीकी
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Description
पहली बार मैं जब जोगेंद्र पाल से मिला तो वो ठीक अपनी शक्ल, किरदार और आदतों के एतबार से एक मालदार जौहरी नज़र आया। बाद में मुझे मालूम हुआ कि मेरा कयास ज़्यादा ग़लत भी न था। वो जौहरी तो ज़रूर है, लेकिन हीरे-जवाहरात का नहीं; अफ़सानों का—और मालदार भी लेकिन अपनी कला में।
—कृष्ण चंदर। ‘एक परिचय : धरती का काल’
उर्दू कथा-साहित्य में जोगेंद्र पाल अपने रचनात्मक अनुभव के लिए नए-नए महाद्वीप खोजनेवाले कथाकार हैं—चन्द उन कथाकारों में से एक जिन्होंने अपनी आँखें बाहर की ओर खोल रखी हैं और जो अपने दिल के रोने की आवाज़ पर भी कान धरते हैं…।
—डॉ. अनवर सदीद ‘औरक़ लाहौर’
जोगेंद्र पाल के यहाँ कहानी बयान नहीं होती, बल्कि सामने ज़िन्दगी के स्टेज पर घटित होती है। उनके चरित्र उस स्टेज से निकलकर हमारे हवास के इतने क़रीब आ जाते हैं कि हमें अपने वजूद में उनकी साँसों का उतार-चढ़ाव महसूस होता है…।
— डॉ. कमर रईस ‘जोगेंद्र अपल : फ़न और शख़्सियत’
जोगेंद्र पाल ने मुर्दा लफ़्ज़ों को नई ज़िन्दगी अता करने की तख़्लीक़ी (रचनात्मक) कोशिश की है; उनमें आदम बू पैदा की है। उनकी रचनात्मक भाषा जानने की ज़ुबान नहीं, जीने की ज़ुबान है।
—निजाम सिद्दीकी
About Author
जोगेंद्र पाल
जन्म : 5 सितम्बर, 1925; सियालकोट।
मशहूर कथाकार। विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आए। 14 साल केन्या में शिक्षा मंत्रालय में काम किया, फिर कुछ समय औरंगाबाद में अध्यापन-कार्य से जुड़े रहे। 1978 में दिल्ली आ गए।
प्रकाशित कृतियाँ : उपन्यास—‘एक बूँद लहू की’, ‘नदीद’; लम्बीक कहानी—‘आमद-ओ-रफ़्त’, ‘बयानात’, ‘ख़्वाब रौ’; कहानी-संग्रह—‘धरती का काल’।
सम्मान : ‘उर्दू अदब पुरस्कार’, ‘मोदी ग़ालिब सम्मान’, ‘शिरामणि उर्दू साहित्यकार सम्मान’, ‘अखिल भारतीय बहादुर शाह जफ़र सम्मान’।
निधन : 23 अप्रैल, 2016
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