Ramana Vesod (HB) 240

Save: 20%

Back to products
Ram Katha (HB) 200

Save: 20%

Udyog Mein Safalta Ke 36 Mantra (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Dr. Girish P. Jakhotiya
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Dr. Girish P. Jakhotiya
Language:
Hindi
Format:
Paperback

124

Save: 1%

Out of stock

Ships within:
3-5 days

Out of stock

Weight 0.17 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126717859 Category
Category:
Page Extent:

उद्यमकला की नींव मज़बूत हो तभी इमारत मज़बूत होगी। उद्योग और उद्यमकला के लक्ष्य का निर्धारण कैसे किया जाता है यह हम ‘प्रैक्टिकली’ देखेंगे। मूलतः ‘उद्यमी’ ही होना और सम्पत्ति अर्जित करना है, इस बात का संकल्प करना उद्यमी के लिए जरूरी है। रिलायन्स के कर्ताधर्ता स्वर्गीय धीरूभाई अंबानी का, ‘बड़ा बनने का नशा है।’ यह प्रिय घोष वाक्य था। अर्थात् सम्पत्ति कमाने की भी लत लगनी चाहिए। मूलतः उद्यमी होने के लिए पाँच कसौटियाँ हैं। उद्यमी बनने का निर्णय करने पर इन कसौटियों को पार करने के लिए उचित ‘अभ्यास’ करना आवश्यक है। कौन-सी हैं ये कसौटियाँ? ये कसौटियाँ हैं—सम्पत्ति अर्जित करने के लिए लगन, स्वभाव और आचार में लचीलापन, व्यवसाय प्रक्रिया के रहस्य की जानकारी, उद्योग की शृंखला, परस्पर सम्बन्ध निर्माण करने की तैयारी तथा बिना थके, बिना घबराए, बिना निराश हुए कोशिश करते रहने की मानसिक-शारीरिक-सांस्कृतिक तैयारी।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Udyog Mein Safalta Ke 36 Mantra (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

उद्यमकला की नींव मज़बूत हो तभी इमारत मज़बूत होगी। उद्योग और उद्यमकला के लक्ष्य का निर्धारण कैसे किया जाता है यह हम ‘प्रैक्टिकली’ देखेंगे। मूलतः ‘उद्यमी’ ही होना और सम्पत्ति अर्जित करना है, इस बात का संकल्प करना उद्यमी के लिए जरूरी है। रिलायन्स के कर्ताधर्ता स्वर्गीय धीरूभाई अंबानी का, ‘बड़ा बनने का नशा है।’ यह प्रिय घोष वाक्य था। अर्थात् सम्पत्ति कमाने की भी लत लगनी चाहिए। मूलतः उद्यमी होने के लिए पाँच कसौटियाँ हैं। उद्यमी बनने का निर्णय करने पर इन कसौटियों को पार करने के लिए उचित ‘अभ्यास’ करना आवश्यक है। कौन-सी हैं ये कसौटियाँ? ये कसौटियाँ हैं—सम्पत्ति अर्जित करने के लिए लगन, स्वभाव और आचार में लचीलापन, व्यवसाय प्रक्रिया के रहस्य की जानकारी, उद्योग की शृंखला, परस्पर सम्बन्ध निर्माण करने की तैयारी तथा बिना थके, बिना घबराए, बिना निराश हुए कोशिश करते रहने की मानसिक-शारीरिक-सांस्कृतिक तैयारी।

About Author

डॉ. गिरीश पी. जाखोटिया

 

डॉ. गिरीश पी. जाखोटिया 1985 से 1999 तक ‘जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज’ (मुम्बई विश्वविद्यालय) में वित्त और रणनीति के प्रोफ़ेसर रहे हैं। वे प्रसिद्ध प्रबन्‍धन सलाहकार, लेखक और वक्‍ता भी हैं। आधा दर्जन से ज्‍़यादा किताबों की रचना की जिनमें मोनोग्राफ़ भी शामिल हैं। 'सर्वश्रेष्ठ प्रबन्धन शिक्षक पुरस्कार' सहित कई पुरस्‍कारों से सम्‍मानित हैं। वे टाटा जैसे कुछ प्रसिद्ध भारतीय और बहुराष्ट्रीय निगमों के अलावा ‘ब्रिटिश पेट्रोलियम’, ‘सीमेंस’, ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’, ‘सेसा गोवा’, ‘फिलिप्स’, ‘फ़ोर्ब्स एंड कंपनी’, ‘सेंट्रल बैंक ऑफ़ ओमान’, ‘हिन्दुस्तान यूनिलीवर’, ‘डेम्पो ग्रुप’, ‘इंडियन ऑयल’, ‘एमटीएनएल’, ‘आरपीजी ग्रुप’, ‘एलएंडटी ग्रुप’, ‘एडिडास ग्रुप’ आदि के व्यवसाय के लिए विभिन्न परामर्श-कार्य से जुड़े रहे। उनकी AGNI (Aggregate Growth with Networking and Innovation) एक पथ-ब्रेकिंग मॉडल है जो रणनीतिक योजना, प्रबन्धन नियंत्रण और वित्त को जोड़ती है। वर्तमान में वे ‘जखोटिया एंड एसोसिएट्स’, मुम्‍बई में मुख्य सलाहकार हैं।

 

सम्‍पर्क : girishjakhotiya@gmail.com

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Udyog Mein Safalta Ke 36 Mantra (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED