Pariyon Ke Beech (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Ruth Vanita
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Rajkamal
Author:
Ruth Vanita
Language:
Hindi
Format:
Paperback

198

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परियों के बीच उपन्यास एक ऐसे कोमल अहसास और रिश्ते का संसार हमारे सामने उजागर करता है जिसका वजूद हमेशा से रहा है, लेकन ज़्यादातर वक़्तों में यह अनकहा और पोशीदा रहा; कई बार उसे अपनी स्वाभाविक मानवीयता की अनदेखी करनेवाले सवालों का सामना भी करना पड़ा है।
दो औरतों, मशहूर तवायफ़ चपला बाई और शायरा नफ़ीस बाई के आपसी प्यार की इस कहानी में उनके कुछ मर्द दोस्त भी हैं जो उनकी मदद करते हैं। इन दोस्तों में कुछ नामचीन शायर हैं तो ख़ुद एक मर्द से प्यार करने वाला शरद भी।
उपन्यास में रंगीन, इंशा और जुरअत जैसे उर्दू के कुछ असल शायर क़िरदार के रूप में आए हैं। उनकी शायरी के साथ-साथ उस दौर की कुछेक ग़ज़लों-नज़्मों और गानों का इस्तेमाल उपन्यास की ख़ूबसूरती और असर को बढ़ा देता है।
वस्तुत: यह उपन्यास पूर्व-औपनिवेशिक काल के उस दौर को जीवन्त करता है जब समलैंगिक प्यार को अपेक्षाकृत सहजता से स्वीकार किया जाता था। लेकिन 1857 के बाद के दौर में उसको सवालिया बना दिया गया।

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Description

परियों के बीच उपन्यास एक ऐसे कोमल अहसास और रिश्ते का संसार हमारे सामने उजागर करता है जिसका वजूद हमेशा से रहा है, लेकन ज़्यादातर वक़्तों में यह अनकहा और पोशीदा रहा; कई बार उसे अपनी स्वाभाविक मानवीयता की अनदेखी करनेवाले सवालों का सामना भी करना पड़ा है।
दो औरतों, मशहूर तवायफ़ चपला बाई और शायरा नफ़ीस बाई के आपसी प्यार की इस कहानी में उनके कुछ मर्द दोस्त भी हैं जो उनकी मदद करते हैं। इन दोस्तों में कुछ नामचीन शायर हैं तो ख़ुद एक मर्द से प्यार करने वाला शरद भी।
उपन्यास में रंगीन, इंशा और जुरअत जैसे उर्दू के कुछ असल शायर क़िरदार के रूप में आए हैं। उनकी शायरी के साथ-साथ उस दौर की कुछेक ग़ज़लों-नज़्मों और गानों का इस्तेमाल उपन्यास की ख़ूबसूरती और असर को बढ़ा देता है।
वस्तुत: यह उपन्यास पूर्व-औपनिवेशिक काल के उस दौर को जीवन्त करता है जब समलैंगिक प्यार को अपेक्षाकृत सहजता से स्वीकार किया जाता था। लेकिन 1857 के बाद के दौर में उसको सवालिया बना दिया गया।

About Author

रूथ वनिता

रूथ वनिता दिल्ली विश्वविद्यालय में दो दशक तक अध्यापन करने के बाद इन दिनों यूनिवर्सिटी ऑफ़ मोंटाना में प्रोफ़ेसर हैं। वे ‘मानुषी’ (1978-1990) की सह-संस्थापक रह चुकी हैं।

उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें लव्स राइट : सेम-सेक्स मैरिज इन इंडिया (2005, नवीनतम संस्करण 2021); जेंडर, सेक्स एंड द सिटी : उर्दू रेख़्ती पोएट्री  इन इंडिया 1780-1840 (2012) और डांसिंग विद द नेशन : कोर्टिज़ैंस इन बॉम्बे सिनेमा (2017) शामिल हैं। उन्होंने सेम-सेक्स लव इन इंडिया : ए लिटरेरी हिस्ट्री का सह-सम्पादन भी किया है।

उन्होंने हिन्दी और उर्दू से गद्य और पद्य, दोनों विधाओं की अनेक रचनाओं का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया है, जिनमें पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ के कहानी-संग्रह का अनुवाद चॉकलेट : स्टोरीज़ ऑन मेल-मेल डिज़ायर सर्वाधिक चर्चित रहा है।

‘मेमोरी ऑफ़ लाइट’ उनका पहला उपन्यास है। इसका हिन्दी में पुनर्लेखन ‘परियों के बीच’ नाम से इन्होंने स्वयं किया है।

इन दिनों वे मिसूला और गुड़गाँव में अपना वक़्त बिताती हैं।

 

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