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Jeene Ka Udaatta Aashay (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Pankaj Chaturvedi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Pankaj Chaturvedi
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹600 ₹420
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ISBN:
SKU
9788126727124
Category Hindi
Category: Hindi
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युवा कवि और आलोचक पंकज चतुर्वेदी की यह पुस्तक हमारे समय के वरिष्ठ कवि कुँवर नारायण की कविता पर केन्द्रित है। किसी भी विचारधारा के प्रभुत्व को स्वीकार करते हुए उन्होंने सत्य को एक विस्तृत पटल पर एक द्वन्द्वात्मक तथा बहुस्तरीय अवधारणा के रूप में आत्मसात् किया है।
आदर्श और यथार्थ, ज्ञान और संवेदना, समय और इतिहास की द्वन्द्वात्मक संहति से कुँवर नारायण की कविता संश्लिष्ट, गहन और विचारोत्तेजक घटित हुई है। उससे हम अपनी आत्मा को आलोकित और समृद्ध कर सकते हैं; क्योंकि उसमें वाग्जाल नहीं, एक मार्मिक पारदर्शिता और जीवन-सत्य का दुर्लब विवेक है।
लेखक ने इस पुस्तक के पहले निबन्ध में कुँवर नारायण के विचारों और उनकी समग्र काव्य-यात्रा से चुनी हुई कविताओं के विश्लेषण के ज़रिए उनकी काव्य-दृष्टि को समझने और उसका एक स्वरूप निर्मित करने की चेष्टा की है। बाद के निबन्धों में क्रमशः उनकी सभी काव्य-कृतियों का गहन और व्यापक मूल्यांकन किया गया है। बकौल लेखक, ‘शायद इसकी कोई सार्थकता है तो यह रेखांकित करने में कि कुँवर नारायण विचारों की बहुलता, दार्शनिक बेचैनी, आत्मवत्ता, प्रेम, जीवन की समृद्धि, सौन्दर्य, अपरिग्रह और सत्य के प्रति अदम्य आस्था के कवि ही नहीं; ग़ुलामी और अन्याय के विभिन्न रूपों के प्रति युयुत्सा और प्रतिरोध से सम्पन्न, गहरे विडम्बना-बोध, करुणा, व्यंग्य और परिवर्तन एवं प्रगति की कामना के भी कवि हैं।’
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Description
युवा कवि और आलोचक पंकज चतुर्वेदी की यह पुस्तक हमारे समय के वरिष्ठ कवि कुँवर नारायण की कविता पर केन्द्रित है। किसी भी विचारधारा के प्रभुत्व को स्वीकार करते हुए उन्होंने सत्य को एक विस्तृत पटल पर एक द्वन्द्वात्मक तथा बहुस्तरीय अवधारणा के रूप में आत्मसात् किया है।
आदर्श और यथार्थ, ज्ञान और संवेदना, समय और इतिहास की द्वन्द्वात्मक संहति से कुँवर नारायण की कविता संश्लिष्ट, गहन और विचारोत्तेजक घटित हुई है। उससे हम अपनी आत्मा को आलोकित और समृद्ध कर सकते हैं; क्योंकि उसमें वाग्जाल नहीं, एक मार्मिक पारदर्शिता और जीवन-सत्य का दुर्लब विवेक है।
लेखक ने इस पुस्तक के पहले निबन्ध में कुँवर नारायण के विचारों और उनकी समग्र काव्य-यात्रा से चुनी हुई कविताओं के विश्लेषण के ज़रिए उनकी काव्य-दृष्टि को समझने और उसका एक स्वरूप निर्मित करने की चेष्टा की है। बाद के निबन्धों में क्रमशः उनकी सभी काव्य-कृतियों का गहन और व्यापक मूल्यांकन किया गया है। बकौल लेखक, ‘शायद इसकी कोई सार्थकता है तो यह रेखांकित करने में कि कुँवर नारायण विचारों की बहुलता, दार्शनिक बेचैनी, आत्मवत्ता, प्रेम, जीवन की समृद्धि, सौन्दर्य, अपरिग्रह और सत्य के प्रति अदम्य आस्था के कवि ही नहीं; ग़ुलामी और अन्याय के विभिन्न रूपों के प्रति युयुत्सा और प्रतिरोध से सम्पन्न, गहरे विडम्बना-बोध, करुणा, व्यंग्य और परिवर्तन एवं प्रगति की कामना के भी कवि हैं।’
About Author
पंकज चतुर्वेदी
पंकज चतुर्वेदी का जन्म 24 अगस्त, 1971 को उत्तर प्रदेश के इटावा शहर में हुआ। इटावा और कानपुर के गाँवों-क़स्बों में आरम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हुए। आगे की पढ़ाई और शोधकार्य जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से किया।
इनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘एक सम्पूर्णता के लिए’, ‘एक ही चेहरा’, ‘रक्तचाप और अन्य कविताएँ’ (कविता-संग्रह); ‘आत्मकथा की संस्कृति’, ‘निराशा में भी सामर्थ्य’, ‘रघुवीर सहाय’ (साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के लिए विनिबन्ध), ‘जीने का उदात्त आशय’ (आलोचना); भर्तृहरि के इक्यावन श्लोकों की हिन्दी अनुरचनाएँ। इन्होंने मंगलेश डबराल की ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ का सम्पादन भी किया है।
इन्हें कविता के लिए वर्ष 1994 के ‘भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार’ और आलोचना के लिए 2003 के ‘देवीशंकर अवस्थी सम्मान’ एवं उ.प्र. हिन्दी संस्थान के ‘रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। 2019 में इन्हें ‘रज़ा फ़ेलोशिप’ प्रदान की गई है।
फ़िलहाल विक्रमाजीत सिंह सनातन धर्म कॉलेज (कानपुर) में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष हैं।
सम्पर्क : pankajgauri2013@gmail.com
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