Bhasha Vigyan : Saidhantik Chintan (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Ravindranath Srivastava, Ed. Beena Shrivastava, Mahendra, Ramanath Sahay
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Ravindranath Srivastava, Ed. Beena Shrivastava, Mahendra, Ramanath Sahay
Language:
Hindi
Format:
Hardback

636

Save: 20%

Out of stock

Ships within:
1-4 Days

Out of stock

Weight 0.36 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788171193394 Category
Category:
Page Extent:

प्रो. रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव भारतीय भाषा-समुदायों, विशेषकर हिन्दी भाषा-समुदाय की संरचना को व्याख्यायित करनेवाले विद्वानों में एक प्रसिद्ध नाम है। प्रस्तुत पुस्तक प्रो. श्रीवास्तव के भाषावैज्ञानिक सैद्धान्तिक चिन्तन पर प्रकाश डालती है। रूसी, अमरीकी विभिन्न भाषा विश्लेषण पद्धतियों से परिचित होने के बावजूद उन्होंने भारतीय चिन्तन परम्परा को अपने विवेचन का आधार बनाया। इन लेखों के द्वारा जहाँ उनके चिन्तन की गहराई का पता चलता है, वहाँ संस्कृत वैज्ञानिक विश्लेषण के प्रति उनके लगाव का भी परिचय मिलता है। इस सामग्री से विद्यार्थियों में भाषाविज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न होगी, साथ ही भाषावैज्ञानिक सैद्धान्तिक चिन्तकों को दिशा-निर्देश भी प्राप्त होगा। विश्वास है, यह पुस्तक तथा इस शृंखला की अन्य पुस्तकें भी प्रो. श्रीवास्तव के भाषा-चिन्तन को प्रभावशाली ढंग से अध्येताओं तक पहुँचाएँगी।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bhasha Vigyan : Saidhantik Chintan (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

प्रो. रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव भारतीय भाषा-समुदायों, विशेषकर हिन्दी भाषा-समुदाय की संरचना को व्याख्यायित करनेवाले विद्वानों में एक प्रसिद्ध नाम है। प्रस्तुत पुस्तक प्रो. श्रीवास्तव के भाषावैज्ञानिक सैद्धान्तिक चिन्तन पर प्रकाश डालती है। रूसी, अमरीकी विभिन्न भाषा विश्लेषण पद्धतियों से परिचित होने के बावजूद उन्होंने भारतीय चिन्तन परम्परा को अपने विवेचन का आधार बनाया। इन लेखों के द्वारा जहाँ उनके चिन्तन की गहराई का पता चलता है, वहाँ संस्कृत वैज्ञानिक विश्लेषण के प्रति उनके लगाव का भी परिचय मिलता है। इस सामग्री से विद्यार्थियों में भाषाविज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न होगी, साथ ही भाषावैज्ञानिक सैद्धान्तिक चिन्तकों को दिशा-निर्देश भी प्राप्त होगा। विश्वास है, यह पुस्तक तथा इस शृंखला की अन्य पुस्तकें भी प्रो. श्रीवास्तव के भाषा-चिन्तन को प्रभावशाली ढंग से अध्येताओं तक पहुँचाएँगी।

About Author

रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव


जन्म : 9 जुलाई, 1936 को बलिया (उ. प्र.) ।


लेनिनग्राद विश्वविद्यालय से भाषाविज्ञान में पीएच.डी.; अमेरिका में भाषा पर शोधकार्य के लिए पोस्ट–डॉक्टरल फ़ेलो; यूनेस्को (पेरिस), यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी (टोकियो) आदि अन्तरराष्ट्रीय संगठनों में भाषा–शिक्षण सम्बन्धी कार्य–गोष्ठियों के विशेषज्ञ सदस्य; अमेरिका और इटली के विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफ़ेसर के रूप में अध्यापन दिल्ली विश्वविद्यालय के भाषाविज्ञान विभाग में प्रोफ़ेसर। शैलीविज्ञान, आलोचना, भाषा–शिक्षण, अनुवाद पर 6 पुस्तकें और रूसी, अंग्रेज़ी एवं हिन्दी में प्रकाशित अनेक लेख।


सम्पूर्ण लेख पाँच खंडों में—‘हिन्दी भाषा का समाजशास्त्र’, ‘हिन्दी भाषा : संरचना के विविध आयाम’, ‘भाषाविज्ञान : सैद्धान्तिक चिन्तन’, ‘अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान : सिद्धान्त एवं प्रयोग', ‘साहित्य का भाषिक चिन्तन’।

निधन : 3 अक्टूबर, 1992

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bhasha Vigyan : Saidhantik Chintan (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED