Safai Devta (HB) 316

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Safai Devta (PB)

Publisher:
RADHA
| Author:
Omprakash Valmiki
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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RADHA
Author:
Omprakash Valmiki
Language:
Hindi
Format:
Hardback

198

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ख्यात दलित लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि की इस पुस्तक में देश-समाज के सबसे उपेक्षित तबक़े भंगी या वाल्मीकि की ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य के साथ मौजूदा वास्तविक स्थिति का सप्रमाण वर्णन करने का प्रयास किया गया है।
‘भंगी’—शब्द सुनकर ही लोगों की भौंहें तन जाती हैं। समाज की उपेक्षा और प्रताड़ना ने उनमें इस हद तक हीनताबोध भर दिया है कि वाल्मीकि समाज के उच्च शिक्षित लोग भी अपनी पहचान छुपाते फिरते हैं। दलितों में दलित यह तबक़ा आर्थिक विपन्नता की दलदल में फँसा है। पुनर्वसन की राजनीति करनेवाले इस तंत्र में इन सफ़ाई कर्मचारियों के पुनर्वसन की ज़रूरत कभी किसी ने महसूस नहीं की। उच्चवर्गीय, ब्राह्मणवादी मानसिकता और सामन्ती सोच-विचार के लोग इन्हें कोई भी सामाजिक अधिकार देने के पक्ष में नहीं हैं।
इस पुस्तक का उद्देश्य ऐतिहासिक उत्पीड़न, शोषण और दमन का विश्लेषण करना है। उसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का आकलन करना है, और उसके सामने खड़ी समस्याओं का विवेचन करना है। इसके लिए ऐतिहासिक विवरण ही काफ़ी नहीं हैं, वर्तमान का मूल्यांकन भी उतना ही आवश्यक है। लेखक का उद्देश्य लम्बे भीषण, नारकीय दौर में वाल्मीकि समाज की उपलब्धियों, संघर्षों की खोज कर, ऐसी मिसाल पेश करना है जो भविष्य के अन्धकार से उसे बाहर निकलने की प्रेरणा दे सके।

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Description

ख्यात दलित लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि की इस पुस्तक में देश-समाज के सबसे उपेक्षित तबक़े भंगी या वाल्मीकि की ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य के साथ मौजूदा वास्तविक स्थिति का सप्रमाण वर्णन करने का प्रयास किया गया है।
‘भंगी’—शब्द सुनकर ही लोगों की भौंहें तन जाती हैं। समाज की उपेक्षा और प्रताड़ना ने उनमें इस हद तक हीनताबोध भर दिया है कि वाल्मीकि समाज के उच्च शिक्षित लोग भी अपनी पहचान छुपाते फिरते हैं। दलितों में दलित यह तबक़ा आर्थिक विपन्नता की दलदल में फँसा है। पुनर्वसन की राजनीति करनेवाले इस तंत्र में इन सफ़ाई कर्मचारियों के पुनर्वसन की ज़रूरत कभी किसी ने महसूस नहीं की। उच्चवर्गीय, ब्राह्मणवादी मानसिकता और सामन्ती सोच-विचार के लोग इन्हें कोई भी सामाजिक अधिकार देने के पक्ष में नहीं हैं।
इस पुस्तक का उद्देश्य ऐतिहासिक उत्पीड़न, शोषण और दमन का विश्लेषण करना है। उसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का आकलन करना है, और उसके सामने खड़ी समस्याओं का विवेचन करना है। इसके लिए ऐतिहासिक विवरण ही काफ़ी नहीं हैं, वर्तमान का मूल्यांकन भी उतना ही आवश्यक है। लेखक का उद्देश्य लम्बे भीषण, नारकीय दौर में वाल्मीकि समाज की उपलब्धियों, संघर्षों की खोज कर, ऐसी मिसाल पेश करना है जो भविष्य के अन्धकार से उसे बाहर निकलने की प्रेरणा दे सके।

About Author

ओमप्रकाश वाल्मीकि

 

जन्म : 30 जून, 1950; बरला, जिला—मुज़फ़्फ़रनगर, उत्तर प्रदेश।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य)।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘सदियों का संताप’, ‘बस्स! बहुत हो चुका’, ‘अब और नहीं’, ‘शब्द झूठ नहीं बोलते’, ‘चयनित कविताएँ’ (कविता संग्रह); ‘जूठन’ (आत्मकथा) अँग्रेज़ी, जर्मन, स्वीडिश, पंजाबी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, तेलगू में अनूदित एवं प्रकाशित; ‘सलाम’, ‘घुसपैठिए’ ‘अम्मा एंड अदर स्टोरीज’, ‘छतरी’ (कहानी-संग्रह); ‘दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र’, ‘मुख्यधारा और दलित साहित्य’, ‘दलित साहित्य : अनुभव, संघर्ष और यथार्थ’ (आलोचना); ‘सफाई देवता’ (सामाजिक अध्ययन)।

अनुवाद : ‘सायरन का शहर’ (अरुण काले) कविता-संग्रह का मराठी से हिन्दी में अनुवाद, ‘मैं हिन्दू क्यों नहीं’ (कांचा एलैया) का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद, ‘लोकनाथ यशवन्त’ की अनेक मराठी कविताओं का हिन्दी में अनुवाद।

अन्य : लगभग 60 नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन, विभिन्न नाट्य-दलों द्वारा ‘दो चेहरे’ का मंचन, ‘जूठन’ के नाट्य-रूपान्तरण का कई नगरों में मंचन; अनेक राष्ट्रीय सेमिनारों में हिस्सेदारी, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में कई व्याख्यान, कई विश्वविद्यालयों, पाठ्यक्रमों में रचनाएँ शामिल, प्रथम हिन्दी दलित साहित्य सम्मेलन, 1993, नागपुर के अध्यक्ष, 28वें अस्मितादर्श साहित्य सम्मेलन, 2008, चन्द्रपुर, महाराष्ट्र के अध्यक्ष, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला सोसाइटी के सदस्य।

सम्मान : ‘डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’, (1993); ‘परिवेश सम्मान’, (1995); ‘जयश्री सम्मान’, (1996); ‘कथाक्रम सम्मान’ (2001); ‘न्यू इंडिया बुक पुरस्कार’, (2004); ‘साहित्य भूषण सम्मान’, (2006); 8वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन, (2007), न्यूयॉर्क, ‘अमेरिका सम्मान’, ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सम्मान’।

निधन : 17 नवम्बर, 2013

 

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