Himmat Jounpuri (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Rahi Masoom Raza
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Rahi Masoom Raza
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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‘हिम्मत जौनपुरी’ एक ऐसे निहत्थे की कहानी है जो जीवन-भर जीने का हक़ माँगता रहा, सपने बुनता रहा, परन्तु आत्मा की तलाश और सपनों के संघर्ष में उलझकर रह गया। यह बम्बई के उस फ़िल्मी माहौल की कहानी भी है जिसकी भूल-भुलैया और चमक-दमक आदमी को भटका देती है और वह कहीं का नहीं रह जाता।
राही मासूम रज़ा की चिर-परिचित शैली का ही कमाल है कि इसमें केवल सपने या भूल-भुलैया का तिलस्मी यथार्थ नहीं, बल्कि उस समाज की भी कहानी है, जिसमें जमुना जैसी पात्र चाहकर भी अपनी असली ज़िन्दगी बसर नहीं कर सकती। एक तरफ़ इसमें व्यंग्यात्मक शैली में सामाजिक खोखलेपन को उजागर करता यथार्थ है तो दूसरी तरफ़ हैं भावनाओं की उत्ताल लहरें।
राही मासूम रज़ा साहब ने ‘हिम्मत जौनपुरी’ को माध्यम बनाकर एक ऐसे सामान्य व्यक्ति के अरमान के टूटने और बिखरने को जिस नए अन्दाज़ और तेवर के साथ लिखा है, वह उनके अन्य उपन्यासों से बिलकुल अलग है।
 

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Description

‘हिम्मत जौनपुरी’ एक ऐसे निहत्थे की कहानी है जो जीवन-भर जीने का हक़ माँगता रहा, सपने बुनता रहा, परन्तु आत्मा की तलाश और सपनों के संघर्ष में उलझकर रह गया। यह बम्बई के उस फ़िल्मी माहौल की कहानी भी है जिसकी भूल-भुलैया और चमक-दमक आदमी को भटका देती है और वह कहीं का नहीं रह जाता।
राही मासूम रज़ा की चिर-परिचित शैली का ही कमाल है कि इसमें केवल सपने या भूल-भुलैया का तिलस्मी यथार्थ नहीं, बल्कि उस समाज की भी कहानी है, जिसमें जमुना जैसी पात्र चाहकर भी अपनी असली ज़िन्दगी बसर नहीं कर सकती। एक तरफ़ इसमें व्यंग्यात्मक शैली में सामाजिक खोखलेपन को उजागर करता यथार्थ है तो दूसरी तरफ़ हैं भावनाओं की उत्ताल लहरें।
राही मासूम रज़ा साहब ने ‘हिम्मत जौनपुरी’ को माध्यम बनाकर एक ऐसे सामान्य व्यक्ति के अरमान के टूटने और बिखरने को जिस नए अन्दाज़ और तेवर के साथ लिखा है, वह उनके अन्य उपन्यासों से बिलकुल अलग है।
 

About Author

राही मासूम रज़ा

आपका जन्म 1 सितम्बर, 1925 को ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ।

प्रारम्भिक शिक्षा वहीं, परवर्ती अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से ही 'उर्दू साहित्य के भारतीय व्यक्तित्व’ पर पीएच.डी.। अध्ययन समाप्त करने के बाद अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में अध्यापन-कार्य से जीविकोपार्जन की शुरुआत। कई वर्षों तक उर्दू साहित्य पढ़ाते रहे। बाद में फ़िल्म-लेखन के लिए बम्बई गए। जीने की जी-तोड़ कोशिशें और आंशिक सफलता। फ़िल्मों में लिखने के साथ-साथ हिन्दी-उर्दू में समान रूप से सृजनात्मक लेखन। फ़िल्म-लेखन को बहुत से लेखकों की तरह 'घटिया काम’ नहीं, बल्कि 'सेमी क्रिएटिव’ काम मानते थे। बी.आर. चोपड़ा के निर्देशन में बने महत्त्वपूर्ण दूरदर्शन धारावाहिक 'महाभारत’ के पटकथा और संवाद-लेखक के रूप में प्रशंसित।

एक ऐसे कवि-कथाकार, जिनके लिए भारतीयता आदमीयत का पर्याय रही।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘आधा गाँव’, ‘टोपी शुक्ला’, ‘हिम्मत जौनपुरी’, ‘सीन : 75’, ‘असन्तोष के दिन’, ‘ओस की बूँद’, ‘दिल एक सादा काग़ज़’, ‘कटरा बी आर्जू’, ‘नीम का पेड़’ (हिन्दी उपन्यास); ‘कारोबारे तमन्ना’, ‘क़यामत’, ‘मुहब्बत के सिवा’ (उर्दू उपन्यास); ‘मैं एक फेरीवाला’ (हिन्दी कविता-संग्रह); ‘नया  साल’, ‘मौजे-गुल : मौजे सबा’, ‘रक्से-मय’, ‘अजनबी शहर : अजनबी रास्ते’ (उर्दू कविता-संग्रह); ‘अट्ठारह सौ सत्तावन’ (हिन्दी-उर्दू महाकाव्य) तथा ‘छोटे आदमी की बड़ी कहानी’ (जीवनी)।

निधन : 15 मार्च, 1992

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