Ek Karore Ki Botal (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Krishna Chander
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Krishna Chander
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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ज़िन्दगी एक फूल होती है जो मुरझा जाती है; ज़िन्दगी एक पत्थर होती है और घिस जाती है; ज़िन्दगी लोहा होती है और जंग खा जाती है; ज़िन्दगी आँसू होती है और गिर जाती है; ज़िन्दगी महक होती है और बिखर जाती है; ज़िन्दगी समन्दर होती है और…“यही है कृश्न चंदर की जादुई क़लम, जिसने जीवन की भयावह सचाइयों को अत्यन्त रोमैंटिक लहज़े में पेश किया है।
‘एक करोड़ की बोतल’ उनका एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास है, जिसमें उन्होंने नारी के समस्त कोमल मनोभावों एवं उसकी आन्तरिक पीड़ा को मार्मिक अभिव्यक्ति दी है। एक कुशल कथाकार के नाते उनकी लेखनी ने बहुत सफलता के साथ सेक्स, रोमांस, धनाभाव और माया-लोक की सम-विषम परिस्थितियों में फँसे अपने मुख्य पात्रों को इस बात की पूरी स्वतंत्रता दी है कि वे अपने-आपको पाठक के सामने स्वयं उपस्थित करें।
वास्तव में कृश्न चंदर का यह उपन्यास मानव-मन की दुर्बलताओं का दर्पण तो है ही, इसमें सामाजिक विघटन एवं कुंठा से उत्पन्न वे घिनौने प्रसंग भी हैं, जो हमें चिन्तन के नए छोरों तक ले जाकर रचनात्मक पुनर्रचना के लिए प्रेरित भी करते हैं।

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Description

ज़िन्दगी एक फूल होती है जो मुरझा जाती है; ज़िन्दगी एक पत्थर होती है और घिस जाती है; ज़िन्दगी लोहा होती है और जंग खा जाती है; ज़िन्दगी आँसू होती है और गिर जाती है; ज़िन्दगी महक होती है और बिखर जाती है; ज़िन्दगी समन्दर होती है और…“यही है कृश्न चंदर की जादुई क़लम, जिसने जीवन की भयावह सचाइयों को अत्यन्त रोमैंटिक लहज़े में पेश किया है।
‘एक करोड़ की बोतल’ उनका एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास है, जिसमें उन्होंने नारी के समस्त कोमल मनोभावों एवं उसकी आन्तरिक पीड़ा को मार्मिक अभिव्यक्ति दी है। एक कुशल कथाकार के नाते उनकी लेखनी ने बहुत सफलता के साथ सेक्स, रोमांस, धनाभाव और माया-लोक की सम-विषम परिस्थितियों में फँसे अपने मुख्य पात्रों को इस बात की पूरी स्वतंत्रता दी है कि वे अपने-आपको पाठक के सामने स्वयं उपस्थित करें।
वास्तव में कृश्न चंदर का यह उपन्यास मानव-मन की दुर्बलताओं का दर्पण तो है ही, इसमें सामाजिक विघटन एवं कुंठा से उत्पन्न वे घिनौने प्रसंग भी हैं, जो हमें चिन्तन के नए छोरों तक ले जाकर रचनात्मक पुनर्रचना के लिए प्रेरित भी करते हैं।

About Author

कृश्न चंदर

जन्म : 13 नवम्बर, सन् 1914
उर्दू कथा-साहित्य में अपनी अनूठी रचनाशीलता के लिए बहुचर्चित उपन्यासकार। प्रगतिशील और यथार्थवादी नज़रिए से लिखे जानेवाले साहित्य के प्रमुख पक्षधरों में से एक।
40 से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित। फ़िल्म-कथा-लेखन और फ़िल्म-निर्देशन भी किया। भारत की प्रायः सभी प्रमुख भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद। साथ ही अंग्रेज़ी, रूसी, पोलिश, जर्मन, हंगेरियन, डेनिश तथा चीनी आदि विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित।

प्रमुख उपन्यास : ‘अन्नदाता’, ‘हम वहशी हैं’, ‘एक गधे की आत्मकथा’, ‘तूफ़ान की कलियाँ, ‘जब खेत जागे’, ‘बावन पत्ते’, ‘एक वायलिन समन्दर के किनारे’, ‘काग़ज़ की नाव’, ‘मेरी यादों के किनारे’, ‘एक करोड़ की बोतल’, ‘गरजन की एक शाम’ आदि।

निधन : 8 मार्च, 1977

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