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Jal Sankat Aur Jal Sangrah (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Mukesh Kumar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Mukesh Kumar
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹400 ₹280
Save: 30%
In stock
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3-5 days
In stock
ISBN:
SKU
9788189444617
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
पानी का संकट लगातार गहराता जा रहा है। कहा जाने लगा है कि तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो बहुत ही सम्भव है कि वह पानी को लेकर ही हो। शहरी इलाक़ों में पानी की कमी और उसके लिए रोज़-रोज़ होनेवाले स्थानीय झगड़े शायद इसी की बानगी हैं। उधर ग्रामीण क्षेत्रों में जल-स्तर न सिर्फ़ नीचे जा रहा है, पेयजल के रूप में उसका उपयोग भी ख़तरनाक होता जा रहा है।
जनसंख्या के साथ-साथ जहाँ पानी की आवश्यकता बड़े पैमाने पर बढ़ी है, वहीं जल-संग्रहण की पारम्परिक पद्धतियों को भी हमने भुला दिया है, जितना जल उपलब्ध है, वह बढ़ते शहरीकरण के परिणामस्वरूप प्रदूषण का शिकार है। आँकड़े बताते हैं कि इस समय देश में रोज़ छह हज़ार से ज़्यादा लोग दूषित जल से पैदा होनेवाली बीमारियों से मर जा रहे हैं।
यह पुस्तक इस विकराल संकट से निबटने के लिए एक आरम्भिक ढाँचा सुझाती है जिसका उपयोग हम जल-संरक्षण, और सामान्यत: पानी के प्रति अपना आधारभूत दृष्टिकोण बदलने में कर सकते हैं।
वर्षा जल के संग्रहण की पुरानी और नई प्रविधियों, इसके साथ भू-जल स्रोतों की सम्यक् सार-सँभाल, जल-अपव्यय को रोकने की ज़रूरत तथा तरकीबें, सूखे इलाक़ों में जल-संचयन की वैज्ञानिक पद्धति, विभिन्न क़िस्म के बाँधों, कुँओं, तालाबों के निर्माण सम्बन्धी जानकारी, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, आपूर्ति और वितरण की समस्या और कृषि-उपयोग के लिहाज़ से जल-प्रबन्ध, इन तमाम विषयों पर यह पुस्तक अद्यतन और वैज्ञानिक सामग्री उपलब्ध कराती है।
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Description
पानी का संकट लगातार गहराता जा रहा है। कहा जाने लगा है कि तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो बहुत ही सम्भव है कि वह पानी को लेकर ही हो। शहरी इलाक़ों में पानी की कमी और उसके लिए रोज़-रोज़ होनेवाले स्थानीय झगड़े शायद इसी की बानगी हैं। उधर ग्रामीण क्षेत्रों में जल-स्तर न सिर्फ़ नीचे जा रहा है, पेयजल के रूप में उसका उपयोग भी ख़तरनाक होता जा रहा है।
जनसंख्या के साथ-साथ जहाँ पानी की आवश्यकता बड़े पैमाने पर बढ़ी है, वहीं जल-संग्रहण की पारम्परिक पद्धतियों को भी हमने भुला दिया है, जितना जल उपलब्ध है, वह बढ़ते शहरीकरण के परिणामस्वरूप प्रदूषण का शिकार है। आँकड़े बताते हैं कि इस समय देश में रोज़ छह हज़ार से ज़्यादा लोग दूषित जल से पैदा होनेवाली बीमारियों से मर जा रहे हैं।
यह पुस्तक इस विकराल संकट से निबटने के लिए एक आरम्भिक ढाँचा सुझाती है जिसका उपयोग हम जल-संरक्षण, और सामान्यत: पानी के प्रति अपना आधारभूत दृष्टिकोण बदलने में कर सकते हैं।
वर्षा जल के संग्रहण की पुरानी और नई प्रविधियों, इसके साथ भू-जल स्रोतों की सम्यक् सार-सँभाल, जल-अपव्यय को रोकने की ज़रूरत तथा तरकीबें, सूखे इलाक़ों में जल-संचयन की वैज्ञानिक पद्धति, विभिन्न क़िस्म के बाँधों, कुँओं, तालाबों के निर्माण सम्बन्धी जानकारी, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, आपूर्ति और वितरण की समस्या और कृषि-उपयोग के लिहाज़ से जल-प्रबन्ध, इन तमाम विषयों पर यह पुस्तक अद्यतन और वैज्ञानिक सामग्री उपलब्ध कराती है।
About Author
डॉ. मुकेश कुमार
डॉ. मुकेश कुमार ने दूरदर्शन की लोकप्रिय समाचार पत्रिका ‘परख’ से टीवी पत्रकारिता के सफ़र की शुरुआत की। साप्ताहिक पत्रिका ‘फ़िलहाल’ एवं टॉक शो ‘कही-अनकही’ का निर्देशन एवं संचालन किया। दूरदर्शन के बहुचर्चित ब्रेकफास्ट शो ‘सुबह सवेरे’ ने उन्हें राष्ट्रव्यापी ख्याति दिलाई। उन्होंने टीवी टुडे द्वारा निर्मित डॉक्यू ड्रामा ‘आज की नारी’ के लिए पटकथा भी लिखी। उन्हें छह न्यूज़ चैनल शुरू करने का श्रेय जाता है। प्राइम टाइम एंकर के तौर पर वे लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित कार्यक्रम ‘स्पेशल एजेंडा’, ‘राजनीति’, ‘बात बोलेगी’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘सम्मुख’, ‘फ़िलहाल’, ‘कही अनकही’ आदि भी प्रस्तुत करते रहे। वृत्तचित्रों, टेलीफिल्म और टॉक शो का भी निर्माण किया। टेलीफिल्म ‘कंठा’ के लिए पटकथा एवं संवाद लेखन, सह निर्देशन के साथ-साथ अभिनय भी किया और ‘उल्टा-पुल्टा’ नामक शॉर्ट फिल्म भी बनाई।
वे साहित्यिक पत्रिकाओं ‘हंस’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘पाखी’, ‘दुनिया इन दिनों’ समेत कई पत्र-पत्रिकाओं एवं वेबसाइट के लिए स्तम्भ लेखन करते रहे हैं। अब तक उनकी बारह किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। हाल में प्रकाशित ‘मीडिया का मायाजाल और टीआरपी’, ‘टीवी न्यूज़ और बाज़ार’ उनकी अत्यधिक चर्चित किताबों में से हैं। उनका कविता संग्रह ‘साधो जग बौराना’ भी काफी सराहा गया। उनकी अन्य किताबें हैं : ‘दासता के बारह बरस’, ‘भारत की आत्मा’, ‘लहूलुहान अफ़गानिस्तान’, ‘कसौटी पर मीडिया’, ‘टेलीविज़न की कहानी’, ‘ख़बरें विस्तार से’, ‘चैनलों के चेहरे’, ‘मीडिया मंथन’, ‘फ़ेक एनकाउंटर’।
वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में एडजंक्ट प्रोफेसर एवं एसजीटी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एवं डीन रह चुके हैं। फिलहाल सत्यहिन्दी डाट कॉम के सलाहकार सम्पादक हैं।
ईमेल : mukeshkabir@gmail.com
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