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Jadia Bai (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Kusum Khemani
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Kusum Khemani
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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9788126729357
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Category: Hindi
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कुसुम खेमानी के नारी-विमर्श की प्रकृति एकदम भिन्न है। वे अपने स्त्री-चरित्रों का ऐसा उदात्तीकरण करती हैं कि इस धरती की होते हुए भी वे अपने अनोखे व्यक्तित्व के कारण किसी और ही जगत की लगती हैं। जड़ियाबाई उपन्यास भी एक ऐसी ही मारवाड़ी स्त्री के उत्कर्ष की गाथा है, जो धनाढ्य परिवार की होने के बावजूद धुर बचपन से ही प्राणी मात्र के लिए संवेदनशील और करुणामयी हैं एवं खरे जीवन मूल्यों में जीती हुई आश्चर्यजनक ढंग से वह शुरू से ही गांधी जी की ट्रस्टीशिप सिद्धान्त का घोर अनुयायी बन जाती हैं।
जड़ियाबाई कथनी में ही नहीं करनी में भी पंचशील के पाँचों सिद्धान्तों का अनुशीलन करती हैं। वे सर्वे भवन्तु सुखिन: के लिए अपना ‘तन-मन-धन’ सब कुछ अर्पित कर देती हैं। जड़ियाबाई अपने ज़मीनी सद्कर्मों के स्तूपाकार से वह ऊँचाई हासिल कर लेती हैं, जो उन्हें इस धरती पर ही अलौकिक बना देती हैं।
आश्चर्यजनक ढंग से जड़ियाबाई पूर्णत: गल्प के धरातल पर खड़ी होकर ऐसी काव्यात्मक गुणों की ऊँचाइयों पर परचम फहराती नज़र आती हैं, जो कल्पनातीत है। वे संवेदनशीलता से इतनी सराबोर हैं कि छोटे-से-छोटे कीड़े की कर्मठता और अवदान के प्रति भी कृतज्ञता ज्ञापित करती हैं।
जड़ियाबाई का आचार-व्यवहार समग्र प्रकृति के अणु-अणु के प्रति श्रद्धापूर्ण है। वे पृथ्वी की प्रकृति और इसके वासियों में ही उस अलौकिक दिव्य सत्ता को अनुभूत करती रहती हैं और उन्हीं के समक्ष श्रद्धावनत रहती हैं। वे उस असमी को मन्दिर, मस्जिद और शिवालों में नहीं ढूँढ़तीं, बल्कि यहाँ की माटी के कण-कण में उन्हें उसकी उपस्थिति महसूस होती रहती है।
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Description
कुसुम खेमानी के नारी-विमर्श की प्रकृति एकदम भिन्न है। वे अपने स्त्री-चरित्रों का ऐसा उदात्तीकरण करती हैं कि इस धरती की होते हुए भी वे अपने अनोखे व्यक्तित्व के कारण किसी और ही जगत की लगती हैं। जड़ियाबाई उपन्यास भी एक ऐसी ही मारवाड़ी स्त्री के उत्कर्ष की गाथा है, जो धनाढ्य परिवार की होने के बावजूद धुर बचपन से ही प्राणी मात्र के लिए संवेदनशील और करुणामयी हैं एवं खरे जीवन मूल्यों में जीती हुई आश्चर्यजनक ढंग से वह शुरू से ही गांधी जी की ट्रस्टीशिप सिद्धान्त का घोर अनुयायी बन जाती हैं।
जड़ियाबाई कथनी में ही नहीं करनी में भी पंचशील के पाँचों सिद्धान्तों का अनुशीलन करती हैं। वे सर्वे भवन्तु सुखिन: के लिए अपना ‘तन-मन-धन’ सब कुछ अर्पित कर देती हैं। जड़ियाबाई अपने ज़मीनी सद्कर्मों के स्तूपाकार से वह ऊँचाई हासिल कर लेती हैं, जो उन्हें इस धरती पर ही अलौकिक बना देती हैं।
आश्चर्यजनक ढंग से जड़ियाबाई पूर्णत: गल्प के धरातल पर खड़ी होकर ऐसी काव्यात्मक गुणों की ऊँचाइयों पर परचम फहराती नज़र आती हैं, जो कल्पनातीत है। वे संवेदनशीलता से इतनी सराबोर हैं कि छोटे-से-छोटे कीड़े की कर्मठता और अवदान के प्रति भी कृतज्ञता ज्ञापित करती हैं।
जड़ियाबाई का आचार-व्यवहार समग्र प्रकृति के अणु-अणु के प्रति श्रद्धापूर्ण है। वे पृथ्वी की प्रकृति और इसके वासियों में ही उस अलौकिक दिव्य सत्ता को अनुभूत करती रहती हैं और उन्हीं के समक्ष श्रद्धावनत रहती हैं। वे उस असमी को मन्दिर, मस्जिद और शिवालों में नहीं ढूँढ़तीं, बल्कि यहाँ की माटी के कण-कण में उन्हें उसकी उपस्थिति महसूस होती रहती है।
About Author
डॉ. कुसुम खेमानी
जन्म : 19 सितम्बर, 1944
शिक्षा : एम.ए. (प्रथम श्रेणी), पीएच.डी., कलकत्ता विश्वविद्यालय।
प्रकाशन : ‘सचित्र हिन्दी बालकोश’, ‘हिन्दी-अॅंग्रेज़ी बालकोश’ (कोश); ‘हिन्दी नाटक के पाँच दशक’ (आलोचना); ‘सच कहती कहानियाँ’, ‘एक अचम्भा प्रेम’, ‘अनुगूँज ज़िन्दगी की’ (कहानी-संग्रह); ‘एक शख़्स कहानी-सा’ (जीवनी); ‘कहानियाँ सुनाती यात्राएँ’ (यात्रा-वृत्तान्त); ‘कुछ रेत...कुछ सीपियाँ...विचारों की’ (ललित निबन्ध); ‘लावण्यदेवी’, ‘जड़िया बाई’ (उपन्यास)।
अनुवाद एवं सम्पादन : ‘जन-अरण्य’ (उपन्यास, शंकर), ‘चश्मा बदल जाता है’ (उपन्यास, आशापूर्णा देवी), ज्योतिर्मयी देवी के कहानी-संग्रह का अनुवाद एवं सम्पादन, ‘वागर्थ’ का सम्पादन। ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास का अॅंग्रेज़ी, बांग्ला, नेपाली एवं मलयालम में अनुवाद। ‘कहानियाँ सुनाती यात्राएँ’ बांग्ला, राजस्थानी एवं मलयालम में प्रकाशित। ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास का तमिल में डॉ. एन. जयश्री द्वारा एवं तेलुगू में लावण्य नारला द्वारा शोध एवं अनुवाद।
‘सच कहती कहानियाँ’ की कथाभाषा पर डॉ. सुहासिनी (तमिल), करमजीत कौर (पंजाबी), विनीता सिंह (हिन्दी) एवं अंजना कुकरैती (कन्नड़) द्वारा शोध। ‘रश्मिरथी माँ’ कहानी पर बांग्ला में टेलीफ़िल्म का निर्माण। ‘साहित्य में उच्च मूल्यों की स्थापना’ (सन्दर्भ : ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास) विषय पर औरंगाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा सेमिनार आयोजित।
सम्मान : ‘कुसुमांजलि साहित्य सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘हरियाणा गौरव सम्मान’, ‘भारत निर्माण सम्मान’, ‘रत्नादेवी गोयनका वाग्देवी पुरस्कार’, ‘पश्चिम बंग प्रान्तीय मारवाड़ी सम्मेलन पुरस्कार’, ‘कौमी एकता पुरस्कार’, ‘भारत गौरव सम्मान’, ‘समाज बन्धु पुरस्कार’ आदि।
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